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know how Ajay singh became yogi Adityanath

UP Election 2017

Photo Icon जानिए 'अजय सिंह' कैसे बन गए 'योगी आदित्यनाथ'

Updated:IST    yogi
गढ़वाल विश्विद्यालय से गणित में बीएससी करने के बाद अजय ने गोरखपुर में...
Jyoti Gupta.
वाराणसी. आज यूपी की राजनीति में अगर कोई सबसे चर्चित चेहरा है तो वो है भाजपा के फायर नेता व गोरखपुर के सांसद योगी अदित्यनाथ। एक ऐसा नेता जिसने कई सालों से हिंदु व हिंदुत्व के मुद्दे पर यूपी ही नहीं बल्कि पूेर प्रदेश में अपनी ललकार दिखाई। यूपी में यह उत्साह साफ नजर आ रहा है क्योंकि अगर भाजपा 2017 के चुनाव में योगी के सीएम प्रत्याशी बनाती है तो हिंदुत्व व भापपा के लिए निश्चित फायदा होगा।
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विवादित बयानों के कारण अकसर चर्चा में रहने वाले योगी का वास्तविक नाम 'अजय सिंह' है। ये भले ही गोरखपुर से सांसद हैं पर इनका जन्म उतराखण्ड के गढ़वाल में 5 जून 1974 को एक राजपूत परिवार में हुआ था। गढ़वाल विश्विद्यालय से गणित में बीएससी करने के बाद अजय ने गोरखपुर में गुरु गोरखनाथ जी पर शोध करना शुरू किया जिसके बाद गोरक्षनाथ पीठ के महंथ अवैद्यनाथ की दृष्टि योगी पर पड़ी। महंत जी के प्रभाव में आकर अजय सिंह का झुकाव अध्यात्म की और हो गया जिसके बाद ही 22 वर्ष की अवस्था में सांसारिक जीवन त्यागकर सन्यास गृहण कर लिया। जिसके बाद महंत ने अजय सिंह को नया नाम दिया 'योगी अदियानाथ'।
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जब सम्पूर्ण पूर्वी उत्तर प्रदेश भ्रष्टाचार, जेहाद, धर्मान्तरण, नक्सली व माओवादी हिंसा, तथा अपराध की अराजकता में जकड़ा था उसी समय नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध मठ श्री गोरक्षनाथ मंदिर गोरखपुर के पावन परिसर में शिव 'गोरक्ष महायोगी गोरखनाथ' के अनुग्रह 15 फरवरी सन् 1994 की शुभ तिथि पर गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ महाराज ने मांगलिक वैदिक मंत्रोच्चारणपूर्वक अपने उत्तराधिकारी पट्ट शिष्य उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ जी का दीक्षाभिषेक सम्पन्न किया।
संन्यासियों के प्रचलित मिथक को तोड़ते हुए योगी धर्मस्थल में बैठकर आराध्य की उपासना करने के स्थान पर आराध्य के द्वारा प्रतिस्थापित सत्य एवं उनकी सन्तानों के उत्थान हेतु एक योगी की भांति गांव-गांव और गली-गली निकल पड़े। सत्य के आग्रह पर देखते ही देखते शिव के उपासक की सेना चलती रही और शिव भक्तों की एक लम्बी कतार इनके साथ जुड़ती चली गई।
महन्त अवैद्यनाथ ने 1998 में राजनीति से संन्यास लिया और योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। यहीं से योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक पारी शुरू हुई है। अपने पूज्य गुरुदेव के आदेश एवं गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता की मांग पर योगी वर्ष 1998 में गोरखपुर से 12वीं लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंचे तो वह सबसे कम उम्र के सांसद थे और 26 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने।
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अब तक योगी आदित्यनाथ का वर्चस्व इतना बढ़ गया है कि उनके समर्थकों के लिए इनकी कहा हुई बात कानून बन जाती है। साथ ही होली व दीपावली जैसे त्योहार कब मनाए जाएं इसका ऐलान भी यही करते हैं। यही कारण है कि गोरखपुर में हिुंदुओं के त्योहार एक दिन बाद मनाए जाते हैं।
योगी आदित्यनाथ सबसे पहले 1998 में गोरखपुर से चुनाव भाजपा प्रत्याशी के तौर पर लड़े और तब उन्होंने बहुत ही कम अंतर से जीत दर्ज की। लेकिन उसके बाद हर चुनाव में उनका जीत का अंतर बढ़ता गया और वे 1999, 2004, 2009 व 2014 में सांसद चुने गए। योगी आदित्यनाथ व उनके समर्थकों ने भाजपा से मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर सारी तैयारियां पूरी कर ली हैं। मगर सोशल मीडिया पर धड़ाधड़-अबकी बार यूपी में योगी जी की सरकार की पोस्ट शेयर हो रही है
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