सत्ता का दुरुपयोग करके कांग्रेस ने छपवाए थे जाली नोट, चौंकाने वाला खुलासा देख आपकी आँखें फटी रह जाएंगी
नई दिल्ली : देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस वैसे तो अपने खरबों के घोटालों व् तुश्त्करण के लिए हिन्दुओं को आतंकवादी साबित करने के प्रयासों के लिए कुख्यात है. मगर अब जो खबर सामने आ रही है, उसे पढ़कर आपको एक बानगी अपनी आँखों पर यकीन ही नहीं आएगा. सीएजी की रिपोर्ट व् कई जांच रिपोर्ट्स के जरिये कांग्रेस के इस काले कारनामे का खुलासा हुआ है.
कांग्रेस ने छपवाए जाली नोट?
2014 में रघुराम राजन के आरबीआई के गवर्नर बने. उनके गवर्नर बनने के बावजूद आरबीआई के लिए कर्रेंसी नोट छापने वाली फर्म सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मींटिंग कारपोरेशन ने पूर्व गवर्नर दुव्वुरी सुब्बाराव के हस्ताक्षर वाले नोट छापने जारी रखे. 25 फरवरी 2014 तक 372000000 गलत नोट छाप दिए गए, जिसके कारण ना केवल देश को 36.69 करोड़ रुपये का नुक्सान हुआ बल्कि नकली नोट छापने वालों के भी मजे आ गए.
इससे पहले 2010 में तो कांग्रेस ने देश की अर्थव्यवस्था को खतरे में डालने वाला एक और बड़ा खेल खेला और 1 लाख करोड़ रुपये के नोटों को छापने का काम अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी की संस्थाओं को दे दिया.
विदेशी संस्थाओं से छपवाए भारतीय नोट
इससे पहले 1997-98 में भी आरबीआई ने 1 लाख करोड़ रुपये के नोटों को छापने का काम विदेशी संस्थाओं को दिया था. सेंट्रल विजिलेंस कमिटी (सीवीसी) ने जब इस बारे में बैंक अधिकारियों से सवाल किया तो उन्होंने गोलमोल बेतुके से कारण बता कर मामला रफा-दफा कर दिया.
इस दौरान सीवीसी ने कई बार वित्त मंत्रालय से शिकायत भी की कि नोट सप्लायर्स नकली नोट छाप रहे हैं मगर तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया. यहाँ आरोप ये भी है कि सरकार की सहमति से ही गोरखधंधा चल रहा था.
पाकिस्तान ने भी शुरू किया जाली नोट छापना
विदेशों में नोट छपते रहे और वहां से नोटों की छपाई से जुडी अहम् जानकारियां पाकिस्तान तक जा पहुंची. इसके बाद पाकिस्तान में हाई गुणवत्ता के भारतीय नोट छपने लगे, जिनकी जाली होने की पहचान कर पाना तक मुश्किल था. पाकिस्तान ने बाकायदा भारी मात्रा में जाली नोट छाप-छापकर बांग्लादेश, नेपाल, श्री लंका और वियतनाम के रास्ते से भारत भेजना शुरू कर दिया.
इन्ही जाली नोटों को भारत की अर्थव्यवस्था में खपा कर आतंकवाद व् अन्य देश विरोधी गतिविधियों को हवा दी गयी. कश्मीर को देश से तोड़ने की साजिशें की जाने लगी और ये सब कांग्रेस सरकार की मिलीभगत के कारण.
2014 में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद पूरा गोरखधंधा रुका और पीएम मोदी ने सुनिश्चित किया कि नोटों की छपाई भारत में ही हो ना कि विदेशों में. ऐसा करके मोदी सरकार ने ना केवल देश के अरबों रुपये बाहर जाने से बचाये बल्कि जाली नोटों के रैकेट को भी ध्वस्त किया, जो पूर्व की निकम्मी सरकारों के कारण फल-फूल रहे थे. पाकिस्तान में जाली भारतीय नोटों की छपाई पर लगाम भी लगी.
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