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BJP राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक: मिशन 2019 के लिए अमित शाह करेंगे भारत भ्रमण



भुवनेश्वर:भारतीय जनता पार्टी की राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक ओडिशा में जारी है। बैठक में पहले दिन पांच राज्‍यों के चुनावी नतीजों, उपचुनाव के परिणामों के अलावा आगामी विधानसभा चुनावों के लिए रणनीति पर चर्चा हुई। बैठक के बाद रविशंकर प्रसाद मीडिया से मुखातिब हुए।रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पार्टी अध्‍यक्ष अमित शाह ने साफ निर्देश दिया है कि कार्यकर्ताओं और नेताओं को आलस्‍य नहीं करना है। वर्किंग कमेटी के लोग बूथों पर जाएंगे। यहां तक की अध्‍यक्ष खुद चार प्रदेशों में जाएंगे। सभी पदाधिकारियों से अपील की गई है कि वे 15 दिन तक बूथ पर रहें। रविशंकर प्रसाद के मुताबिक, अमित शाह सितंबर से लगातार 95 दिनों तक भारत का दौरा करेंगे और संगठन के लोगों से मिलेंगे।
EVM पर दोष मढ़ना चुनाव आयोग का अपमान-बीजेपी
बैठक में अमित शाह ने कहा कि जनता के आशीर्वाद और कार्यकर्ताओं के प्रयासों से ही राज्यों के चुनावों में बीजेपी की जीत हुई है। कुछ लोग हारने का बहाना खोज रहे हैं और उस बहाने में ईवीएम की चर्चा हो रही है। प्रसाद के मुताबिक, बैठक में शाह ने कहा, हमने उम्‍मीद की थी कि राजनैतिक दल ईमानदारी से हार स्‍वीकार करेंगे लेकिन वे बहाने बना रहे हैं। ईवीएम को दोष देना चुनाव आयोग का अपमान है। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि बैठक में शाह ने केरल में जारी राजनैतिक हिंसा पर चिंता जताई, जहां लेफ्ट की सरकार बनने के बाद राज्‍य में हत्‍याओं की संख्‍या बढ़ गई है।
पीएम ने किया रोड शो
बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी भी हिस्सा ले रहे हैं। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एयरपोर्ट से बैठक स्थल तक रोड शो किए। जिसमें सड़क के दोनों किनारे बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। दरअसल ओडिशा में पंचायत चुनावों में मिली भारी सफलता से बीजेपी राज्य में सत्ता पाने के लिए ऐंडी चोंटी एक किए हुए हैं।
बैठक में आडवाणी, वेंकैया समेत कई नेता शामिल
राष्ट्रीय कार्यकारणी बैठक में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, वेंकैया नायडू उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्य ईंकाई के दिग्गज नेता समेत कई नेता और पदाधिकारी शामिल हुए हैं।
2019 तक सत्ता में लाना मकसद-प्रधान
इस संबंध में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कहा कि जिस तरह 2014 में पीएम मोदी को जन समर्थन मिला, 2017 में आते-आते उस अपार लोकप्रियता में बढ़ोत्तरी के साथ एक नया रूप देखने को मिला है। 2019 में देश और ओडिशा में चुनाव होने हैं। हमारी दो तरफ़ा नीति है। पहली, सरकार के माध्यम से देश की आकांक्षा को पूरा करना और दूसरी, उसे पूरा करने के लिए सफल संगठन खड़ा करना। उन्‍होंने कहा कि ओडिशा पीएम मोदी की गरीब कल्याण योजनाओं की प्रयोगशाला है। हम ओडिशा में तीसरे नंबर की पार्टी हैं। हमारी कोशिश थी दूसरे नंबर की पार्टी बनना और ऐसा हुआ। हम उससे संतुष्ट नहीं हैं। हमारा अगला लक्ष्य 2019 तक पार्टी को राज्य की सत्ता में लाना है।
मोदी की क्रेडिबिलिटी इंडेक्स सबसे ज्यादा -प्रधान
साथ ही उन्‍होंने कहा कि मोदी जी की क्रेडिबिलिटी इंडेक्स सबसे ज्यादा ओडि‍शा में है। जिनको बीजेपी की नीतियों, विचारधारा और पीएम मोदी की नीतियों में भरोसा है और स्वच्छ छवि है उनका बीजेपी में स्वागत है। हम ऐसे सब लोगों को पार्टी में लेंगे। जनाधार बढ़ाएंगे। स्‍वास्‍थ्‍य कारणों से सुषमा स्वराज राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी में हिस्‍सा नहीं लेंगी। उल्‍लेखनीय है कि धर्मेंद्र प्रधान के इस बयान को बीजद के भीतर चल रहे संघर्ष में सेंधमारी के रूप में देखा जा रहा है।
सत्ताधारी बीजद का अंदरुनी घमासान भी है बीजेपी की मजबूती की वजह
राज्‍य के हालिया संपन्न पंचायत चुनावों में बीजेपी की जबर्दस्‍त सफलता से पार्टी बेहद उत्‍साहित है। सत्‍तारूढ़ बीजद के बाद यह दूसरे नंबर पर रही। इसने मुख्‍य विपक्षी कांग्रेस को पछाड़ दिया। इसके अलावा बीजद के भीतर भी दरारें दिखने लगी हैं। हाल में बीजद सांसदों तथागत सत्‍पथी और बैजयंत पांडा के बीच ट्वीट वार के दौरान यह दरार दिखी थी।
बीजू जनता दल 17 साल से सत्ता में
नवीन पटनायक पिछले 17 वर्षों से लगातार राज्‍य की सत्‍ता में हैं। पंचायत चुनावों में सफलता के बाद बीजेपी के हौसले बुलंद हैं और बीजेपी इस प्रदर्शन को विधानसभा चुनावों में भी भुनाना चाहती है। इस राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी को बीजेपी के आगामी अभियान के साथ जोड़कर देखा जा रहा है।
इससे पहले 1997 में हुई थी भुवनेश्वर में राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी बैठक-
इससे पहले बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 19 दिसंबर से 21 दिसंबर तक 1997 में भुवनेश्वर में ही हुई थी।
इस मीटिंग के बाद 26 दिसंबर को बीजू पटनायक ने जनता दल से अलग बीजद का गठन किया था और 1998 के लोकसभा चुनाव में बीजद ने बीजेपी की अगुवाई में एनडीए साथ मिलकर चुनाव लड़ा था।2000 में नवीन पटनायक की अगुवाई में ओडिशा में एनडीए की सरकार बनी थी।
2009 के लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर गठबंधन टूट गया था। लेकिन दो महीने पहले हुए ओडिशा नगरपालिका और लोकल बॉडीज के चुनाव में बीजेपी को जनता का जमकर समर्थन मिला। बीजेपी को 850 सीट में से 306 सीटें मिलीं।बीजेडी को भी 191 और कांग्रेस को 60 सीटों का नुकसान हुआ। 2012 के नगर पालिका और निकाय के चुनाव में बीजेपी को 36 सीटें ही मिली थीं।

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