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तो इस तरह 'अजय' सिंह बन गए 'योगी आदित्यनाथ'
Updated:ISTजब गुरू ने बना दिया उत्तारिधाकारी, 26 साल की उम्र में पहली बार बने सांसद
वाराणसी.आज यूपी की राजनीति में अगर कोई सबसे चर्चित चेहरा है तो वो है भाजपा के फायर नेता व गोरखपुर के सांसद योगी अदित्यनाथ। एक ऐसा नेता जिसने कई सालों से हिंदु व हिंदुत्व के मुद्दे पर यूपी ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में अपनी ललकार दिखाई। यूपी चुनाव में बीजेपी ने योगी के करीबियों को टिकट दिया है जिससे इनके समर्थकों में यह उत्साह साफ नजर आ रहा है।
गोरक्षनाथ पीठ के महंथ अवैद्यनाथ से मुलाकात
विवादित बयानों के कारण अकसर चर्चा में रहने वाले योगी का वास्तविक नाम अजय सिंह है। ये भले ही गोरखपुर से सांसद हैं पर इनका जन्म उतराखण्ड के गढ़वाल में 5 जून 1974 को एक राजपूत परिवार में हुआ था। गढ़वाल विश्विद्यालय से गणित में बीएससी करने के बाद अजय ने गोरखपुर में गुरु गोरखनाथ जी पर शोध करना शुरू किया। जिसके बाद गोरक्षनाथ पीठ के महंथ अवैद्यनाथ की दृष्टि इनपर पड़ी। महंत जी के प्रभाव में आकर अजय सिंह का झुकाव अध्यात्म की ओर हो गया। जिसके बाद ही 22 वर्ष की अवस्था में सांसारिक जीवन त्यागकर सन्यास ग्रहण कर लिया। जिसके बाद महंत ने अजय सिंह को नया नाम दिया योगी अदियानाथ।
जब सम्पूर्ण पूर्वी उत्तर प्रदेश भ्रष्टाचार, जेहाद, धर्मान्तरण, नक्सली व माओवादी हिंसा, तथा अपराध की अराजकता में जकड़ा था। उसी समय नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध मठ श्री गोरक्षनाथ मंदिर गोरखपुर के पावन परिसर में शिव गोरक्ष महायोगी गोरखनाथ के अनुग्रह 15 फरवरी सन् 1994 की शुभ तिथि पर गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ महाराज ने मांगलिक वैदिक मंत्रोच्चारणपूर्वक अपने उत्तराधिकारी पट्ट शिष्य उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ जी का दीक्षाभिषेक सम्पन्न किया।
जब योगी उपासना करने के बजाय निकल पड़े गांव-गली
संन्यासियों के प्रचलित मिथक को तोड़ते हुए योगी धर्मस्थल में बैठकर आराध्य की उपासना करने के स्थान पर आराध्य द्वारा प्रतिस्थापित सत्य एवं उनकी सन्तानों के उत्थान हेतु एक योगी की भांति गांव-गांव और गली-गली निकल पड़े। सत्य के आग्रह पर देखते ही देखते शिव के उपासक की सेना चलती रही और शिव भक्तों की एक लम्बी कतार इनके साथ जुड़ती चली गई।
जब गुरू ने बना दिया उत्तारिधाकारी, 26 साल की उम्र में पहली बार बने सांसद
महंत अवैद्यनाथ ने 1998 में राजनीति से संन्यास लिया और योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। यहीं से योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक पारी शुरू हुई है। अपने पूज्य गुरुदेव के आदेश एवं गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता की मांग पर योगी वर्ष 1998 में गोरखपुर से 12वीं लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंचे तो वह सबसे कम उम्र के सांसद थे और 26 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने।
अब तक योगी आदित्यनाथ का वर्चस्व इतना बढ़ गया है कि उनके समर्थकों के लिए इनकी कहा हुई बात कानून बन जाती है। साथ ही होली व दीपावली जैसे त्योहार कब मनाए जाएं इसका ऐलान भी यही करते हैं। यही कारण है कि गोरखपुर में हिुंदुओं के त्योहार एक दिन बाद मनाए जाते हैं।
1998 में गोरखपुर से लड़ा चुनाव
योगी आदित्यनाथ सबसे पहले 1998 में गोरखपुर से चुनाव भाजपा प्रत्याशी के तौर पर लड़े और तब उन्होंने बहुत ही कम अंतर से जीत दर्ज की। लेकिन उसके बाद हर चुनाव में उनका जीत का अंतर बढ़ता गया और वे 1999, 2004, 2009 व 2014 में सांसद चुने गए। योगी आदित्यनाथ व उनके समर्थकों ने भाजपा से मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर सारी तैयारियां पूरी कर ली हैं। मगर सोशल मीडिया पर धड़ाधड़-अबकी बार योगी सरकार, योगी जी ऑनलाइन सेना, योगी4सीएम की पोस्ट शेयर हो रही हैं। बीच में यह कयास लगाए जा रहे थे कि बीजेपी यूपी में योगी को सीएम उम्मीदवार बना सकती है। इसके लिए योगी के समर्थकों ने काफी मांग भी की पर भाजपा ने यूपी में बिना सीएम चेहरे के चुनाव लड़ने की घोषणा की जिसके बाद ये कयास खत्म हो गए। फिलहाल योगी के गढ़ में चुनाव फतह करने के लिए अन्य पार्टियों की तरह भाजपाई जुट गए हैं।
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