वाराणसी. गोरखपुर गोरखनाथ मंदिर के महंत रह चुके योगी आदित्यनाथ आज यूपी के सीएम हैं। इनके हाथ में यूपी की सत्ता आने के बाद ये ताबड़तोड़ फैसले ले रहे हैं। योगी आदित्यनाथ यूपी के 21वें मुख्यमंत्री बने जो उत्तराखंड के हैं लेकिन 13 साल की उम्र से ही ये गोरखपुर मंदिर में रहते थे। योगी आदित्यनाथ अपने हिंदुत्व छवि से जाने जाने वाले योगी दैनिक जीवन में भी नियम-कायदों से चलते हैं। गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर के महंत रहने के कारण वे नियमों से बाहर जाकर कुछ नहीं किया। योगी आदित्यनाथ सुबह से लेकर रात तक उनकी दिनचर्या तय होती है और वे उसी के मुताबिक काम करते हैं।सीएम योगी आदित्यनाथ को जानवरों से बहुत प्रेम है। गौ सेवा, चीता के साथ खेलना तो आपने सुना ही है। वहीं योगी अपना भोजन बिल्ली के साथ करते थे। बिल्ली भी योगी आदित्यनाथ का खाने के समय इंतजार करती थी।बिल्ली भी करती थी योगी आदित्यनाथ का भोजन पर इंतजारयोगी आदित्यनाथ के मंदिर में एक बिल्ली थी जो खाने पर आदित्यनाथ का इंतजार करती थी। आज भी आदित्यनाथ जब गोरखपुर में होते हैं तो वह उसी बिल्ली के साथ खाना खाते हैं। बिल्ली को खाने में खीर पसंद है इसलिए उसे खाने में खीर दी जाती है।गौशाला में भी बिताते थे वक्तगोरखनाथ मंदिर प्रांगण में एक बड़ी से गौशाला है। यहां सैकड़ों गाय हैं। बताया जाता है कि जब भी वे गोरखपुर में होते हैं तो दिन में एक-दो बार गौशाला जरूर जाते हैं। गायों को अपने हाथ से चारा खिलाते हैं। गौ सेवा वह आज भी करते हैं।कब और कैसे बने गोरखनाथ मंदिर के महंतयोगी आदित्यनाथ का असली नाम अजय सिंह विष्ट है। उनका जन्म 5 जून 1972 को पंचेर गांव, पौड़ी गड़वाल उत्तराखंड में हुआ था। बाद में उन्होंने अपना घर छोड़ दिया और अयोध्या राम मंदिर मूवमेंट जॉइन किया और 21 साल की उम्र में ही गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवैद्य नाथ जी महाराज के शिष्य बन गए। महंत अवैद्य नाथ ने ही उन्हें योगी आदित्यनाथ नाम दिया। बाद में साल 1994 में 15 फरवरी को योगी आदित्यनाथ को गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवैद्य नाथ जी महाराज द्वारा योगी आदित्यनाथ का दीक्षाभिषेक संपन्न हुआ।
कब और कैसे बने गोरखनाथ मंदिर के महंत
योगी आदित्यनाथ का असली नाम अजय सिंह विष्ट है। उनका जन्म 5 जून 1972 को पंचेर गांव, पौड़ी गड़वाल उत्तराखंड में हुआ था। बाद में उन्होंने अपना घर छोड़ दिया और अयोध्या राम मंदिर मूवमेंट जॉइन किया और 21 साल की उम्र में ही गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवैद्य नाथ जी महाराज के शिष्य बन गए। महंत अवैद्य नाथ ने ही उन्हें योगी आदित्यनाथ नाम दिया। बाद में साल 1994 में 15 फरवरी को योगी आदित्यनाथ को गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवैद्य नाथ जी महाराज द्वारा योगी आदित्यनाथ का दीक्षाभिषेक संपन्न हुआ।
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