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अभी-अभी: आर्मी चीफ ने कहा- कश्मीर में हालात पर जल्द काबू पा लिया जाएगा



अभी-अभी सेना के आर्मी चीफ एक प्रेस कांन्फ्रेंस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हालात पर काबू पा लिया जाएगा। जैसे स्थिति है वैसे की सेना के जवान कार्रवाई करते हैं।
उन्होंने कहा कि मैं मानवाधिकार पर यकीन रखता हूं। जल्द ही हालात पर काबू पा लिया जाएगा। 
हालत के अनुसार सेना कार्रवाई कर रही है। 
आपको बता दें कि सुरक्षा बलों ने शुक्रवार को एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर जुनैद मट्टू समेत 3 आतंकियों को मुठभेड़ में ढेर कर दिया था।  
दक्षिण कश्मीर के बिजबहेड़ा इलाके के एक गांव में सुरक्षा बलों ने सुबह करीब 8 बजे लश्कर कमांडर मट्टू और उसके साथियों को एक घर में घेर लिया था। आखिरकार सेना ने जुनैद मट्टू और उसके एक साथी को मुठभेड़ में ढेर कर दिया था। मट्टू के सिर पर 5 लाख रुपये का इनाम था।
अधिकारियों ने बताया कि एक घर में 3 आतंकवादियों के मौजूद होने की खुफिया सूचना मिलने के बाद सेना सहित सुरक्षा बलों ने अरवानी गांव के मलिक मोहल्ले में एक घर की घेराबंदी की थी। उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों ने सुबह 8 बजे घर की घेराबंदी की और दो घंटे तक इंतजार किया लेकिन 10 बजे घर से पहली गोली चली थी।

इस दौरान पत्थरबाजों की भीड़ ने सुरक्षा बलों पर पथराव कर उनके ऑपरेशन में बाधा डालने की भी कोशिश की थी। अधिकारियों ने बताया कि 5 व्यक्तियों को पेलेट गन के छर्रे तब लगे जब उन्होंने आतंकवाद विरोधी अभियान में बाधा डालने की कोशिश की थी।  लेकिन इसके बाद भी आतंकियों को मार गिराया गया था। 
 

40 साल से नमक नहीं खाते ये मंत्री, खुद चलाते हैं खेतों में हल



मध्य प्रदेश में आज भी एक ऐसे मंत्री हैं जो अपने खेतों का काम खुद करते हैं। खुद ही खेतों को जोतते हैं और खुद ही बीज डालते हैं। ऐसी एक फोटो उनकी वायरल हो रही है।
 जानकारी के अनुसार इन नेता का नाम नंदकुमार साय हैं। ये मध्यप्रदेश में तीन बार MLA, 3 बार लोकसभा सांसद और 2 बार राज्यसभा सांसद रह चुके हैं। ये आदिवासी समाज के दिग्गज नेता हैं।
आदिवासी समाज के लोगों में शराब की बुरी लत छुड़ाने के लिए एक बार उन्होंने हजारों किमी की पदयात्रा भी की थी। एक जगह आदिवासियों ने ताना दिया, उनके लिए तो शराब वैसे ही है, जैसे खाने में नमक।  
उन्होंने साय से कहा, यदि वह नमक छोड़ सकते हों तो वे शराब छोड़ देंगे। इस पर साय ने 'हां' कह दिया और वहीं से प्रण लिया कि वे नमक नहीं खाएंगे। इस घटना के 40 साल से ज्यादा हो चुके हैं, साय ने नमक को हाथ नहीं लगाया है।
पूर्व सांसद नंदकुमार साय को मोदी सरकार में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। उन्हें केंद्रीय कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। वे 1977, 1985 और 1998 में  MP विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं।
साल 2000 में वे छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदस्य बने और पहले विपक्ष के नेता बने थे। साय 1989, 1996 और 2004 में लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं। इसके साथ ही 2009 और 2010 में वह राज्यसभा के लिए चुने जा चुके हैं।
नंद खुद चलाते हैं हल :

 नंद कुमार अपने गृह गांव भगोरा में खुद के खेतों में हल चलाते हुए और बुबाई करते देखा जा सकता है। इसके पीछे उनका तर्क है कि बचपन से खेती से जुड़े होने के कारण आज भी वे किसान ही हैं।  साय पिछले 10 जून से अपने गृह नगर जशपुर प्रवास पर थे। जहां भागोरा स्थित अपने गांव वे हल चलाते दिखे। इसके बाद से उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं।

सब्जी बेचकर बेटी को पाल रहा है दिव्यांग पिता




 हर लाडली अपने पिता की आंखों का तारा होती हैं| पिता और बेटी का ये अनोखा रिश्ता शायद ही शब्दों में बयान किया जा सकता है| हर पिता अपनी नन्ही सी गुड़िया के लिए कुछ भी कर सकने की चाह रखता है और उसकी खुशी के लिए कुछ भी हासिल कर सकता है।
आज हम आपको ऐसी ही एक कहानी बताने जा रहे है। दरअसल एक मजबूर पिता को अपनी बेटी की ख्वाहिश पूरी करने में दो साल लग गए। आखिर क्या थी बेटी की ख्वाहिश, और पिता को उसकी ख्वाहिश पूरी करने में दो साल क्यों लगे? आइये आपको बताते है। 
...जब बेटी सुमैया ने पिता ने नई ड्रेस की ख्वाहिश की : 
बांग्लादेश के निवासी कवसर हुसैन एक हाथ से दिव्यांग हैं। एक हादसे में अपना एक हाथ गंवा चुके हैं। एक दिन उनकी सात साल की बेटी सुमैया ने उनसे नई ड्रेस की मांग की। कवसर सोच में पड़ गए। बेटी की ख्वाहिश पूरी करें तो कैसे?
एक तरफ बेटी का प्यार, दूसरी तरफ मजबूरी : 
छोटे-मोटे काम करके किसी तरह कवसर की जिंदगी कट रही थी। एक तरफ बेटी का प्यार और और दूसरी तरफ उनकी मंजबूरी उन्हें रोज परेशान करती। लेकिन कवसर ने ठान ली थी की बेटी के लिए ड्रेस खरीदना है। ऐसे में किसी तरह उन्होंने कुछ पैसे जुटाए और अपनी बेटी के लिए नई ड्रेस खरीदने की सोची। लेकिन इसके बाद जो कुछ भी हुआ वो पढ़कर आप भावुक हो जाएंगे। ये दिव्यांग बाप आज भी सब्जी बेचता है।
फोटोग्राफर से साझा की दिल छूने वाली कहानी : 
यहां हम आपको बता दें कि ये कहानी सोशल मीडिया पर वायरल है। इस कहानी को कवसर हुसैन एक फोटोग्राफर से साझा किया था। जिसके बाद जीएमबी आकाश नाम के फोटोग्राफर ने इस कहानी को अपने फेसबुक वॉल पर शेयर किया।
...तो दुकानदार ने भिखारी समझकर भगा दिया
इस कहानी में आगे क्या हुआ चलिए आपको बताते है। आखिरकार कवसर ने दो साल तक मजदूरी करके बेटी के फ्रॉक के लिए पैसे जमा किए। नई ड्रेस खरीदने के लिए जब वो बेटी के साथ दुकान पर पहुंचे तो दुकानदार ने उसे भिखारी समझकर भगा दिया।
आंसू पोंछते हुए पिता ने कहा- हां मैं भिखारी हूं 
ये देख बेटी सौम्या से नहीं रहा गया और वो अपने पिता को दुकान से बाहर लेकर चली गई। पिता ने एक हाथ से आंसू पोंछते हुए बेटी से कहा ‘हां मैं भिखारी हूं।’ 
पिता ने बेटी के आंसू पोंछे और वो ड्रेस खरीदी
इसी बीच बेटी सौम्या ने कवसर का हाथ पकड़ लिया और रोते हुए कहने लगी कि उसे यह ड्रेस नहीं खरीदनी। फिर कवसर ने अपने एक हाथ से बेटी सौम्या के आंसू पोंछे और फिर वो ड्रेस खरीदी।
आज ये पिता भिखारी नहीं...

फोटोग्राफर जीएम आकाश से कवसर ने कहा कि, 'आज ये पिता भिखारी नहीं, राजा है और उसकी ये लाडली राजकुमारी।' 

पुलिस ने मारा घर में छापा तो ऐसी हालत में मिली महिलाएं




 पंजाब में एक बेहद चौकाने वाला मामले सामने आया है। एक धार्मिक स्थल के पास ही जिस्मफरोशी का धंधा चल रहा था। पुलिस ने छापा मारकर 6 महिलाओं और तीन लड़कों को गिरफ्तार किया है।
जानकारी के अनुसार जब पुलिस घर में पहुंची तो वहां कुछ जोड़े आपत्तिजनक हालत में थे। पुलिस से बचने के लिए सभी अपने-अपने कपड़े उठाकर भागने लगे। लेकिन पुलिस ने घेरकर पकड़ लिया।
इसके बाद सभी को कपड़े पहनने के लिए कहा। पुलिस ने ने कहा कि इस मामले में 6 महिलाओं और 3 पुरुषों को हिरासत में लिया गया है।
डीएसपी विलियम जेजी के मुताबिक कुछ समय से यहां जिस्मफरोशी का धंधा होने की शिकायतें आ रही थी। इन्हीं शिकायतों के आधार पर पुलिस ने छापामारी की। 
जिस्मफरोशी के अड्डे का संचालन महिला करती है। वह महिलाओं के जरिए ग्राहकों को फांसती थी और फिर घर के अंदर धंधा चलाती थी। 
डीएसपी ने बताया कि इस महिला के खिलाफ पहले भी कई मामले दर्ज हैं। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।
वहीं आस-पास के लोगों का कहना है कि कोई शक ना करें। इसलिए वह धार्मिक स्थल के पास ये काम करती थी। लेकिन पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इस महिला की वजह से दूसरी महिलाओं का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया था। 

ये महिलाएं रात को लड़को को फंसाती थी और फिर उन्हें कमरे पर ले जाती थी और इसके बाद देह व्यापार करती थी। 
 

शिया वक्फ बोर्ड को योगी सरकार का बड़ा झटका, हटाए गए 6 सदस्य


उत्तर प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में एक अहम बैठक बुलाई गई, जिसमें सरकार ने शिया वक्फ बोर्ड के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। सरकार ने बोर्ड के छह सदस्यों को पद से हटा दिया है। हटाए गए सदस्यों में से पूर्व राज्यसभा सांसद अख्तर हसन रिज़वी, मुरादाबाद के सैय्यद वली हैदर, मुज़फ्फरनगर की अफशा ज़ैदी, बरेली के सय्यद अज़ीम हुसैन, शासन में विशेष सचिव नजमुल हसन रिज़वी और आलिमा ज़ैदी शामिल हैं। आपको बता दें कि इनको पूर्व की सपा सरकार ने मई 2015 में नामित किया था। वहीं, दूसरी ओर वक्फ बोर्ड में भ्रष्टाचार को लेकर आज़म खान और उनकी पत्नी के सीबीआई जांच की जद में आने के आसार हैं। 

सूत्रों के मुताबिक वक्फ बोर्ड की सीबीआई जांच की जद में आज़म खान और उनकी पत्नी आएंगे। जौहर यूनिवर्सिटी में वक्फ की जमीन रजिस्ट्री कराने और प्रभाव का इस्तेमाल कर शत्रु संपत्ति को जौहर यूनिवर्सिटी में शामिल करने के मामले में सीबीआई आज़म खान की भूमिका की जांच करेगी।
सेंट्रल वक्फ कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में आज़म खान की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। योगी सरकार ने इसी रिपोर्ट को आधार बनाकर वक्फ बोर्ड की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। वहीं, योगी सरकार के वक्फ बोर्डों को भंग करने के नोटिस के बाद से हंगामा मच गया। शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा है कि सरकार अगर ऐसा असंवैधानिक फैसला लेती है, तो वह अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा कि वक्फ बोर्डों के खिलाफ हजारों शिकायतें मिली है। इनमें फैले भ्रष्टाचार की शिकायत लेकर लोग लगातार आ रहे हैं। न सिर्फ वक्फ बोर्ड के सदस्यों पर बल्कि इनके चेयरमैन पर भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप है। अल्पसंख्यक मंत्री ने कहा कि मोहसिन रजा पर अनर्गल और गलत आरोप लगाया जा रहे हैं जिसमें कोई तथ्य नहीं है।

जब पांच साल की लड़की ने 'बार्बी डॉल' के जरिए बताई अपने दुष्कर्म की कहानी!

...जब पांच साल की लड़की ने 'बार्बी डॉल' के जरिए बताई अपने दुष्कर्म की कहानी!

नई दिल्ली: एक पांच साल की बच्ची से दुष्कर्म की आपबीती जानने के लिए दिल्ली की निचली कोर्ट ने अनूठा तरीका निकाला. उसे गुड़िया (बार्बी डॉल) दी गई, बच्ची ने अपनी गुड़िया के निजी अंगों को छूकर जज को सच्चाई बताई. इस नई और अनूठी तकनीक की हाई कोर्ट ने भी प्रशंसा करते हुए निचली कोर्ट के आदेश के खिलाफ दोषी की अपील खारिज कर दी.
अदालत ने मामले की फाइल से गौर किया कि यौन उत्पीड़न से गुजरने की अपनी व्यथा गुड़िया को बताते हुए वह बच्ची बचाव पक्ष के वकील द्वारा पूछे गए परेशान करने वाले, अपमानजनके, गंदे और अश्लीले सवालों के जवाब देने में हिचक रही थी.

रोहिणी की कोर्ट ने दोषी 23 साल के हनी को पांच साल कारावास की सजा सुनाई थी. जज ने पूछा, आपकी गुड़िया के साथ हुआ? न्यायमूर्ति एसपी गर्ग ने आदेश में कहा कि बच्ची ने अपनी गुड़िया के निजी अंगों को हाथ लगाते हुए स्पष्टता के साथ बताया है कि उसके साथ दोषी ने क्या किया था. 
श मामले में समाज में बदनामी के डर से माता-पिता ने बच्ची की मेडिकल जांच कराने से इनकार कर दिया था. इसी का फायदा उठाते हुए दोषी ने हाई कोर्ट के समक्ष याचिका में कहा कि बच्ची के साथ किसी प्रकार की जोर-जबर्दस्ती नहीं की गई थी. उसके निजी अंगों पर नाखून के निशान नहीं मिले हैं.

शर्मसार करने वाले सवालों से बचाने के लिए दी बार्बी डॉल
दोषी के वकील के तर्कों को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति ने कहा कि नाखून के निशान नहीं मिलने का यह कतई मतलब नहीं है कि बच्ची के साथ यह वारदात नहीं हुई है. बच्ची को बचाव पक्ष के वकील के भद्दे, घटिया व शर्मसार तथा अपमानित करने वाले सवालों से बचाने के लिए ही गुड़िया दी गई थी.

हाई कोर्ट ने कहा कि पांच साल की एक बच्ची से आप इससे ज्यादा क्या उम्मीद कर सकते हैं. बच्ची के बयान को महज इस तर्क पर खारिज नहीं किया जा सकता कि उसके निजी अंगों पर दोषी के नाखून के निशान नहीं मिले थे.
क्या था ये पूरा मामला
बाहरी दिल्ली स्थित नरेला इलाके में रहने वाली पीड़िता जुलाई 2014 को वारदात के दिन सुबह अपने भाई के साथ स्कूल जा रही थी. तभी 23 साल का आरोपी हनी उनके पास आया. 
बच्ची के भाई को 10 रुपए देकर उसे चॉकलेट लेने भेज दिया और उसे वह अपने साथ ले गया और दुष्कर्म का शिकार बनाया. वारदात को अंजाम देने के बाद वह बच्ची को घर के पास छोड़कर फरार हो गया. घर के पास लगे सीसीटीवी कैमरे में उसकी तस्वीर कैद हो गई थी, जिससे वह पकड़ा गया.