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निर्भया की मां बोलीं- मेरी बेटी का नाम ज्योति था, मुझे यह बताने में कोई शर्मिंदगी नहीं




नई दिल्ली.दिल्ली गैंगरेप केस के तीन साल बाद निर्भया की मां ने बुधवार को कहा, ‘मेरी बेटी का नाम ज्योति सिंह था और मुझे उसका नाम बताने में कोई शर्म महसूस नहीं होती।’ निर्भया केस के 3 साल पूरे होने पर दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक प्रोग्राम रखा गया। इसी में निर्भया की मां आशा देवी ने यह बात कही। उनके साथ पति बद्रीनाथ भी मौजूद थे।
क्या हुआ था 16 दिसंबर, 2012 की रात?

- दिल्ली में पैरामेडिकल की स्टूडेंट 23 साल की निर्भया 16 दिसंबर की रात अपने दोस्त के साथ मूवी देखकर लौट रही थी।
- वह एक बस में अपने दोस्त के साथ बैठी। बस में मौजूद कुछ लोगों ने उसे धोखे से बैठा लिया था।
- छह बदमाशों ने निर्भया से बर्बरता के साथ चलती बस में गैंगरेप किया था। बाद में उसे और उसके दोस्त को रास्ते में फेंक दिया था।
- 13 दिन बाद इलाज के दौरान सिंगापुर में निर्भया की मौत हो गई थी। देशभर में गैंगरेप केस का बड़े पैमाने पर विरोध हुआ था।
- एक दोषी ने तिहाड़ में फांसी लगा ली थी। चार को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। एक जुवेनाइल था, जिसे 20 दिसंबर को रिहा किया जाना है।

निर्भया की मां ने और क्या कहा?
- मुझे अपनी बेटी का नाम लेने में शर्म महसूस नहीं होती। जो कोई इस पीड़ा से गुजरा हो, उसे नाम नहीं छुपाना चाहिए।
- शर्म तो गुनाह करने वाले को आनी चाहिए और उसे अपना नाम छुपाने की जरूरत महसूस होनी चाहिए।

- आज से हर किसी को यह मालूम होना चाहिए कि मेरी बेटी का नाम ज्योति सिंह था।
- तीन साल पहले हमारी बेटी के साथ हैवानियत हुई थी। समाज और देश ने भी हमारे दुख को महसूस किया था। लेकिन आज तक बदला कुछ नहीं।
- मेरी बेटी की तीसरी बरसी पर दोषी को रिहा किया जा रहा है। ये कैसा इंसाफ है?
निर्भया के पिता ने क्या कहा?
- हमें दुख है कि आज तक निर्भया के दोषियों को फांसी नहीं दी गई। वे सभी आज भी जिंदा हैं।
- सबसे ज्यादा दोषी जिसे जुवेनाइल बताया गया था, उसे बचाने की कोशिश हो रही है। उसे 10 हजार रुपए और सिलाई मशीन देने की बात दिल्ली सरकार कर रही है।
- जबकि उसे फांसी दी जानी चाहिए। अगर उसे छोड़ा गया तो इसका मतलब है कि सरकार अपराध को लाइसेंस दे रही है।
दिल्ली के जंतर-मंतर पर निर्भया चेतना दिवस
जंतर-मंतर पर बीजेपी नेता किरण बेदी, गीतकार जावेद अख्तर, एक्ट्रेस शबाना आजमी, कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी, बरखा सिंह आदि निर्भया के माता-पिता के साथ मौजूद थे। यहां निर्भया चेतना दिवस मनाया गया।

लोकसभा में हेमा मालिनी ने भी उठाई आवाज
लोकसभा में बीजेपी सांसद हेमा मालिनी ने कहा, "निर्भया केस के वक्त नाबालिग रहे दोषी को भी बाकी दोषियों जैसी सजा दी जानी चाहिए। इस केस में नाबालिग ही सबसे ज्यादा क्रूर था। वह हैवान है। वह रिहैबिलिटेशन से नहीं सुधरेगा। उसे ऐसी सजा मिलनी चाहिए कि हर किसी के मन में कानून का डर बना रहे।
वह ज्योति है यह पूछती, जो हुआ क्यों हुआ, कब तक होगा?

जावेद अख्तर, शबाना आजमी जैसे दिग्गज जंतर-मंतर पर जुटे थे। तीसरे निर्भया चेतना दिवस पर हुए कार्यक्रम में। यह कविता जावेद अख्तर ने वहीं पढ़ी...

‘एक दीपक अंधेरी रात में, वासना-हिंसा के हाथों बुझा, उसकी ज्योति मगर आज भी हमारे साथ है, वह ज्योति है यह पूछती- जो हुआ क्यों हुआ? जो हुआ वो कब तक आखिर होता रहेगा।। तुम मुझे याद करते हो बस इतना काफी नहीं है, वासना के इस गंदे सैलाब को रोकना है तुम्हें...तुम सोचो कि यह करने के लिए, तुमको करना है क्या, हमको करना है क्या, सबको करना है क्या।’




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