Friday

इस वक़्त इस मंदिर में भक्तों को मिलता है 'पीरियड के खून' से सना कपड़ा

योनि, वेजाइना. एक ऐसा शब्द जिसे बोलने के पहले सौ बार सोचेंगे. उसके लिए दूसरे शब्द तलाशेंगे. और पीरियड्स की बात! वो तो भूल ही जाओ. आज भी देश के आधे पुरुष ये मानते हों कि पीरियड का मतलब पैड पर नीली स्याही गिरना है, तो अचंभा नहीं होगा.
मगर ऐसे ही समाज में एक मंदिर ऐसा है, जहां देवी की योनि की पूजा की जाती है. और साल में एक बार उन्हें होने वाले पीरियड पर बड़ा सा पर्व मनाते हैं.
असम में 22 जून से अंबुबाची पर्व शुरू होने वाला है. और ये अगले चार दिन यानी 25 जून तक चलने वाला है. देश भर से भक्त मंदिर में दर्शन के लिए जायेंगे. उस दौरान सिटी का ट्रैफिक थम जाएगा और सभी लोग इस फेस्टिवल को धार्मिक और पवित्र ज़ज्बे के साथ मनाएंगे. असम की सरकार ने श्रद्धालुओं को आकर्षित करने के लिए इसमें कुछ कल्चरल परफॉर्मेंसेस को भी जोड़ने का फैसला किया है.
अब सुनिए उस पर्व की कहानी, जहां मिलता है ‘पीरियड के खून’ से रंगा हुआ कपड़ा.
कामाख्या – ‘द मिथ’
कामाख्या को ‘सती’ (जो कि भगवान शिव की पत्नी थीं) का एक अवतार माना जाता है. सती की मृत्यु के बाद, शिव ने तांडव नृत्य शुरू कर दिया था. उन्हें रोकने के लिए विष्णु ने अपना चक्र छोड़ा था. जिसने सती के शरीर को 51 हिस्सों में काट दिया था. ये 51 हिस्से धरती पर जहां-जहां गिरे, उन्हें ‘शक्तिपीठ’ का नाम दिया गया. इन्हीं में से एक हिस्सा वहां गिरा, जहां पर इस वक्त कामाख्या मंदिर है.
क्यों पड़ा ये नाम?
सती का गर्भाशय जिस जगह पर गिरा था, उसका पता तब तक नहीं चल पाया था जब तक कामदेव ने उसे ढूंढा नहीं था. कामदेव ने शिव के शाप से मुक्त होने के लिए इसे ढूंढा. कामदेव का शरीर तहस-नहस हो चुका था. लेकिन उन्होंने सती की योनि ढूंढ कर उसकी पूजा की. और अपना शरीर वापस पा लिया. इसलिए इस मंदिर या देवी को कामाख्या के नाम से जाना जाता है. क्योंकि कामदेव इनकी पूजा करते थे.
कामाख्या मंदिर
ये मंदिर 1565 में नर-नारायण ने बनवाया था. अपने बनने के साथ ही ये मंदिर अंबुबाची मेले से जुड़ गया था. मंदिर के गर्भगृह (मेन हिस्सा) में देवी की कोई मूर्ति नहीं है. उनकी पूजा की जाती है एक पत्थर के रूप में. जो एक योनि के आकार का है और जिसमें से नैचुरली पानी निकलता है.

अंबुबाची मेला
अंबुबाची का पर्व ‘अहार’ (जिसे आषाढ़ कहते हैं) के महीने में आता है. आषाढ़ जून-जुलाई में आता है. जबसे कामाख्या मंदिर बना है, हर साल ये पर्व मनाया जाता है. महीने के आखिरी चार दिनों में ये मेला लगता है. ऐसा कहा जाता है कि ये वो चार दिन वो होते हैं, जब कामाख्या देवी को पीरियड आते हैं. मंदिर के दरवाज़े बंद रहते हैं. ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान मंदिर के अंदर बने हुए एक छोटे से तालाब का पानी लाल रंग में बदल जाता है. प्रसाद के तौर पर देवी का निकलने वाला पानी या फिर अंगवस्त्र (लाल कपड़ा, जिससे देवी की योनि को ढका जाता है) मिलता है. लोग ऐसा मानते हैं कि इस प्रसाद में औरतों में होने वाली पीरियड से समस्याओं को ठीक करने और उन्हें ‘बांझपन’ से मुक्त करने की ताकत होती है.
कौन जाता है इस पर्व में?
नागा साधुओं से लेकर अघोरी तक. वो लोग भी, जो ये मानते हैं कि अधर्म ही ‘निर्वाण’ को पाने का सही रास्ता है; और सभी तरह के संन्यासी इस फेस्टिवल में जाते हैं. हालांकि ये पर्व सिर्फ साधुओं और संन्यासियों के लिए नहीं है. बल्कि असम राज्य के और हिस्सों से और भारत के हर कोने से लोग देवी के दर्शन करने और उनका आशीर्वाद लेने आते हैं.
इस साल असम के चीफ मिनिस्टर सर्बानंद सोनोवाल ने इस चार दिन के पर्व में एक कल्चरल परफॉर्मेंस भी जोड़ा है. इस इवेंट में कुछ स्थानीय कलाकारों की परफॉर्मेंसेस और लोक संगीत भी प्रस्तुत किया जाएगा. इसमें मंदिर का एक स्पेशल गाइडेड टूर भी होगा और साथ ही ब्रह्मपुत्र नदी में वॉटर स्पोर्ट्स भी

आज ही के दिन क्रिकेट की दुनिया के बेताज बादशाह बन गए थे महेंद्र सिंह धोनी

आज का दिन वो दिन है जब एम एस धोनी ने वर्ल्ड क्रिकेट में एक नया इतिहास रचा था।
साल 2013 में आज ही के दिन एम एस धोनी ने चैंपियंस ट्रॉफी जीती थी और इसी के साथ वो आईसीसी के सभी इवेंट्स जीतने वाले पहले और इकलौते कप्तान बने थे। भले ही कप्तान विराट कोहली की कप्तानी में इस बार भारत चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब पाने में नाकाम रहा हो, लेकिन 2013 में महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में टीम इंडिया इस ट्रॉफी को पाने में सफल रही थी।
2013 चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में टीम इंडिया ने इंग्लैंड को पांच रनों से हराकर दूसरी बार ये खिताब अपने नाम किया था। 2002 में श्रीलंका के साथ संयुक्त रूप से विजेता बनने के बाद भारतीय टीम इस बार अकेले ही ट्रॉफी पर कब्जा जमाने में सफल हुई थी। फाइनल मैच में बारिश ने खलल डाला था। बारिश के कारण इस मैच को 20 ओवर का कर दिया गया था। इस मैच में टीम इंडिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 7 विकेट खोकर 20 ओवर में 129 रन का स्कोर बनाया था।
जवाब में इंग्लैंड की टीम 20 ओवर में 124 रन ही बना सकी थी और 5 रन से मैच हार गई थी। जडेजा-अश्विन ने 2-2 विकेट लिए थे। हरफनमौला प्रदर्शन करने वाले रविंद्र जडेजा को मैन ऑफ द मैच अवॉर्ड मिला था। आपको बता दें 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान टीम इंडिया अजेय रही थी। भारत ने अपने सभी ग्रुप मैच भी जीते थे। भारत ने अपने पहले ग्रुप मुकाबले में दक्षिण अफ्रीका को 26 रनों से हराया था। अपने दूसरे ग्रुप मुकाबले में भारत ने वेस्टइंडीज को हराया। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान को डकवर्थ लुईस नियम के आधार पर आठ विकेट से हराया।

 

संसद में स्तनपान कराने वाली पहली महिला बनी ऑस्ट्रेलिया की नेता. इसे कहते हैं महिला सशक्तिकरण!

ऑस्ट्रेलियाई सांसद लारिसा वॉटर्स संसद में स्तनपान कराने वाली पहली राजनेता बन गई हैं. ऑस्ट्रेलियाई पार्लियामेंट में एक मतदान के दौरान वॉटर्स ने अपनी 14 सप्ताह की बेटी को स्तनपान कराया. इस बच्ची का नाम आलिया जॉय है. क्वींसलैंड शहर की सीनेटर लारिसा वॉटर्स ऑस्ट्रेलियाई ग्रीन पार्टी की सह-उपाध्यक्ष भी हैं.
वॉटर्स संसद में मैटर्निटी लीव के बाद लौटी थीं. संसद में कार्यवाही के दौरान जब आलिया को भूख लगी, तो वॉटर्स ने उन्हें स्तनपान कराया. वॉटर्स ने कहा ”मुझे इस बात का गर्व है कि मेरी बेटी आलिया संघीय संसद यानि फ़ेडेरल पार्लियामेंट में स्तनपान करने वाली पहली बच्ची बनी है. हमें संसद में और महिलाओं की ज़रूरत है.”

ऑस्ट्रेलियाई संसद ने पिछले साल ही महिला सांसदों को चेंबर में स्तनपान कराने की परमिशन दी थी. इससे पहले चेंबर में बच्चों को लाने पर पाबंदी थी. महिला सांसदों को एक प्रॉक्सी वोट दिया जाता था और वे बाहर जाकर अपने बच्चों को स्तनपान करा सकती थीं. इस नियम को बदलवाने में वाटर्स की अहम भूमिका रही है.
गौरतलब है कि आठ साल पहले स्तनपान कराने के चलते ग्रीन पार्टी की युवा सदस्य सारा हनसन को उनकी दो साल की बेटी कोरा के साथ संसद से बाहर निकाल दिया गया था. आठ साल बाद ऑस्ट्रेलियाई सरकार का ये कदम उदार कहा जाएगा.

उन्होंने नवंबर में कहा था, ”अगर हम संसद में और युवा महिलाएं चाहते हैं तो हमारे नियमों के उदार और प्रोग्रेसिव होने की ज़रुरत है जिससे हाल में बच्चों को जन्म देने वाली मां और पिता, संसद और बच्चों की परवरिश की भूमिका में संतुलन ला सकें'.

स्तनपान का विषय दुनिया भर की संसद में एक संवेदनशील मुद्दा रहा है. साल 2016 में स्पेनिश सांसद कैरोलिना बेसकांसा को भी संसद में अपनी बच्ची ले जाने और स्तनपान कराने के लिए आलोचना झेलनी पड़ी थी.

Source: IndiaTimes

माता के इस मंदिर में शेर भी आते थे मत्था टेकने

THE HOOK DESK : कहा जाता है कि चोरी करना पाप है, भगवान उसे कभी माफ़ नहीं करता और अगर भगवान के घर में ही चोरी हो जाए तो महापाप होगा। लेकिन इस मंदिर में ऐसा नहीं होता...


कहा जाता है कि चोरी करना पाप है, भगवान उसे कभी माफ़ नहीं करता और अगर भगवान के घर में ही चोरी हो जाए तो महापाप होगा। लेकिन इस मंदिर में ऐसा नहीं होता...

जबकि इस मंदिर में चोरी करने पर लोगों की मनोकामना पूरी होती हैं। उत्तराखंड में वैसे तो बहुत मंदिर हैं लेकिन रूडकी के चुड़ियाला गांव स्थित प्राचीन सिद्धपीठ चूड़ामणि देवी मंदिर में नवरात्रों के मौके पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मत्था टेकने यहां आती है। 
यहां लोग दूर दराज से श्रद्धालु आकर मंदिर में प्रसाद चढ़ाकर माता के दर्शन कर मन्नतें मांगते हैं। मंदिर के पुजारी पंडित अनिरुद्ध शर्मा के अनुसार यह प्राचीन मंदिर सिद्धपीठ के रूप में मान्यता रखता है।
 
चोरी करने की प्रथा और पुत्र प्राप्ति को लोकड़ा चढ़ाने की है प्रथा। पुत्र प्रप्ति की इच्छा रखने वाले जोड़े को मंदिर में आकर माता के चरणों से लोकड़ा (लकड़ी का गुड्डा) चोरी करके अपने साथ ले जाए तो बेटा होता है और पुत्र रत्न प्राप्ति के बाद अषाढ़ माह में अपने पुत्र के साथ माता - पिता को मां के दरबार में मत्था टेकने आना होता है। जहां भंडारे के साथ ही जोड़े द्वारा ले जाए हुए लोकड़े के साथ ही एक अन्य लोकड़ा भी अपने पुत्र के हाथों से चढ़ाने की प्रथा सदियों से चली आ रही है। 
गांव की प्रत्येक बेटियां भी विवाह के पश्चात पुत्र प्राप्ति के बाद चूड़ामणि देवी मंदिर में लोकड़ा चढ़वाना नहीं भूलती हैं। यहां के लोगों का कहना है कि एक बार लंढौरा रियासत के राजा जंगल में शिकार करने आए हुए थे। जंगल में घूमते-घूमते उन्हें माता की पिंडी के दर्शन हुए।
राजा के यहां कोई पुत्र नहीं था। राजा ने उसी समय माता से पुत्र प्राप्ति की मन्नत मांगी। पुत्र प्राप्ति के बाद राजा ने सन् 1805 में मंदिर का भव्य निर्माण कराया। देवी के दर्शनों के लिए उपस्थित हुई रानी ने माता शक्ति कुंड की सीढ़ियां बनवाई।
यहां के बारे में कहा जाता है कि माता सती के पिता राजा दक्ष प्रजापति द्वारा आयोजित यज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किए जाने से क्षुब्ध माता सती ने यज्ञ में कूदकर यज्ञ को विध्वंस कर दिया था।
भगवान शिव जिस समय माता सती के मृत शरीर को उठाकर ले जा रहे थे, उसी समय माता सती का चूड़ा इस घनघोर जंगल में गिर गया था। इस मान्यता के साथ यहां माता की पिंडी स्थापित होने के साथ ही भव्य मंदिर का निर्माण किया गया।
जिस जगह पर आज भव्य मंदिर बना हुआ है पहले यहां घनघोर जंगल हुआ करता था, जहां शेरों की दहाड़ सुनाई पड़ती थी। पुराने जानकार बताते हैं कि माता की पिंडी पर रोजाना शेर भी मत्था टेकने के लिए आते थे।

महबूबा मुफ्ती की भीड़ को दो टूक- पुलिस के सब्र का इम्तिहान ना ले



 जम्मू एवं कश्मीर की CM महबूबा मुफ्ती ने DSP की पीट-पीटकर की गई हत्या की शुक्रवार को निंदा करते हुए कहा की यह महज एक DSP कि हत्या नहीं बल्कि जम्मू एवं कश्मीर के लोगों की 'विश्वास की हत्या हुई है।
आपको बताते चलें कि बिते गुरुवार रात जामिया मस्जिद के बाहर सुरक्षा में तैनात पुलिस उपाधीक्षक मोहम्मद अयूब पंडित को उग्र भीड़ ने पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। हत्या के बाद खबरें आई थीं कि भीड़ को देखते हुए वरिष्ठ अधिकारी के सुरक्षाकर्मी भाग खड़े हुए थे। लेकिन बाद मे यह पता चला की बेकाबू भीड़ को देखते पुलिस उपाधीक्षक मोहम्मद अयूब पंडित ने खुद अपने सुरक्षाकर्मियों को घर जाने को कहा था।
इस पूरे मामले पर मुख्यमंत्री महबूबा ने जम्मू एवं कश्मीर के लोगो को चेतावनी देते हुए कहा, "जम्मू एवं कश्मीर की पुलिस देश की सर्वाधिक बेहतरीन पुलिसबलों बलों में से एक है, जो कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के दौरान अधिकतम संयम बरतती है। यहां के लोगों से अपील है कि यहां के माहौल को नहीं बिगाड़े और पुलिस का सहयोग करें ना कि उनके सब्र का इम्तिहान ले, पुलिस लोगों की सुरक्षा के लिए है।

 .

शर्मनाक: वो जगह, जहां 2 लाख मर्द एक साथ रेप करते हैं

This is a pro-rape group on facebook with over 2 lakh followers, unabashed and unapologetic

ब्लोक्स एडवाइस नाम का एक फेसबुक ग्रुप मई में शुरू हुआ. आज उसके 2 लाख मेंबर हैं. ये सभी मर्द हैं.
आप सोच रहे होंगे कि इतने कम दिनों में ग्रुप के इतने मेंबर कैसे हो गए. जाहिर सी बात है, या तो धर्म से जुड़ी हुई कोई चीज होगी. या सेक्स से.
लेकिन ये ग्रुप दोनों के ही बारे में नहीं है. असल में ये रेप के बारे में है. रेप की बुराइयों के बारे में नहीं. उसकी तारीफ के बारे में. जहां पुरुष ये बताते हैं कि लड़की का किस तरह रेप किया जाए. किस तरह उसकी मर्जी के खिलाफ उससे एनल सेक्स किया जाए. और दूसरे मर्द उन बातों के मज़े लेते हैं. उसमें अपने अनुभव जोड़ते हैं.
ये सीक्रेट ग्रुप ऑस्ट्रेलिया में शुरू हुआ था. पेज के बारे में लोगों को तब पता चला जब राइटर क्लीमेंटीन फोर्ड ने अपने फेसबुक पेज से इस ग्रुप के कुछ स्क्रीनशॉट पोस्ट किए. इस ग्रुप में बहुत कुछ लिखा पाया गया. देखिए उसके दो नमूने:
‘अगर औरतों से उनकी वेजाइना, कूल्हे, मुंह और खाना पकाने की कला निकाल दी जाए, तो समाज को उनकी कोई जरूरत नहीं होगी.’
औरतों को अगर हमारे साथ सेक्स न करना हो, तो वो हमसे मीटर भर दूर ही रहें.’

अजीब दलील: ग्रुप समाज की भलाई के लिए बनाया गया है!

ये पहली बार नहीं है जब ग्रुप के बारे में पब्लिक में बातें की जा रही हैं. मई में, जब ये ग्रुप शुरू हुआ था, तब मीडिया में इसका जिक्र हुआ था. ग्रुप शुरू करने वाले ब्रोक पॉक ने डेली टेलीग्राफ को बताया था कि ये ग्रुप मर्दों ने एक-दूसरे को सहारा देने के लिए बनाया है.
‘हमने ग्रुप के कुछ नियम बनाए हैं. जो उन्हें तोड़ता है, हम उसे ग्रुप से निकाल देते हैं… हम ये चाहते हैं कि जो बातें पुरुष किसी से नहीं कह पाते, वो आपस में कह सकें. हम टीशर्ट बनाते हैं. और उन्हें बेचकर आए पैसों को चैरिटी में दे देते हैं.’
पेज की एक पोस्ट
कितनी बहकी हुई सोच है ये. अगर चैरिटी रेप से मज़े लेकर होती है, तो ऐसी चैरिटी की किसी को जरूरत नहीं है. बात ये नहीं कि ये प्रो-रेप बातें किसी सीक्रेट ग्रुप में कही जा रही हैं तो इनसे कोई नुकसान नहीं होगा. मुद्दा ये है, कि ये कैसी सोच है लोगों की? जिसमें हिंसा के नाम पर मज़े लिए जाते हैं?

लेकिन ऐसे वर्चुअल ग्रुप से औरतों को क्या नुकसान होता है?

आप कह सकते हैं कि ये तो सिर्फ बातें हैं. आप ये भी कह सकते हैं कि ऐसे बातें करने वाले लोगों का ये एक छोटा ग्रुप है. सारे मर्द ऐसे नहीं होते. जी हां, सारे मर्द ऐसे नहीं होते. लेकिन 2 लाख की संख्या कोई छोटी नहीं होती. सोचिए, इस सोच वाले मर्द दुनिया में घूम रहे हैं. हमारे आस-पास हैं. अलग अलग रूप में. इनकी बेटियां होंगी. पत्नियां होंगी. आज जब ये गैंग रेप जैसी अमानवीय हिंसा के मज़े ले सकते हैं, कल ये ऐसा सच में होते हुए देख भी मजे ले सकते हैं.

सेक्स सभी की फंतासी का हिस्सा होता है. लेकिन रेप सेक्स नहीं होता. सेक्स तो वो होता है, जिसमें दोनों पार्टनर्स की मर्जी हो. वो नहीं जिसमें मर्द औरत पर जानवर की तरह सवार हो. और औरत रो रही हो. ये किसी की भी फंतासी का हिस्सा कैसे हो सकती है. जिस समाज में ऐसे ग्रुप सुपरहिट हों, वहां की औरतें सेफ कैसे महसूस कर सकती हैं.
औरतें सेफ कैसे सेफ महसूस कर सकती हैं जब उन्हें लगे कि पब्लिक बसों, पार्कों, मॉल में उनके सामने खड़ा मर्द उनके रेप के बारे में सोच रहा है. और रेप न कर पाने की सूरत में किसी वेबसाइट पर उसको लेकर अपनी फंतासी की भड़ास निकालेगा.
रेप कल्चर की सच्चाई सचमुच बहुत डरावनी है. बहुत डरावनी.

ईद की शॉपिंग से लौट रहे जुनैद को ट्रेन में किस बात पर मार डाला गया?

(इस खबर में ऐसी तस्वीरें हैं, जिन्हें देखकर आप विचलित हो सकते हैं.)
भारत की ट्रेनों में गुंडागर्दी उतनी ही मात्रा में है, जितनी मात्रा में धरती पर पानी. यानी कि बहुत ज़्यादा. ख़ास तौर से वो ट्रेनें, जिनमें तमाम लोग रोजाना सफर करते हैं. इन ट्रेनों से रेगुलर सफ़र करने वाले कई महानुभाव ट्रेन को अपने अब्बा हुज़ूर की जागीर समझ लेते हैं. फिर सीट के लिए धमकाना, गाली-गलौज करना, पीटने जैसी घटनाएं पीछे-पीछे आएंगी ही. इस गुंडागर्दी में नया आयाम तब आ जुड़ता है, जब ये गुंडई इस्लामोफोबिया से आ मिलती है. हिंदुस्तान में इस्लामोफोबिया अपने कदम मज़बूती से जमाता नज़र आ रहा है. जालीदार टोपी से खौफ़ खाने और इसे पहनने वालों पर हमलावर होने की घटनाओं में बढ़ोतरी होने लगी है. भारत जैसे देश के लिए, जिसकी सबसे बड़ी खासियत ही इसकी धर्मनिरपेक्षता है, ये एक बेहद चिंता की बात है.
ख़बर है कि बल्लभगढ़ के पास ईएमयू ट्रेन में एक मुस्लिम लड़के का चाकू मार कर मर्डर कर दिया गया. साथ ही तीन और लड़कों को गंभीर रूप से घायल कर दिया गया. ट्रेन में मौजूद तमाम लोगों के सामने. अलग-अलग मीडिया हाउस में ख़बर चली कि लोगों को उन पर बीफ लेकर सफ़र करने का शक़ था. लेकिन FIR में इस बात का कहीं ज़िक्र नहीं है.
ट्रेन का वो डिब्बा जिसमें ये घटना हुई. इमेज सोर्स: भास्कर.
मरने वाले लड़के का नाम जुनैद है. घायल लड़कों के नाम हासिम, मोहसिन और मोईन हैं. हासिम मरने वाले लड़के जुनैद के भाई हैं. हासिम ने अपनी एफआईआर में बताया कि वो चारों हरियाणा के अपने गांव से दिल्ली ईद की शॉपिंग करने आए थे. खरीददारी निपटाकर वो इस ट्रेन से घर वापस लौट रहे थे. ये बल्लभगढ़ के खंदावली के रहने वाले हैं. इन्होंने सदर बाज़ार, दिल्ली से ट्रेन पकड़ी थी.
हासिम की तरफ से करवाई गई FIR के मुताबिक जब गाड़ी ओखला स्टेशन पहुंची तो करीब 15-20 आदमी उसमें चढ़ गए. उनमें से कुछ लोगों ने उनके साथ गाली-गलौज करनी शुरू की. ये लोग अपनी सीट पर लूडो खेल रहे थे. नए आए लोगों ने इनसे धक्का-मुक्की की और सीट से उठाने की कोशिश की. विरोध करने पर उनको पीटना शुरू किया. मुल्ले और अन्य जातिसूचक शब्द कहे. झगड़ा बढ़ने पर इन चारों ने फरीदाबाद उतरना चाहा, लेकिन भीड़ की वजह से उतर नहीं सके. बढ़ते गाली-गलौज से घबराकर इन लड़कों ने अपने गांव फ़ोन कर दिया.
डिब्बे में बिखरा ख़ून. इमेज सोर्स: भास्कर.
गांव से उन्हें लेने कुछ 5-6 लड़के बल्लभगढ़ स्टेशन आ गए. जब गाड़ी रुकी और ये लोग जाने लगे, तो उन लोगों ने फिर से गाली-गुफ्तार शुरू कर दी. हाथापाई शुरू हो गई. लेने आए लड़कों में हासिम का बड़ा भाई शाकिर भी था. वो बीच-बचाव के लिए अन्य दो लड़कों के साथ डिब्बे में चढ़ गया. इससे बौखलाए एक लड़के ने शाकिर पर चाकू से हमला बोल दिया. उसकी गर्दन में, छाती में घाव हो गए. जब शाकिर को बचाने जुनैद सामने आया, तो उस पर ताबड़तोड़ कई वार किए गए. असावटी स्टेशन पर जब गाड़ी रुकी, तो हमलावर उतर कर भाग गए. घायलों को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने जुनैद को मृत घोषित कर दिया.
हमले में घायल एक युवक.
सोशल मीडिया पर घूम रही तस्वीरों और ख़बरों के अनुसार इन लड़कों को इनकी वेशभूषा देख कर ही तंग करना शुरू कर दिया था उन पैसेंजर्स ने.
फेसबुक पर इस घटना को इन तस्वीरों के साथ शेयर किया जा रहा है. हालांकि इन तस्वीरों की पुष्टि नहीं हो पाई है.
इसके अलावा एक और बात भी है. ये घटना एक चलती ट्रेन में हुई. पूरी तरह क्राउडेड डिब्बे में. ज़ाहिर सी बात है दर्जनों लोग मौजूद होंगे वहां. लेकिन कोई भी ना तो लड़कों को बचाने सामने आया और ना ही कोई आरोपियों की निशानदेही कर रहा है. हम लोग असंवेदनशीलता में भी विश्वगुरु बनते जा रहे हैं. कैसे इतने सारे लोग किसी को अपनी आंखों के मर जाने देते हैं? कैसे कोई तड़प नहीं उठता किसी को मरता देख कर? दया, करुणा का महिमामंडन करने वाले इस मुल्क में लोग किसी की मौत जैसी बड़ी और हाहाकारी घटना पर भी आंखें बंद किए दे रहे हैं. देखा जाए तो ये एक सभ्य समाज का बड़ा ही असभ्य चेहरा है.

साउथ अफ़्रीका में जन्मा अजीबो-गरीब जीव, कोई मान रहा है करिश्मा, तो कोई समझ रहा है शैतान

आए दिन देवी-देवता और भूत-प्रेतों के अनेकों किस्से सुनने को मिलते-रहते हैं. साउथ अफ़्रीका से भी एक ऐसा ही अविश्वसनीय मामला सामने आया है. साउथ अफ़्रीका के लेडी फ़ेरेरे गांव में एक भेड़ ने ऐसे अजीबो-गरीब बच्चे को जन्म दिया है, जो देखने में आधा इंसान और आधा जानवर नज़र आता है. नवजात जानवर को लेकर, लोग तमाम तरह की अटकलें लगा रहे हैं.

लेडी फ़ेरेरे में जन्में इस भेड़ के बच्चे को देखने वाला हर शख़्श हैरान-परेशान है. हाल ही में एक किसान के घर भेड़ ने अद्भुत बच्चे को जन्म दिया. बताया जा रहा है कि जन्म के तुरंत बाद भेड़ के बच्चे की मौत हो गई थी, लेकिन कुछ ही देर बाद वो फिर से ज़िंदा हो गया. देखने में बेहद विचित्र लगने वाले, इस जानवर को कुछ लोग शैतान का रूप भी बता रहे हैं. इस जीव के जन्म के बाद से गांव के लोगों के बीच, सनसनी का माहौल है.

मामले की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची, Eastern Cape Department की टीम ने नवजात जीव के शरीर की जांच कर, ये बताया कि इस जीव के शरीर में इंसानी लक्षण नहीं है.

वहीं पूरे मामले पर, साउथ अफ़्रीका के Veterinary Services के चीफ़ डायरेक्टर डॉ. Lubabalo Mrwebi का कहना है कि 'जिस वक़्त ये बच्चा कोख़ में था, उस दौरान गांव में मच्छरों का काफ़ी प्रकोप था. ऐसा मुमकिन है कि भेड़ की मां रिफ़्ट वैली बुख़ार की चपेट में आ गई हो और जींस में गड़बड़ी की वजह से इस जीव का जन्म हुआ. हलांकि, ये पूरा मसला क्या है, ये जांच की रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा.

सोने की तस्करी के लिए Wheelchair पर बैठ विकलांग बन जाता था ये आदमी, आखिरकार पकड़ा गया

दु​बई और बाकी खाड़ी देशों में सोना, भारत के मुकाबले सस्ता है. यही कारण है कि अकसर यहां से सोने की तस्करी होती है. तस्करों ने कस्टम से बचने के लिए अपने अलग-अलग जुगाड़ बनाए हुए हैं. बीते 21 जून को दुबई से भारत आई Jet Airways की फ़्लाइट संख्या 9W 535 के बाथरूम से करीब 34 लाख का बेनाम सोना बरामद हुआ. सोने की ईंट से भरे दो पैकट जहाज़ के बाथरूम में, आइने के पीछे की जगह में काले रंग के टेप से बंधे चुपके हुए थे. AIU के अधिकारियों ने गुप्त सूचना मिलने पर छान-बीन चालू की गयी.

Source- Steindia  Representational Image
दोनों पैकट में करीब पांच-पांच सोने की ईंट थीं, प्रति ईंट वज़न करीब 10 तोला था. इसका कुल वज़न 1160 ग्राम था, जिसकी कीमत 34,80,000 रुपये थी. इस सोने को ज़ब्त कर सीज़ कर दिया गया.
जांच करते वक़्त AIU के अधिकारियों ने Wheelchair पर जा रहे यात्री Nimisha Jentilal Gudhka की तलाशी की. जांच में निमिशा के पास से आठ सोने की ईंट मिलीं, जिनका कुल वज़न करीब 660 ग्राम और कीमत 19,80,000 रुपये था. कस्टम आॅफिसर ने Customs Act, 1962 के तहत सोना ज़ब्त कर सीज़ कर दिया. निमिशा ने ये ईंट आपनी पैंट और वॉलेट में छिपा कर रखी थी. इस व्यक़्ति का गुजरात में इलेक्ट्रॉनिक और फर्नीचर का व्यापार था और वो व्हीलचेयर का इस्तेमाल कस्टम से बचने के लिए करता था.

Source- Amsvans   Representational Image
style="background-color: white; color: #616161; font-family: hind; font-size: 16px; line-height: 34px; padding: 20px 0px;"> इसके बाद AIU अधिकारियों ने देर रात बैंकॉक से आ आई Jet Airways की फ़्लाइट संख्या 9W067 की जांच की, जिसमें 12 सोने के ईंट बरामद हुईं. इनका कुल वज़न 1998 ग्राम था और कीमत करीब 59,94,000 रुपये थी. तस्करी कर रहा व्यक्ति Ravikiran Ghanshyambhai Gohel भी गुजरात का था. दोनों तस्करों ने स्वीकार लिया कि सोना उन्हीं का था, जिसके बाद उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया. 

दो साल के अंदर देश के हर जिले में बनेंगे पासपोर्ट



 अगले दो साल के भीतर देश के सभी 800 जिलों में पासपोर्ट बनवाने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। केंद्र सरकार की इन सभी जिलों के हेड पोस्ट ऑफिस में पासपोर्ट सेवाएं मुहैया कराने की योजना है।
  इस साल 150 पोस्ट ऑफिस सेवा केंद्र खोले जा रहे हैं और दो साल के अंदर सभी 800 प्रधान डाकघरों में ये सेवा आरंभ कर दी जाएगी। इस बार बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस योजना की घोषणा की थी।
ये सुविधा देश के सभी जिलों के डाकघरों में उपलब्ध कराई जानी है जिसके तहत पोस्ट ऑफिस में ही पासपोर्ट के आवेदनों को प्रोसेस करके डिलिवरी की जाएगी। इसके लिए विदेश मंत्रालय पासपोर्ट एक्ट के तहत मिले अधिकार डाक विभाग के साथ साझा कर रहा है।

सरकार ने कहा कि हमने ये सुनिश्चित करने का फैसला किया है कि किसी भी नागरिक को पासपोर्ट के लिए दूर तक यात्रा न करनी पड़े। आज सुदूर इलाकों में रहने वाले लोग पासपोर्ट संबंधी समस्याओं के निवारण के लिए दूर-दूर तक जाने को मजबूर हैं। केंद्र सरकार के इस फैसले को अमलीजामा पहनाने के लिए विदेश मंत्रालय और डाक विभाग मिलकर काम कर रहे हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों के प्रधान डाकघरों में पहले से ही कई जगह पासपोर्ट सेवा केंद्र स्थापित किए जा चुके हैं।

900 करोड़ साल पहले विलुप्त हुए कोबरा की मिली प्रजाति

THEHOOK DESK: तेलंगाना के खम्मम जिले के रामपुर गांव में एक किसान के घर ऐसा कोबरा मिला है जिसकी प्रजाति 900 करोड़़ साल पहले विलुप्त हो चुकी है।

तेलंगाना के खम्मम जिले के रामपुर गांव में एक किसान के घर ऐसा कोबरा मिला है जिसकी प्रजाति 900 करोड़़ साल पहले विलुप्त हो चुकी है।

 इस सांप के पैर भी हैं और नाखून भी जो शरीर के बीचों-बीच मौजूद है। यह सांप 6 फीट लंबा है। जब किसान के परिवार ने वन विभाग को इसकी सूचना दी, तो वे फौरन वहां पहुंच गए और सांप को पकड़ लिया।
सांप के पैर होने की खबर पर यकीन कर पाना मुश्किल है। लेकिन जब लोगों को ऐसे विचित्र जीव की खबर मिली, तो देखने वालों का तांता लग गया।
गौरतलब है कि भारत में कोबरा को पूजा जाता है। लेकिन 'सांप और संपेरों के देश' भारत में ऐसा कुछ पहले कभी नहीं देखा गया।  

ये है दुबई का सबसे बड़ा गुरुद्वारा, यहां शेख भी टेकने आते हैं मत्था



 इंडियंस जिस भी देश में जाते हैं, वहां अपनी पहचान बना लेते हैं। वहीं, अगर बात सिखों की करें तो वे जिस देश में भी गए, वहां गुरुघर स्थापित कर लिए, जिससे कि वहां दिन-रात लंगर चलें और भूखे अपना पेट भर सकें।
इसी कड़ी में हम बात कर रहे हैं दुबई के जेबल अली इलाके में स्थित गुरुद्वारे की, जो यूएई का सबसे बड़ा गुरुद्वारा है। यहां रोजाना लंगर चलता है, लेकिन शुक्रवार का दिन स्पेशल होता है। यहां हरेक शुक्रवार को 100 लीटर चाय, 200 किलो चावल, 120 किलो आटा, 150 किलो दाल के लंगर की व्यवस्था की जाती है। 
इस दिन यहां तकरीबन 10 हजार श्रद्धालू पहुंचते हैं और बाकी दिनों की कहानी भी ऐसी ही रहती है। बैसाखी के दिन तो यहां 50,000 से अधिक लोग माथा टेकने पहुंचते हैं। इतना ही नहीं, यहां शुक्रवार को दुबई के शेखों की भी भारी तादात देखी जा सकती है। रमजान के पवित्र महीने में तो यहां पूरे महीने रोजा इफ्तारी की व्यवस्था होती है, जिसमें हजारों की संख्या में मुस्लिम पहुंचते हैं।
सूर्य की पहली किरण सीधे दरबार साहिब में पहुंचती है
गुरुद्वारे की खासियत यह है कि इसके निर्माण में दुनिया भर के कई देशों से खास स्टोंस और मार्बल्स मंगवाए गए थे। गुरुद्वारे का निर्माण भी इस तरह से किया गया है कि सूर्य की पहली किरण सीधे दरबार साहिब पर पहुंचती है। यह नजारा इतना सुंदर होता है कि इसे देखने गुरुद्वारे में लोगों की भीड़ जमा रहती है।
गुरुद्वारे की अन्य खासियतें
- 5 स्टार किचन
- आलिशान पर्पल कॉरपेट
- आकर्षक झूमर
- मनमोहक लाइट डेकोरेशन
- खूबसूरत डोम
- ऑटोमेटिक गेट
- सोने और चांदी की खास कारीगरी

- 24 किलो गोल्ड से बनी पालकी साहिब

अमेरिका के थिंक टैंक ने ट्रंप को चेताया, चीन को नहीं भारत को तरजीह दो



अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन के साथ दोस्ती बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। इस बीच अमेरिका के शीर्ष थिंक टैंक ने उन्हें भारत को अधिक तरजीह देने की सलाह दी है।
अमेरिका के लिए भारत को 'बेहद अहम' बताते हुए ऐटलैंटिक काउंसिल ने ट्रंप प्रशासन से कहा कि चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए अमेरिका को भारत की जरूरत होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले अमेरिका के शीर्ष थिंक टैंक 'ऐटलैंटिक काउंसिल' ने अपने पॉलिसी पेपर 'ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया फ्रॉम अ बैलेंसिंग टू लीडिंग पावर' में कहा, 'चीन ने आर्थिक और सैन्य दोनों मोर्चों पर प्रगति की है, इस बात को देखते हुए अमेरिका को अपने वैश्विक और क्षेत्रीय प्रभुत्व सुनिश्चित करने के लिए वहां अपने संसाधन लगाने की आवश्यकता है।' 
पॉलिसी पेपर को पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी और साउथ एशिया सेंटर ऑफ द ऐटलैंटिक काउंसिल के निदेशक भारत गोपालस्वामी ने संयुक्त रूप से लिखा है। इसमें कहा गया है कि ट्रंप को यह भरोसा देने की जरूरत है कि भारत केवल पेइचिंग के पावर को बैलेंस करने के लिए क्षेत्रीय सहारा नहीं है, बल्कि अमेरिकी विदेश नीति में सर्वोच्च प्राथमिकता पर है। 

थिंक टैंक ने कहा, 'हालांकि ट्रंप ने अब तक पेइचिंग के साथ घनिष्ठता बढ़ाने के पक्षधर हैं, लेकिन भारत-अमेरिका के रिश्तों में मजबूती बढ़ते रहने के लिए और पहल और कोशिश की जरूरत है। भारत के प्रति इरादे को दिखाने के लिए सेनेटर जॉन मैकेन की ओर से प्रस्तावित एशिया-पसिफिक इनिशटिव एक प्रभावी रास्ता हो सकता है। प्रस्तावित 7.5 बिलयन डॉलर फंडिंग को यदि अप्रूव कर दिया जाता है तो आने वाले समय के लिए यह नई शुरुआत हो सकती है।' 

रूस से भारत आएंगी महाविनाशक रायफल HECKLER



 पिछले 25 साल से भारतीय सशस्त्र बलों और सेना का साथ निभा रहे इनसास रायफल की जगह ज्यादा घातक हथियार की खोज शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 250 अरब डॉलर की लागत से आधुनिकीकरण की योजना पर आगे बढ़ रहे हैं।
रक्षा मंत्रालय इसी के मद्देनज़र पुरानी हो चुकी इनसास रायफलों को बदलने की प्रक्रिया शुरू कर रहा है। 12 लाख सैनिकों को अब अत्याधुनिक नए मॉडल के हथियार दिए जाएंगे। तुरंत एक लाख 85 हजार रायफल खरीदने की प्रक्रिया शुरु की जा रही है।
कहा जा रहा है कि Heckler and Koch HK416 A5 Assault Rifle जल्द ही भारत आ जाएगी। रूस से भारत आने वाली इस रायफल को अगर मौत का दूसरा नाम भी कहा जाए तो कुछ गलत नहीं होगा।
इसके लिए ग्लोबल टेंडर निकाला जाएगा। कॉन्ट्रैक्ट होने के 38 महीने के भीतर 65 हजार रायफल मंगा लिए जाएंगे। रक्षा मंत्रालय ने इस बारे में ग्लोबल हथियार निर्माताओं से सूचना मांगी है। ये सूचनाएं नवंबर तक इकट्ठा हो जाएगी।

इनसास रायफल स्वदेशी हथियार है जिसे भारत सरकार के आयुध कारखाने में बनाया जाता है। शुरु में इसकी काफी चर्चा हुई लेकिन अब जानकारों का कहना है कि इनसास रायफल अति विश्वसनीय नहीं हैं। खास कर अगर दुश्मन पास हो तो क्लोज रेंज लड़ाई में इसकी विश्वसनीयता संदिग्ध रहती है। इसलिए सरकार को ये फैसला लेना पड़ा। नए रायफल की एक गोली आसानी से 15 इंसानों के आर पर हो सकती है।