यूपी के गोरखपुर से करीब 11 किलोमीटर दूर वनटांगिया गांव की बदकिस्मती ये है कि देश की आजादी के 69 साल बाद भी यह गांव सरकारी कागजों में नहीं है. गांव की आबादी 2,000 से ज्यादा है. यहां न बिजली है, न पीने के लिए साफ पानी और न अस्पताल.
गोरखपुर एयरपोर्ट से महज पांच किलोमीटर दूर पिपराइच-गोरखपुर रोड के पास स्थित वनटांगिया गांव सरकारी कागजों में गुमनाम है लेकिन यहां के लोगों को सीएम योगी आदित्यनाथ से आस है.
यहां के लोगों का नाम तो वोटर लिस्ट में दर्ज है लेकिन गांव का दर्जा नहीं मिला. नतीजा ये हुआ कि न तो बिजली आई, न सड़क बनी, न अस्पताल, न स्कूल और न किसी सरकारी योजना का लाभ मिलता है.
बतौर सासंद के रूप में योगी आदित्यनाथ सड़क से लेकर संसद तक इस गांव की मूलभूत समस्या की लड़ाई लड़ते रहे है. योगी के सीएम बनने के बाद गांव के लोगों का कहना है कि अब वो दिन दूर नहीं जब योगी इस गांव के विकास के लिए कड़े फैसले लेंगे, जिससे हमारा हक हम लोगों को मिल सकेगा.
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वनटांगिया गांव के निवासी राजन ने बताया कि हमेें इंतजार है योगी जी के गांव आने का. वह पहले भी गांव में आ चुके हैं. हमारी मांग है कि योगी जी इस गांव को नई पहचान दिलाएं.
योगी आदित्यनाथ जब गोरखपुर के सासंद थे तो उन्होंने इस गांव में एक स्कूल खुलवाया था. स्कूल को बने पांच साल हो गए हैं. यहां बच्चे पांचवीं तक पढ़ाई करते हैं. स्कूल में तीन टीचर हैं. स्कूल के बच्चों के लिए स्कूल बैग और किताबें भी गोरखनाथ मंदिर से आती हैं. स्कूल का ड्रेस भी है, जिसमें भगवा रंग की शर्ट है.
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इस गांव के बारे में कहा जाता है कि अंग्रेजों के जमाने में जंगल में लाकर बसाए गए इन लोगों ने अपनी जमीन बचाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है. जमीन हड़पने वालों की गोलियां तक इन्हें खानी पड़ी. अब योगीराज में इनकी उम्मीदें बढ़ी हैं. ताकि गांव का अंधेरा हमेशा के लिए दूर हो और गांव को नई पहचान मिल सके.
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