विदेशियों का आसान समेकन
जर्मनी में अगस्त 2012 में लागू हुए ब्लू कार्ड लेने वाले के यूरोपीय संघ के किसी भी देश में काम करने के अवसर खुल जाते हैं. इसके लिए यूरोपीय संघ के बाहर का कोई व्यक्ति आवेदन कर सकता है. किसी जर्मन यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने आए छात्र भी पढ़ाई पूरी करने के बाद 18 महीने तक जर्मनी में रहकर नौकरी की तलाश कर सकते हैं.
पूरे ईयू में कहीं भी
ब्लू कार्डधारी को डेनमार्क, आयरलैंड और ब्रिटेन को छोड़कर यूरोपीय संघ के किसी देश में काम करने की अनुमति मिल जाती है. शर्त इतनी है कि उस व्यक्ति ने यूरोप से बाहर किसी देश में कॉलेज की पढ़ाई पूरी की हो और उसके पास सालाना न्यूनतम 48,400 यूरो वेतन की नौकरी का कॉन्ट्रैक्ट हो. डॉक्टरों और इंजीनियरों जैसे भारी मांग वाले पेशेवरों का आवेदन तो सालाना 37,752 यूरो वेतन पर भी स्वीकार्य है.
खास क्षेत्रों में भारी मांग
जर्मनी में कई क्षेत्रों में विशेषज्ञों की भारी कमी है जैसे कि मेकैनिकल इंजीनियरों, डॉक्टरों और नर्सों की. इसके अलावा कई विषयों में शोध और विकास कार्य करने वालों की भी काफी कमी है. आंकड़ों के मुताबिक 2020 तक जर्मनी में करीब दो लाख चालीस हजार इंजीनियरों की कमी होगी. इसलिए जाहिर है कि इन क्षेत्रों में प्रशिक्षित लोगों को ब्लूकार्ड मिलना और आसान
भारत में यहां से लें जानकारी
जर्मन सरकार ने इसके लिए एक वेबपोर्टल बनाया है, जिसका नाम है 'मेक इट इन जर्मनी'. यहां आपको जर्मनी में रहने से जुड़े तमाम विषयों पर जानकारी मिल सकती है. ब्लूकार्ड के बारे में और जानकारी भारत में अपने निकटतम जर्मन दूतावास या कॉन्सुलेट से ले सकते हैं. भारत के कई शहरों में काम करने वाले गोएथे इंस्टीट्यूट भी जर्मन भाषा और उससे जुड़ी जानकारी के लिए उत्तम केंद्र हैं.
परिवार भी रहे साथ
केवल 2014 में ही करीब 12,000 लोगों को ब्लू कार्ड दिया गया है. कार्ड लेने के साथ ही कार्डधारक के परिवार को भी फायदा होता है. वह अपने परिवार को जर्मनी ला सकता है और इसके लिए उन्हें जर्मन भाषा का ज्ञान होने की शर्त नहीं होती. इसके अलावा ब्लू कार्ड धारकों के पार्टनर भी नौकरी कर सकते हैं.
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