इंदौर। बचपन से वे एक दूसरे के दोस्त थे। हमकदम कब हमसाया हो गए। दोस्ती कब प्यार में बदली पता ही नहीं चला। घर वालों से कहा 'अब अलग नहीं होना साथ रहना है' तो समाज की बंदिशे बीच में आ गईं लेकिन प्यार कब बंदिशों में बंधा है। हम यहां बात कर रहे हैं रुखसाना औऱ भूपेंद्र की। बचपन के ये साथी आज सरकारी अधिकारियों की मदद से जीवनसाथी बन गए।
बचपन से साथ पले-बढ़े औऱ खेलते हुए विनोबा नगर के भूपेंद्र और तिलक नगर में रहने वाली रुखसाना कब एक दूसरे के करीब आ गए , उन्हें पता ही नहीं चला। जब जीवनसाथी बनने की बात सामने आई तो दोनों के मजहब बीच में आ गए। कट्टर मुस्लिम परिवार की रुखसाना के वालिद जहां इस निकाह के खिलाफ थे वहीं भूपेंद्र के माता-पिता भी गैर धर्म की बहू घर लाने के लिए तैयार नहीं थे। वहीं रुखसाना और भूपेंद्र हमेशा के लिए एक दूसरे के साथ जीने औऱ मरने की कसम खा चुके थे। वे अलग नहीं होना चाहते थे इसलिए बालिग होते ही रुखसाना ने अपने वालिदेन को मनाना शुरू किया। दूसरी ओऱ भूपेंद्र भी अपने परिजनों की खुशामद में लगा था।
दोनों ही के परिजन इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं थे। लेकिन रुखसाना ने हार नहीं मानी। उसने भूपेंद्र के परिजनों को मनाने का काम शुरू किया। रुखसाना ने हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों को जानना-समझना शुरू किया। वहीं भूपेंद्र ने भी हिम्मत नहीं हारी। दोनों तीन साल तक लगातार कोशिशें करते रहे। आखिर रुखसाना की कोशिशे रंग लाई उसके वालिद तो नहीं माने लेकिन उसने भूपेंद्र के परिजनों के दिल में अपनी जगह बना ली।
तीन साल के लगातार मेल-जोल के बाद भूपेंद्र की बड़ी मम्मी ने रुखसाना को अपनी बहू ही नहीं बल्कि बेटी के रूप में भी स्वीकार कर लिया। वहीं दूसरी ओऱ रुखसाना के परिजन नहीं माने तो भूपेंद्र के परिजनों ने ही विवाह में रुखसाना के परिजनों की भूमिका भूपेंद्र की परिचित मालती चौधरी ने निभाई। उसी ने रुखसाना के वालिदेन की जगह ले उसका कन्यादान किया।
भूपेंद्र के माता-पिता भी चूंकि शादी के खिलाफ थे इसलिए शादी में भूपेंद्र की बड़ी मां औऱ उनके परिवार ने सारी रस्मों की अदायगी की। पत्रिका से बातचीत में रुखसाना ने बताया कि जैसे ही वे बालिग हुईं उन्होंने भूपेंद्र से शादी का फैसला कर लिया। अब वे 21 साल की हैं लगातार तीन साल तक दोनों ने ही अपने परिजनों को मनाने की कोशिश की है। आस-पड़ोस के लोग भी उनकी कोशिशों के कारण उनके रिश्ते की इज्जत करते हैं। लेकिन दोनों के ही माता-पिता ने जब शादी की रजामंदी नहीं दी तो दोनों ने मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के अंतर्गत शादी करने का फैसला कर लिया।
भरा पूरा है परिवार
रूखसाना के परिवार में उनके माता-पिता के अलावा पांच बहनें और 1 भाई है। जबकि भूपेंद्र के दो भाई और एक बहन हैं। वहीं निजी कंपनी में भूपेंद्र नौकरी करता है। जबकि रूखसाना एक घऱेलू लड़की है। अब दोनों को ही उम्मीद है कि उनके परिजन उनकी शादी को खुले दिल से स्वीकार कर लेंगे औऱ सुखी जीवन के लिए आशिर्वाद देंगे।
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