Saturday

वायदा कारोबार में राख हो गई नितिन की खुशियां


- करोड़ों रुपए के घाटे में बढ़ी कलह, खत्म कर ली जिदंगी

- गोरखपुर पुलिस की थ्योरी पर एसटीएफ ने लगाई मुहर
GORAKHPUR शहर के फेमस कारोबारी नितिन अग्रवाल ने खुदकुशी की थी। रविवार को दोस्त के घर से कार लेकर निकले नितिन ने पत्‍‌नी को फोन किया। उसके आग लगाने के बाद तक करीब 11 मिनट तक मोबाइल फोन चलता रहा। सब कुछ जानने के बाद भी परिवार के लिए नितिन के सुसाइड करने पर यकीन करना मुश्किल था। उसके जॉली स्वभाव की वजह से हर कोई खुदकुशी पर सवाल खड़ा कर रहा था। हालांकि एसटीएफ की जांच पूरी होने पर शुक्रवार को आईजी मोहित अग्रवाल ने मामले का राजफाश किया। गोरखपुर पुलिस की थ्योरी पर मुहर लगाते हुए बताया कि कर्ज के दबाव में आकर नितिन ने खुद आग लगाकर जान दे दी थी। पुलिस लाइन में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में एसएसपी रामलाल वर्मा, एसपी ग्रामीण ज्ञान 

प्रकाश चतुर्वेदी, एसटीएफ के एएसपी विकास चंद्र त्रिपाठी, क्राइम ब्रांच के सीओ अभय कुमार जांच के हर बिंदु को सामने रखा.
आईजी ने बताया कि पिता को तकलीफ न हो, इसलिए नितिन ने पिता को कुछ नहीं बताया। लेकिन पत्‍‌नी को सबकुछ बताया था। वायदा कारोबार में घाटा लगने से परेशान नितिन ने खुद आत्मघाती कदम उठाने के साथ पत्‍‌नी को बच्चों संग जहर खाने की बात कही थी। वायदा कारोबार के कर्ज में डूबे नितिन की खुशियां राख हुई.

72 घंटे लगातार काम कर जुटाए सबूत
रविवार को फोरलेन पर तेनुआ टोल प्लाजा के पास कार में आग लगने से एक युवक की मौत हो गई थी। जांच में मृतक की पहचान राजघाट एरिया के हांसूपुर निवासी गोविंद अग्रवाल के बेटे नितिन के रूप में हुई। बेटे की हत्या की आशंका जताते हुए पिता ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया। परिजनों की मांग पर सीएम महंत योगी आदित्यनाथ ने मामले की जांच यूपी एसटीएफ को सौंप दी। एसटीएफ के आईजी ने गोरखपुर पहुंचकर जांच पड़ताल की। एएसपी विकास चंद त्रिपाठी की अगुवाई में 72 घंटे तक टीम हत्या और आत्महत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए सबूत जुटाती रही। आईजी जोन मोहित अग्रवाल की देखरेख में क्राइम ब्रांच, सहजनवां पुलिस भी जांच में लगी रही। करीब 70 लोगों से पूछताछ, इलेक्ट्रानिक सर्विलांस, फारेसिंक साइंस लेब्रोरेटरी लखनऊ की रिपोर्ट, पोस्टमार्टम सहित अन्य तथ्यों के आधार पर पुलिस नितिन के सुसाइड करने के नतीजे पर पहुंचे। सारे तथ्य और सबूत सामने आने पर परिवार ने भी नितिन के सुसाइड करने पर सहमति जताई.

सबने छिपाया मामला, सामने आया काला सच
घटना के पहले घर से निकले नितिन ने लगातार अपने दोस्तों, देनदारों, परिवार के सदस्यों से मोबाइल पर बातचीत की। बातचीत के दौरान वह अकेले रहे। पेट्रोल पंप पर पेट्रोल खरीदने के दौरान भी उनके साथ कोई नहीं था। एक मोबाइल में चल रहे दो अलग- अलग नंबरों से नितिन ने रविवार सुबह 10 बजकर 21 मिनट से दोपहर 12 बजे तक तकरीबन 27 कॉल किए थे। इनमें 14 आउटगोइंग, एक आउटगोइंग एसएमएस, 11 इनकमिंग कॉल और एक इनकमिंग एसएमएस का रिकार्ड मिला है। इनमें तीन आउटगोइंग कॉल नितिन ने पत्‍‌नी रश्मि को और अन्य कारोबारी मित्रों से बातचीत की थी। लेकिन इन बातों को परिवार के लोग और परिचित छिपाने में लगे रहे। जांच में सामने आया कि आग लगने के दौरान नितिन को तारों में बांधा नहीं गया था। कार की वायरिंग जलकर गिरने से देखने में ऐसा लगा कि जैसे बांधकर जला दिया गया हो। फारेसिंक टीम ने संभावना जताई कि ड्राइविंग सीट पर बैठकर उन्होंने अपने बदन पर पेट्रोल छिड़कर आग लगाई। छटपटाहट में लुढ़ककर बगल वाली सीट पर चले गए। उनका सिर बगल वाली सीट पर एवं पैर ड्राइविंग सीट पर आ गया था.

वायदा कारोबार में बिगड़ती गई माली हालत
इकलौते बेटे नितिन को पिता काफी प्यार करते थे। जेब खर्च के लिए मुंहमांगी रकम भी अक्सर पिता दे दिया करते थे। करीब सात साल पहले मेटल ट्रेडिंग की लत लग गई। ज्वेलरी गिरने का लाइसेंस होने से नितिन लोगों के गहने पर गिरवी रखते थे। मेटल ट्रेडिंग के कारोबार में घाटा लगने के बावजूद वह दांव खेलते रहे। दूसरे ट्रेडर्स के जरिए वह स्टाक होल्ड कराकर रकम उठाते रहे। घाटा पूरा करने के लिए नितिन ने गिरवी रखे गहनों को गला दिया। दूसरों के पास गिरवी रखकर खुद भी बाजार से कर्ज उठा लिया। लाखों रुपए के गहने गलाने के बाद भी वह अपने घाटे से उबर नहीं पाए। कर्ज देने वालों के दबाव पर चेक देकर मुंह चुप कराते रहे। लेकिन विभिन्न बैंक के लाखों रुपए चेक बाउंस होने से धीरे- धीरे मामला खुलने लगा। हाल के दिनों में शहर के कुछ बड़े ज्वेलर्स ने नितिन की फजीहत कर दी थी। कर्ज का मामला पिता तक पहुंचने पर उनके घर में कलह में शुरू हो गई। फिर भी आदतों के चलते नितिन अपनी माली हालत नहीं सुधार सके। दो करोड़ से अधिक की देनदारी ने नितिन को जिदंगी खत्म करने के लिए मजबूर कर दिया.

जॉली नेचर, मुस्कुराहट में छिपाते रहे दर्द
पुलिस की जांच में सामने आया है कि शहर में वायदा कारोबार बड़े पैमाने पर होता है। कारोबारी इसके जरिए हर माह करोड़ों रुपए की हेराफेरी कर रहे हैं। जॉली स्वभाव के नितिन अपनी समस्याओं से अकेले जूझते रहे। उनके चेहरे पर किसी तरह का तनाव न होने से कोई समस्याओं को भांप नहीं सका। करीब 30 ऐसे व्यापारी हैं जो हर बार नितिन को लाखों रुपए का कर्ज दे दिया करते थे। कर्ज की रकम न चुका पाने पर नितिन ने झूठ बोलना शुरू कर दिया था। फिर भी लोग उनको कर्ज देने से नहीं हिचकते थे। जांच में यह भी सामने आया है कि नितिन अपने पिता की बहुत इज्जत करते थे। इसलिए वह पिता को ऐसी कोई बात नहीं बताना चाहते थे जिससे उनको कष्ट हो। कर्ज में डूबने या मेटल ट्रेडिंग की बात उन्होंने पिता को कभी नहीं बताई थी। इसलिए कोई भी उनके भीतर का दर्द नहीं भांप पाया। हालांकि पुलिस वह पत्र नहीं पा सकी है जिसका जिक्र मौत के पहले नितिन ने पत्‍‌नी से किया था।
वर्जन

एसटीएफ, गोरखपुर पुलिस, विधि विज्ञान प्रयोगशाला लखनऊ, मोबाइल सर्विलांस की अलग- अलग जांच में नितिन के कर्ज और घाटे से परेशान होकर खुदकुशी करने की बात सामने आई है। इस केस की जांच में मिले सभी सबूतों को सुरक्षित कर लिया गया है। पेट्रोल छिड़कर नितिन ने आत्महत्या की थी। इस बात में कोई संशय नहीं है।
मोहित अग्रवाल, आईजी

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