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जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबलों ने पथराव के बाद की फायरिंग, एक की मौत,



 श्रीनगर। श्रीनगर में शनिवार को सुरक्षा बलों द्वारा कथित तौर पर प्रदर्शनकारियों पर की गई गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई। पुलिस ने बताया कि वह व्यक्ति की मौत की परिस्थितियों की जांच कर रही है।

जानकारी के मुताबिक उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले के तंगमार्ग इलाके के रहने वाले व्यक्ति सजाद अहमद की बटमालू इलाके में मौत हुई, हालांकि पुलिस ने इलाके में किसी तरह के सुरक्षा बल की तैनाती से इनकार किया है।



पत्थरबाजी के बाद चलाई गोलियां
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, "हमने इलाके में कोई सुरक्षा बल तैनात नहीं किया है। हम मामले की जांच कर रहे हैं।" जानकारी के मुताबिक अर्धसैनिक बल के वाहन पर पत्थरबाजी की गई, जिसके बाद सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई।

व्यक्ति की पहचान हुई
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि मारे गए व्यक्ति की पहचान सज्जाद अहमद के रूप में की गई है। वह बारामूला के चंदूसा का रहने वाला था। बटमालू के रेका चौक पर सुरक्षा बल पर पथराव किए जाने पर सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने गोलियां चलाई थी। अधिकारी ने बताया कि घटना के बाद क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया और सभी दुकानें बंद कर दी गईं।



BJP राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक: मिशन 2019 के लिए अमित शाह करेंगे भारत भ्रमण



भुवनेश्वर:भारतीय जनता पार्टी की राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक ओडिशा में जारी है। बैठक में पहले दिन पांच राज्‍यों के चुनावी नतीजों, उपचुनाव के परिणामों के अलावा आगामी विधानसभा चुनावों के लिए रणनीति पर चर्चा हुई। बैठक के बाद रविशंकर प्रसाद मीडिया से मुखातिब हुए।रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पार्टी अध्‍यक्ष अमित शाह ने साफ निर्देश दिया है कि कार्यकर्ताओं और नेताओं को आलस्‍य नहीं करना है। वर्किंग कमेटी के लोग बूथों पर जाएंगे। यहां तक की अध्‍यक्ष खुद चार प्रदेशों में जाएंगे। सभी पदाधिकारियों से अपील की गई है कि वे 15 दिन तक बूथ पर रहें। रविशंकर प्रसाद के मुताबिक, अमित शाह सितंबर से लगातार 95 दिनों तक भारत का दौरा करेंगे और संगठन के लोगों से मिलेंगे।
EVM पर दोष मढ़ना चुनाव आयोग का अपमान-बीजेपी
बैठक में अमित शाह ने कहा कि जनता के आशीर्वाद और कार्यकर्ताओं के प्रयासों से ही राज्यों के चुनावों में बीजेपी की जीत हुई है। कुछ लोग हारने का बहाना खोज रहे हैं और उस बहाने में ईवीएम की चर्चा हो रही है। प्रसाद के मुताबिक, बैठक में शाह ने कहा, हमने उम्‍मीद की थी कि राजनैतिक दल ईमानदारी से हार स्‍वीकार करेंगे लेकिन वे बहाने बना रहे हैं। ईवीएम को दोष देना चुनाव आयोग का अपमान है। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि बैठक में शाह ने केरल में जारी राजनैतिक हिंसा पर चिंता जताई, जहां लेफ्ट की सरकार बनने के बाद राज्‍य में हत्‍याओं की संख्‍या बढ़ गई है।
पीएम ने किया रोड शो
बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी भी हिस्सा ले रहे हैं। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एयरपोर्ट से बैठक स्थल तक रोड शो किए। जिसमें सड़क के दोनों किनारे बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। दरअसल ओडिशा में पंचायत चुनावों में मिली भारी सफलता से बीजेपी राज्य में सत्ता पाने के लिए ऐंडी चोंटी एक किए हुए हैं।
बैठक में आडवाणी, वेंकैया समेत कई नेता शामिल
राष्ट्रीय कार्यकारणी बैठक में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, वेंकैया नायडू उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्य ईंकाई के दिग्गज नेता समेत कई नेता और पदाधिकारी शामिल हुए हैं।
2019 तक सत्ता में लाना मकसद-प्रधान
इस संबंध में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कहा कि जिस तरह 2014 में पीएम मोदी को जन समर्थन मिला, 2017 में आते-आते उस अपार लोकप्रियता में बढ़ोत्तरी के साथ एक नया रूप देखने को मिला है। 2019 में देश और ओडिशा में चुनाव होने हैं। हमारी दो तरफ़ा नीति है। पहली, सरकार के माध्यम से देश की आकांक्षा को पूरा करना और दूसरी, उसे पूरा करने के लिए सफल संगठन खड़ा करना। उन्‍होंने कहा कि ओडिशा पीएम मोदी की गरीब कल्याण योजनाओं की प्रयोगशाला है। हम ओडिशा में तीसरे नंबर की पार्टी हैं। हमारी कोशिश थी दूसरे नंबर की पार्टी बनना और ऐसा हुआ। हम उससे संतुष्ट नहीं हैं। हमारा अगला लक्ष्य 2019 तक पार्टी को राज्य की सत्ता में लाना है।
मोदी की क्रेडिबिलिटी इंडेक्स सबसे ज्यादा -प्रधान
साथ ही उन्‍होंने कहा कि मोदी जी की क्रेडिबिलिटी इंडेक्स सबसे ज्यादा ओडि‍शा में है। जिनको बीजेपी की नीतियों, विचारधारा और पीएम मोदी की नीतियों में भरोसा है और स्वच्छ छवि है उनका बीजेपी में स्वागत है। हम ऐसे सब लोगों को पार्टी में लेंगे। जनाधार बढ़ाएंगे। स्‍वास्‍थ्‍य कारणों से सुषमा स्वराज राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी में हिस्‍सा नहीं लेंगी। उल्‍लेखनीय है कि धर्मेंद्र प्रधान के इस बयान को बीजद के भीतर चल रहे संघर्ष में सेंधमारी के रूप में देखा जा रहा है।
सत्ताधारी बीजद का अंदरुनी घमासान भी है बीजेपी की मजबूती की वजह
राज्‍य के हालिया संपन्न पंचायत चुनावों में बीजेपी की जबर्दस्‍त सफलता से पार्टी बेहद उत्‍साहित है। सत्‍तारूढ़ बीजद के बाद यह दूसरे नंबर पर रही। इसने मुख्‍य विपक्षी कांग्रेस को पछाड़ दिया। इसके अलावा बीजद के भीतर भी दरारें दिखने लगी हैं। हाल में बीजद सांसदों तथागत सत्‍पथी और बैजयंत पांडा के बीच ट्वीट वार के दौरान यह दरार दिखी थी।
बीजू जनता दल 17 साल से सत्ता में
नवीन पटनायक पिछले 17 वर्षों से लगातार राज्‍य की सत्‍ता में हैं। पंचायत चुनावों में सफलता के बाद बीजेपी के हौसले बुलंद हैं और बीजेपी इस प्रदर्शन को विधानसभा चुनावों में भी भुनाना चाहती है। इस राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी को बीजेपी के आगामी अभियान के साथ जोड़कर देखा जा रहा है।
इससे पहले 1997 में हुई थी भुवनेश्वर में राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी बैठक-
इससे पहले बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 19 दिसंबर से 21 दिसंबर तक 1997 में भुवनेश्वर में ही हुई थी।
इस मीटिंग के बाद 26 दिसंबर को बीजू पटनायक ने जनता दल से अलग बीजद का गठन किया था और 1998 के लोकसभा चुनाव में बीजद ने बीजेपी की अगुवाई में एनडीए साथ मिलकर चुनाव लड़ा था।2000 में नवीन पटनायक की अगुवाई में ओडिशा में एनडीए की सरकार बनी थी।
2009 के लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर गठबंधन टूट गया था। लेकिन दो महीने पहले हुए ओडिशा नगरपालिका और लोकल बॉडीज के चुनाव में बीजेपी को जनता का जमकर समर्थन मिला। बीजेपी को 850 सीट में से 306 सीटें मिलीं।बीजेडी को भी 191 और कांग्रेस को 60 सीटों का नुकसान हुआ। 2012 के नगर पालिका और निकाय के चुनाव में बीजेपी को 36 सीटें ही मिली थीं।

योगी सरकार के काम पर छह महीने बाद ही कुछ बोलेंगे मुलायम सिंह यादव

मुलायम सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ के काम पर छह महीने बाद की कुछ बोलने को कहा है। मुलायम ने कहा कि शिवपाल सिंह यादव के भाजपा में शामिल होने की बातें बेबुनियाद हैं।
इटावा (जेएनएन)। समाजवादी पार्टी के संस्थापक तथा सरंक्षक मुलायम सिंह यादव ने आज अपने भाई तथा पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव के भाजपा में जाने की अटकलों को विराम दे दिया। इटावा में आज अपने आवास पर मुलायम सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ के काम पर छह महीने बाद की कुछ बोलने को कहा है। 
इटावा के सिविल लाइंस में आज अपने आवास पर पहुंचे मुलायम सिंह यादव ने कहा कि शिवपाल सिंह यादव के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की बातें बेबुनियाद हैं। उन्होंने कहा कि शिवपाल सिंह यादव समाजवादी पार्टी में ही हैं और आगे भी वह सपा में ही रहेंगे। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को मिली करारी हार के बारे में कहा कि एक बार फिर मोदी-मोदी की हवा में मोदी जीत गए।
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इसके साथ ही पार्टी की पराजय का ठीकरा मीडिया और जनता के सिर फोड़ते हुए कहा कि मीडिया ने सिर्फ परिवार में लड़ाई को ही परोसा, जबकि जनता बहकावे में आकर बीजेपी के साथ चली गई। मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव सरकार के काम की तारीफ करते हुए कहा कि इतना अच्छा काम करने के बावजूद जनता ने चुनाव में हरा दिया। जनता बहकावे में आ गई और बीजेपी के साथ हो गई। उन्होंने मीडिया की भी आलोचना करते हुए कहा कि उसने एसपी की अच्छाई नहीं देखी बल्कि बुराई को महत्व दिया और पूरी तरह परिवार की लड़ाई को ही प्रमुखता दी।
गौरतलब है 2012 में प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने वाली समाजवादी पार्टी को हाल में सम्पन्न विधानसभा चुनाव में मात्र 47 सीटें ही मिली थीं। चुनाव में हार के बाद पार्टी में नेतृत्व परिवर्तन के लिए उठ रहे आवाज को लेकर मुलायम ने कहा कि उनके लिए पार्टी अध्यक्ष का पद कोई मायने नहीं रखता। समाजवाद के प्रणेता राम मनोहर लोहिया व जयप्रकाश नारायण के पास भी आखिर कौन सा पद था।

अगले कदम के बारे में उन्होंने कहा कि उनका जो भी अगला कदम होगा, वह जनहित और पार्टी के हित में होगा। लखनऊ में आज समाजवादी पार्टी के सदस्यता अभियान बैठक में शिवपाल सिंह यादव के शामिल ना होने पर उन्होंने कहा कि वह बैठक ही थी, कोई समारोह नहीं था। पार्टी में हमें भी सदस्यता लेनी है और सक्रिय सदस्य बनना है।

बचपन के प्यार के लिए रुखसाना और भूपेन्द्र ने तोड़ी धर्म की दीवारथे।

इंदौर। बचपन से वे एक दूसरे के दोस्त थे। हमकदम कब हमसाया हो गए। दोस्ती कब प्यार में बदली पता ही नहीं चला। घर वालों से कहा 'अब अलग नहीं होना साथ रहना है' तो समाज की बंदिशे बीच में आ गईं लेकिन प्यार कब बंदिशों में बंधा है। हम यहां बात कर रहे हैं रुखसाना औऱ भूपेंद्र की। बचपन के ये साथी आज सरकारी अधिकारियों की मदद से जीवनसाथी बन गए।
बचपन से साथ पले-बढ़े औऱ खेलते हुए विनोबा नगर के भूपेंद्र और तिलक नगर में रहने वाली रुखसाना कब एक दूसरे के करीब आ गए , उन्हें पता ही नहीं चला। जब जीवनसाथी बनने की बात सामने आई तो दोनों के मजहब बीच में आ गए। कट्टर मुस्लिम परिवार की रुखसाना के वालिद जहां इस निकाह के खिलाफ थे वहीं भूपेंद्र के माता-पिता भी गैर धर्म की बहू घर लाने के लिए तैयार नहीं थे। वहीं रुखसाना और भूपेंद्र हमेशा के लिए एक दूसरे के साथ जीने औऱ मरने की कसम खा चुके थे। वे अलग नहीं होना चाहते थे इसलिए बालिग होते ही रुखसाना ने अपने वालिदेन को मनाना शुरू किया। दूसरी ओऱ भूपेंद्र भी अपने परिजनों की खुशामद में लगा था।

दोनों ही के परिजन इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं थे। लेकिन रुखसाना ने हार नहीं मानी। उसने भूपेंद्र के परिजनों को मनाने का काम शुरू किया। रुखसाना ने हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों को जानना-समझना शुरू किया। वहीं भूपेंद्र ने भी हिम्मत नहीं हारी। दोनों तीन साल तक लगातार कोशिशें करते रहे। आखिर रुखसाना की कोशिशे रंग लाई उसके वालिद तो नहीं माने लेकिन उसने भूपेंद्र के परिजनों के दिल में अपनी जगह बना ली।

तीन साल के लगातार मेल-जोल के बाद भूपेंद्र की बड़ी मम्मी ने रुखसाना को अपनी बहू ही नहीं बल्कि बेटी के रूप में भी स्वीकार कर लिया। वहीं दूसरी ओऱ रुखसाना के परिजन नहीं माने तो भूपेंद्र के परिजनों ने ही विवाह में रुखसाना के परिजनों की भूमिका भूपेंद्र की परिचित मालती चौधरी ने निभाई। उसी ने रुखसाना के वालिदेन की जगह ले उसका कन्यादान किया।
भूपेंद्र के माता-पिता भी चूंकि शादी के खिलाफ थे इसलिए शादी में भूपेंद्र की बड़ी मां औऱ उनके परिवार ने सारी रस्मों की अदायगी की। पत्रिका से बातचीत में रुखसाना ने बताया कि जैसे ही वे बालिग हुईं उन्होंने भूपेंद्र से शादी का फैसला कर लिया। अब वे 21 साल की हैं लगातार तीन साल तक दोनों ने ही अपने परिजनों को मनाने की कोशिश की है। आस-पड़ोस के लोग भी उनकी कोशिशों के कारण उनके रिश्ते की इज्जत करते हैं। लेकिन दोनों के ही माता-पिता ने जब शादी की रजामंदी नहीं दी तो दोनों ने मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के अंतर्गत शादी करने का फैसला कर लिया।
भरा पूरा है परिवार
रूखसाना के परिवार में उनके माता-पिता के अलावा पांच बहनें और 1 भाई है। जबकि भूपेंद्र के दो भाई और एक बहन हैं। वहीं निजी कंपनी में भूपेंद्र नौकरी करता है। जबकि रूखसाना एक घऱेलू लड़की है। अब दोनों को ही उम्मीद है कि उनके परिजन उनकी शादी को खुले दिल से स्वीकार कर लेंगे औऱ सुखी जीवन के लिए आशिर्वाद देंगे।

मेरठ में योगी आदित्यनाथ की नाम ख़राब करने की साजिस की कुछ फेके हिन्दू युवा वाहिनी नाम धरी लोग


बीजेपी के शहरी इकाई के प्रेजिडेंट करुनेश नंदन गर्ग ने कहा कि हिंदू युवा वाहिनी एक स्वतंत्र संस्था है और उसका पार्टी के कोई संबंध नहीं है।
मेरठ में कथित तौर पर हिंदू युवा वाहिनी द्वारा विवादित होर्डिंग लगाई गई थीं, जिन्हें जिला प्रशासन ने हटवा दिया है। इन पर लिखा था प्रदेश में रहना है तो योगी-योगी कहना है। वहीं वाहिनी ने कहा कि यह उनके नाम को खराब करने की साजिश है। इस होर्डिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा युवा वाहिनी के मेरठ के जिलाध्यक्ष नीरज शर्मा पांचली की तस्वीर लगी हुई है। इसे वाहिनी की छवि को खराब करने की साजिश बताते हुए क्षेत्रीय अध्यक्ष नागेंद्र तोमर ने एचटी से कहा कि नीरज शर्मा को भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते पिछले महीने संस्था से बर्खास्त कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि वाहिनी का इस होर्डिंग से कुछ लेना-देना नहीं है और योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए हैं कि वह अनुशासन में रहें और काम जिम्मेदारी से करें। बीजेपी के शहरी इकाई के प्रेजिडेंट करुनेश नंदन गर्ग ने एचटी से कहा कि हिंदू युवा वाहिनी एक स्वतंत्र संस्था है और उसका पार्टी के कोई संबंध नहीं है।
1 अप्रैल को लखनऊ में यूपी विधानसभा के बाहर अयोध्या में राम मंदिर बनाने के समर्थन में बीजेपी नेता कुंवर सैयद इकबाल हैदर द्वारा लगाए गए बैनर पर विवाद छिड़ गया था। इस बैनर में पुणे के धार्मिक गुरु मौलाना डॉ.शाबीह अहसन काजमी की तस्वीर लगाई गई थी। उनका कहना था कि इस तस्वीर को उनकी इजाजत और बिना बताए इस्तेमाल किया गया और उन्हें यह भी नहीं पता था कि यह बैनर सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। उन्होंने इसकी शिकायत पुणे पुलिस कमिश्नर से की थी।
इस बैनर में बाकी लोगों के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की तस्वीर थी। ”हो जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण, मुस्लिमों का यही अरमान” इस नारे के साथ काजमी की तस्वीर बैनर पर छापी गई थी। काजमी पुणे के गुरुद्वार पेथ इलाके के रेजा ट्रस्ट के धार्मिक नेता हैं। उन्होंने कहा था कि उनकी तस्वीर शरारती इरादे से इस्तेमाल की गई है, ताकि यह लगे कि अयोध्या में राममंदिर बनाने के लिए मैंने अपना समर्थन दे दिया है। उन्होंने कहा था कि मैंने राम मंदिर मामले को लेकर कोई एेसा कमेंट नहीं किया। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आखिरी होगा और मुझे भी यह मंजूर होगा

मुस्लिमों के पक्ष में हैं सीएम योगी, ये है बड़ी वजह


लखनऊ. योगी आदित्यनाथ यूपी के सीएम बनने के बाद मुस्लिमों पर काफी मेहरबान होते नजर आ रहे, जो उनकी हिंदूवादी छवि को बदलने के लिए एक अच्छा संकेत है। हाल ही के दिनों में उन्होंने मुस्लिम धर्म को केंद्र में रखकर कई फैसले लिए वहीं आज भी इसकी बानगी देखने के मिली है। सीएम योगी ने लखनऊ में उर्दू यूनिवर्सिटी के कैंपस के लिए जमीन दिलाने का वायदा किया है।
मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी को लखनऊ कैंपस के लिए जल्द ही जमीन मिलेगी। इस सिलसिले में विश्वविद्यालय के कुलपति, जफर सरेशवाला ने कुछ दिनों पहले ही यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की जिसके लिए सीएम ने भी सकारात्मक संकेत दिए हैं।
सीएम बनने से पहले योगी आदित्यनाथ हमेशा एक कट्टर हिंदुत्ववादी नेता के रूप में जाने जाते थे। उनका मुख्यमंत्री बनना अपने अाप में मुस्लिम समुदाय के लिए एक झटका था, लेकिन दिन पर दिन उन्होंने ये सोच बदली है। उन्होंने कई मौकों पर यह साबित किया है कि यहां जाति धर्म मुद्दा नहीं है। सभी एक हैं और सबका साथ, सबका विकास होना जरूरी है।
मुस्लिम फरियादियों की सुनते हैं परेशानी-
लगभग रोाजना लगने वाले जनता दरबार में मुस्लिम फरियादी ज्यादा देखें गए हैं और सीएम योगी ने ये सुनिश्चित किया है कि शुरूआत से लेकर फेहरिस्त में खड़े आखिरी इंसान की वो दिक्कतें धर्य से सुने और उसका निवारण करें। हाल में वो सिख गुरुद्वारे भी गए थे, जिससे उन्होंने ये साफ संकेत दिया कि वो किसी एक के न होकर सभी धर्म और जाति के हैं।
मुस्लिम लड़कियों की करवाएंगे शादी-
यूपी सरकार गरीब मुस्लिम लड़के-लड़कियों की सामूहिक शादी कराने का फैसला किया है जिसमें हर वर्ष 100 शादियों का लक्ष्य रखा गया है। शादी में लड़के की तरफ से सरकार लड़की के परिवार को मेहर की रकम चुकाएगी। वहीं मेहर की रकम के अलावा दुल्हा-दुल्हन के लिए दूसरे जरूरी सामान भी सरकार देगी। शादी के लिए सद्भावना मंडप तैयार होगा जिसमें सामूहिक वैवाहिक कार्यक्रम होगा।
मदरसों का आधुनिकीकरण
योगी सरकार ने अल्पसंख्यक समुदाय की शिक्षा को भी खासी अहमियत दी है जिसमें सबसे पहले मदरसों का आधुनिकीकरण होगा। 19213 मदरसों के सिलेबस में हिंदी, अंग्रेजी और विज्ञान के विषय शामिल होंगे वहीं छात्रों को अब सीधे आधार से जोड़कर उनके बैंक खातों में छात्रवृति भेजी जाएगी।