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इतिहास बदलेंगे सपा-बसपा, लालू के मंच पर अखिलेश और माया होंगी एक साथ

Akhilesh Yadav, Mayawati
लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) आगामी अगस्त में पटना में होने वाली राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव की रैली में मंच साझा कर नई संभावनाओं को जन्म देंगी। राजद की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अशोक सिंह ने बताया कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती ने आगामी 27 अगस्त को पटना में आयोजित होने वाली लालू यादव की रैली में शामिल होने के लिए अपनी सहमति दे दी है। राजद प्रमुख लालू ने इन दोनों नेताओं को इस रैली में शामिल होने के लिए हाल ही में फोन पर बात भी किया था। सिंह ने बताया कि सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव को भी रैली में लाने की कोशिशें चल रही हैं। संभावना है कि वे भी रैली में शामिल होंगे।

साल 1993 में प्रदेश में मिलकर सरकार बनाने वाली सपा और बसपा के बीच दूरियां चर्चित गेस्ट हाउस कांड के बाद इस कदर बढ़ी कि उन्हें एक प्रदेश में धुर विरोधी माना जाने लगा। माना जाने लगा कि अब ये दोनों दल एक-दूसरे से कभी हाथ नहीं मिलाएंगे, लेकिन इसे सियासी तकाजा कहें या फिर समय का फेर इन दोनों दलों के नेता अब मंच साझा करने को भी तैयार हो गए हैं। सपा और बसपा के एक मंच पर साथ आने को राजनीतिक हलकों में सूबे की राजनीति के लिए एक नई दिशा माना जा रहा है। खासकर वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के हाथों करारी शिकस्त ने इन दोनों दलों को साथ आने के बारे में सोचने पर मजबूर किया है।
सिंह ने बताया कि अगस्त में होने वाली रैली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के भी शिरकत करने की संभावना है। अशोक सिंह ने बताया कि राजद प्रमुख लालू ने तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी, बीजू जनता दल के प्रमुख नवीन पटनायक, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी मुखिया शरद पवार तथा समान विचारधारा वाले अन्य दलों के नेताओं को भी रैली में शिरकत के लिए आमंत्रित किया है। द्रमुक नेता एमके स्टालिन भी इस रैली में शामिल होंगे।

'भाजपा भगाओ-देश बचाओ'का नाम दिया गया
दरअसल, आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव 27 अगस्त को पटना में सभी विपक्षी दलों की महारैली कर रहे हैं। उनका दावा है कि इस रैली में सभी विपक्षी दलों के नेता शामिल होंगे। लालू ने यह भी दावा किया है कि यहीं से 2019 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष को ताकत मिलनी शुरू हो जाएगी। इस रैली को 'भाजपा भगाओ-देश बचाओÓ का नाम दिया गया है।

आरजेडी सूत्रों की मानें तो रैली में भाग लेने के लिए लालू ने कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, बसपा सुप्रीमो मायावती, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, तुर्णमुल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, स्टालिन, देवगौड़ा समेत कई विपक्षी नेताओं से चर्चा हुई है। इनमें से अधिकतर नेताओं ने रैली में शामिल होने की हामी भी भर दी है। वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीटर पर ही लालू की रैली में भाग लेने की पुष्टि की है। कांग्रेस की तरफ से सोनिया गांधी या राहुल गांधी के इस रैली में भाग लेने की उम्मीद जताई जा रही है।
भाजपा के खिलाफ एकजुट होने की कवायद
सिंह ने बताया कि इस कवायद का मकसद बिहार की तर्ज पर राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के खिलाफ मजबूत महागठबंधन को खड़ा करना है। राजनीतिक प्रेक्षकों के मुताबिक राजनीतिक लिहाज से बेहद संवेदनशील उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा अगर एक साथ आती हैं तो यह सूबे में भाजपा के अप्रत्याशित उभार को रोकने की दिशा में कारगर हो सकता है। बसपा हाल के विधानसभा चुनाव में कुल 403 में से मात्र 19 सीटें ही जीत सकी थी।
वर्ष 1992 के बाद यह उसका सबसे खराब प्रदर्शन है। तब उसे 12 सीटें हासिल हुई थीं। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने 80 सीटें जीती थीं। वहीं सपा भी इस बार महज 47 सीटों पर सिमट गई, जो उसका अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है। पिछले विधानसभा चुनाव में सपा का वोट प्रतिशत 21.8 था, वहीं बसपा का 22.2 प्रतिशत रहा था। बसपा ने जहां सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ा था, वहीं सपा ने अपने सहयोगी दल कांग्रेस के लिए 105 सीटें छोड़ी थीं। विधानसभा चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों के कुल 403 में से 325 सीटें जीत लेने से विपक्ष बेहद कमजोर हो गया है। ऐसे में सपा और बसपा के गठबंधन के स्वर तेज हो गए हैं।