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प्रमोशन में आरक्षण के लिए नया नियम बना रही है मोदी सरकार


नई दिल्ली। सरकारी कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण देने के मसले पर सरकार सहमत हो गई है। सरकार का मानना है कि सभी विभागों में खासतौर पर निचले कैडर में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोगों के लिए तय सीमा तक आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए। इस समय विभिन्न मंत्रलयों और विभागों में एससी और एसटी के लिए 15 फीसद और 7.5 फीसद का कोटा ही पूरा नहीं हो पा रहा है। संबंधित विभागों को यह सुनिश्चित करने के लिए जल्द ही निर्देश जारी किए जाएंगे।


राजनीतिक रूप से भी सरकार का यह कदम अहम माना जा रहा है क्योंकि यह खासतौर पर बसपा जैसी पार्टियों के मुद्दे को भी खत्म कर देगा। सरकार के कार्मिक विभाग ने प्रमोशन में आरक्षण के मसले पर एम. नागराज बनाम केंद्र सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अमल में लाने के लिए बनाई रिपोर्ट पर सहमति जताई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को समान अवसर और उनके समेकित विकास के लिए जरूरी है कि उनके लिए प्रमोशन में आरक्षण की सुविधा जारी रहे। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार के कई कैडर में एससी और एसटी वर्ग के लोगों की हिस्सेदारी संविधान में उनके लिए तय सीमा से भी कम है। इसलिए वक्त की जरूरत है कि जब तक आरक्षण तय सीमा तक न पहुंच जाए, उन्हें यह लाभ मिलता रहे।

अब आगे क्या
मंत्रियों की समिति से प्रमोशन में आरक्षण पर मुहर लगते ही प्रस्ताव मंत्रिमंडल के भेजा पास जाएगा। आरक्षण के लिए संविधान में संशोधन की जरूरत होगी, इसलिए संबंधित विधेयक पर मंत्रिमंडल की स्वीकृति लेनी होगी। संविधान संशोधन विधेयक संसद में पेश किया जाएगा।

मौजूदा स्थिति
वर्तमान में किसी भी विभाग में होने वाली 14 नियुक्तियों में अनुसूचित जाति को मिलने वाले 15 फीसद आरक्षण के हिसाब से दो पद आरक्षित रखे जाते हैं लेकिन वास्तविकता में निचले कैडर में अभी इस वर्ग के लोगों को केवल एक ही पद मिल रहा है। ताजा प्रस्ताव के मुताबिक अब निचले कैडर के कर्मियों को भी प्रमोशन के दो पद एससी के लिए आरक्षित रखना होगा।कार्मिक विभाग ने माना है कि विभिन्न मंत्रलयों और विभागों में अभी भी एससी और एसटी के लिए 15 और 7.5 फीसद के आरक्षण की सीमा तक नहीं पहुंचा जा सका है।’

मंत्रियों की समिति से मुहर लगते ही कैबिनेट में जाएगा प्रस्ताव
आरक्षण की तय सीमा तक होगा एससी-एसटी का प्रतिनिधित्वराजनीतिक पहलू1इस के राजनीतिक पहलू को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। खासकर तब जबकि हाल के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा और बसपा जैसी पार्टियां हाशिये पर खड़ी होने लगी हैं। बसपा के लिए प्रमोशन में आरक्षण एक बड़ा मुद्दा रहा था, उसे केंद्र की भाजपा सरकार पूरा करने जा रही है और वह भी ऐसे वक्त में जबकि बसपा संसद में प्रभावी समर्थन या विरोध करने की स्थिति में ही नहीं है।

राजनीतिक पहलू
इस कदम के राजनीतिक पहलू को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। खासकर तब जबकि हाल के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा और बसपा जैसी पार्टियां हाशिये पर खड़ी होने लगी हैं। बसपा के लिए प्रमोशन में आरक्षण एक बड़ा मुद्दा रहा था, उसे केंद्र की भाजपा सरकार पूरा करने जा रही है और वह भी ऐसे वक्त में जबकि बसपा संसद में प्रभावी समर्थन या विरोध करने की स्थिति में ही नहीं है।

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