Friday

ईद की शॉपिंग से लौट रहे जुनैद को ट्रेन में किस बात पर मार डाला गया?

(इस खबर में ऐसी तस्वीरें हैं, जिन्हें देखकर आप विचलित हो सकते हैं.)
भारत की ट्रेनों में गुंडागर्दी उतनी ही मात्रा में है, जितनी मात्रा में धरती पर पानी. यानी कि बहुत ज़्यादा. ख़ास तौर से वो ट्रेनें, जिनमें तमाम लोग रोजाना सफर करते हैं. इन ट्रेनों से रेगुलर सफ़र करने वाले कई महानुभाव ट्रेन को अपने अब्बा हुज़ूर की जागीर समझ लेते हैं. फिर सीट के लिए धमकाना, गाली-गलौज करना, पीटने जैसी घटनाएं पीछे-पीछे आएंगी ही. इस गुंडागर्दी में नया आयाम तब आ जुड़ता है, जब ये गुंडई इस्लामोफोबिया से आ मिलती है. हिंदुस्तान में इस्लामोफोबिया अपने कदम मज़बूती से जमाता नज़र आ रहा है. जालीदार टोपी से खौफ़ खाने और इसे पहनने वालों पर हमलावर होने की घटनाओं में बढ़ोतरी होने लगी है. भारत जैसे देश के लिए, जिसकी सबसे बड़ी खासियत ही इसकी धर्मनिरपेक्षता है, ये एक बेहद चिंता की बात है.
ख़बर है कि बल्लभगढ़ के पास ईएमयू ट्रेन में एक मुस्लिम लड़के का चाकू मार कर मर्डर कर दिया गया. साथ ही तीन और लड़कों को गंभीर रूप से घायल कर दिया गया. ट्रेन में मौजूद तमाम लोगों के सामने. अलग-अलग मीडिया हाउस में ख़बर चली कि लोगों को उन पर बीफ लेकर सफ़र करने का शक़ था. लेकिन FIR में इस बात का कहीं ज़िक्र नहीं है.
ट्रेन का वो डिब्बा जिसमें ये घटना हुई. इमेज सोर्स: भास्कर.
मरने वाले लड़के का नाम जुनैद है. घायल लड़कों के नाम हासिम, मोहसिन और मोईन हैं. हासिम मरने वाले लड़के जुनैद के भाई हैं. हासिम ने अपनी एफआईआर में बताया कि वो चारों हरियाणा के अपने गांव से दिल्ली ईद की शॉपिंग करने आए थे. खरीददारी निपटाकर वो इस ट्रेन से घर वापस लौट रहे थे. ये बल्लभगढ़ के खंदावली के रहने वाले हैं. इन्होंने सदर बाज़ार, दिल्ली से ट्रेन पकड़ी थी.
हासिम की तरफ से करवाई गई FIR के मुताबिक जब गाड़ी ओखला स्टेशन पहुंची तो करीब 15-20 आदमी उसमें चढ़ गए. उनमें से कुछ लोगों ने उनके साथ गाली-गलौज करनी शुरू की. ये लोग अपनी सीट पर लूडो खेल रहे थे. नए आए लोगों ने इनसे धक्का-मुक्की की और सीट से उठाने की कोशिश की. विरोध करने पर उनको पीटना शुरू किया. मुल्ले और अन्य जातिसूचक शब्द कहे. झगड़ा बढ़ने पर इन चारों ने फरीदाबाद उतरना चाहा, लेकिन भीड़ की वजह से उतर नहीं सके. बढ़ते गाली-गलौज से घबराकर इन लड़कों ने अपने गांव फ़ोन कर दिया.
डिब्बे में बिखरा ख़ून. इमेज सोर्स: भास्कर.
गांव से उन्हें लेने कुछ 5-6 लड़के बल्लभगढ़ स्टेशन आ गए. जब गाड़ी रुकी और ये लोग जाने लगे, तो उन लोगों ने फिर से गाली-गुफ्तार शुरू कर दी. हाथापाई शुरू हो गई. लेने आए लड़कों में हासिम का बड़ा भाई शाकिर भी था. वो बीच-बचाव के लिए अन्य दो लड़कों के साथ डिब्बे में चढ़ गया. इससे बौखलाए एक लड़के ने शाकिर पर चाकू से हमला बोल दिया. उसकी गर्दन में, छाती में घाव हो गए. जब शाकिर को बचाने जुनैद सामने आया, तो उस पर ताबड़तोड़ कई वार किए गए. असावटी स्टेशन पर जब गाड़ी रुकी, तो हमलावर उतर कर भाग गए. घायलों को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने जुनैद को मृत घोषित कर दिया.
हमले में घायल एक युवक.
सोशल मीडिया पर घूम रही तस्वीरों और ख़बरों के अनुसार इन लड़कों को इनकी वेशभूषा देख कर ही तंग करना शुरू कर दिया था उन पैसेंजर्स ने.
फेसबुक पर इस घटना को इन तस्वीरों के साथ शेयर किया जा रहा है. हालांकि इन तस्वीरों की पुष्टि नहीं हो पाई है.
इसके अलावा एक और बात भी है. ये घटना एक चलती ट्रेन में हुई. पूरी तरह क्राउडेड डिब्बे में. ज़ाहिर सी बात है दर्जनों लोग मौजूद होंगे वहां. लेकिन कोई भी ना तो लड़कों को बचाने सामने आया और ना ही कोई आरोपियों की निशानदेही कर रहा है. हम लोग असंवेदनशीलता में भी विश्वगुरु बनते जा रहे हैं. कैसे इतने सारे लोग किसी को अपनी आंखों के मर जाने देते हैं? कैसे कोई तड़प नहीं उठता किसी को मरता देख कर? दया, करुणा का महिमामंडन करने वाले इस मुल्क में लोग किसी की मौत जैसी बड़ी और हाहाकारी घटना पर भी आंखें बंद किए दे रहे हैं. देखा जाए तो ये एक सभ्य समाज का बड़ा ही असभ्य चेहरा है.

No comments:

Post a Comment