Raipur: छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में आज भी लोग लोहे की गर्म सलाखों से दगवाकर कई बीमारियों का उपचार करा रहे हैं। छत्तीसगढ़िया बोलचाल की भाषा में इसे ‘आंकना’ कहते हैं
इस तरीके से रोगों का इलाज इलाज करने वाले इसे पूरी तरह कारगर होने का दावा करते हैं, जबकि इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। रोग से पीड़ित लोग हालांकि उपचार के इस तरीके से आराम मिलने की बात कहते हैं, जबकि डॉक्टर इलाज के इस तरीके को काफी खतरनाक व जानलेवा मानते हैं।
रोगों का इलाज करने के लिए हर गांव में ऐसे वैद्य मिलते हैं:
सूबे के नक्सल प्रभावित कांकेर जिले के हर पांच-दस गांव में एक ऐसा वैद्य मिल जाएगा, जो कथित रूप से आंककर ही कई रोगों का इलाज करता है। इनमें से ज्यादातर नि:शुल्क सेवा देते हैं। कांकेर जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर दुधावा मावलीपारा गांव के वैद्य रत्ती सिंह मरकाम के घर हर रविवार सुबह आंककर इलाज किया जाता है। लोग बताते हैं कि वे हंसियानुमा लोहे को गर्म कर उससे लोगों के शरीर के उन हिस्सों को दागते हैं, जहां तकलीफ होती है।
कई शहरों से लोग आते हैं इलाज के लिए:
वे कहते हैं कि वैद्य रत्तीसिंह लकवा, गठिया वात, मिर्गी, बाफूर, अंडकोष, धात रोग, बेमची, आलचा सहित कई अन्य रोगों का इलाज करते हैं। उनके पास छत्तीसगढ़ के साथ ही ओडिशा व महाराष्ट्र से भी लोग आते हैं। हाल ही में टाटानगर जमशेदपुर से भी कुछ पीड़ित इलाज कराने आए थे। वे इस इलाज से आराम मिलने का दावा भी करते हैं। वैद्य रत्तीसिंह ने बताया कि पिता भंवरसिंह मरकाम से उन्होंने यह चिकित्सा पद्धति सीखी है और आज तक नि:शुल्क सेवा दे रहे हैं।
मरीजों के खाने और रहने की भी व्यवस्था:
इसी प्रकार कांकेर के ही सातलोर (पटौद) में राजबाई शोरी भी आंककर इलाज करती हैं। वह कहती हैं कि पीड़ित बिना किसी दबाव के स्वयं उनके पास आते हैं और राहत पाते हैं। उन्होंने बताया कि दूरदराज से आने वाले मरीजों के रहने व खाने की व्यवस्था भी वे अपने घर पर ही करती हैं। वह कहती हैं कि बच्चों का इलाज करते समय उनका दिल भी दुखता है, लेकिन बीमारी दूर करने के लिए ऐसा करना पड़ता है।
इलाज का यह तरीका खतरनाक और जानलेवा:
राजधानी रायपुर के चिकित्सक डॉ. नलनेश शर्मा ने इस संबंध में कहा कि इलाज का यह तरीका बहुत ही खतरनाक व जानलेवा है। यदि आंकने से ही बीमारी ठीक हो जाती तो पीड़ित डॉक्टरों के पास क्यों जाते? उन्होंने कहा कि इस मामले में लोगों को जागरूक होना चाहिए। किसी भी प्रकार की तकलीफ होने पर डॉक्टर के पास जाकर ही इलाज कराना चाहिए। बहरहाल, यह सिर्फ कांकेर जिले के ही बात नहीं है, सूबे के कई और जिलों में भी इसी तरह गर्म सलाखों से दागकर इलाज करने का दस्तूर आज भी जारी है।