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स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के लिए सरकारी तेल और गैस कंपनियों को देने होंगे 200 करोड़ रुपये

गुजरात में 2989 करोड़ रुपये की लागत से 182 मीटर की सरदार पटेल की ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ प्रतिमा बनाई जा रही है. अभी महज़ 59 मीटर ही बन पाई है. 2018 तक पूरा करने का है लक्ष्य.

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स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की मॉडल तस्वीर. (फोटो: statueofunity.in)
भारत सरकार के पेट्रोलियम मंत्रालय की ओर से जारी निर्देश के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र की तेल और गैस कंपनियों को सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर की ऊंची प्रतिमा के लिए 200 करोड़ रुपये देना होगा.
स्टैच्यू आॅफ यूनिटी के नाम से दुनिया की सबसे यह ऊंची मूर्ति गुजरात के नर्मदा ज़िले के केवड़िया में सरदार सरोवर बांध से 3.5 किलोमीटर दक्षिण में साधुबेट टापू पर बन रही है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इसके निर्माण के लिए तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) फंड से 50-50 करोड़ रुपये देंगी. इसके अलावा मुनाफे में चल रही सार्वजनिक क्षेत्र की दूसरी तेल और गैस कंपनियों से 25-25 करोड़ रुपये देने को कहा गया है.
इस साल अप्रैल में हुए ओएनजीसी बोर्ड द्वारा अनुमोदित अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक द्वारा आयोजित एजेंडा नोट में कहा गया, ‘इस परियोजना की कुल लागत को ध्यान में रखते हुए हम 50 करोड़ रुपये के अनुदान के प्रस्ताव पर भी विचार कर सकते हैं.’
गेल इंडिया के एक अधिकारी ने भी पुष्टि की है कि मार्च में मंत्रालय की ओर से सभी तेल और गैस कंपनियों को इस परियोजना का समर्थन करने के निर्देश दिए गए था. अधिकारी का कहना है कि समीक्षा बैठक में इस बात की जानकारी दी गई थी, लेकिन किसी भी प्रकार का लिखित आदेश जारी नहीं किया गया था.
हालांकि ऑयल इंडिया लिमिटेड, गेल इंडिया लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने इस परियोजना के लिए 25-25 करोड़ रुपये देने की मंज़ूरी दे दी है.
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स्टैच्यू ऑफ यूनिटी. (फोटो: statueofunity.in)
यह रकम वित्त वर्ष 2017-18 में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के लिए कुल 1,040 करोड़ रुपये के नियोजित ख़र्च का पांचवां हिस्सा होगी. रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले के बारे में पेट्रोलियम मंत्रालय के सचिव केडी त्रिपाठी ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि इस योजना के लिए गुजरात की 14 सरकारी कंपनियों ने वित्तीय सहायता के रूप में अब तक 104.88 करोड़ रुपये का योगदान दिया था.
इनमें सबसे ज़्यादा गुजरात इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने 17 करोड़ रुपये, गुजरात स्टेट फाइनेंशियल सर्विसेज़ लिमिटेड ने 15.88 करोड़, गुजरात मिनरल्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने 15 करोड़, गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड और सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड ने 10-10 करोड़ रुपये का योगदान दिया है.
जनसत्ता की रिपोर्ट के अनुसार, ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के निर्माण में चार सालों के भीतर 995 करोड़ रुपये ख़र्च हो चुके हैं. अब तक यह मूर्ति सिर्फ़ घुटने तक बन पाई है.
दरअसल इस मूर्ति को अक्टूबर 2018 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. 182 मीटर ऊंची मूर्ति अब तक महज 59 मीटर तक ही बन पाई है.
ग़ौरतलब है कि इस मूर्ति के निर्माण का ऐलान गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 अक्टूबर 2013 को किया था. इस मूर्ति की कुल लागत 2989 करोड़ रुपये है और लगभग 2400 मज़दूर दिन-रात काम कर रहे हैं.
इसकी कुल लागत में से 2332 करोड़ रुपये मूर्ति के निर्माण के लिए और 600 करोड़ रुपये 15 साल तक इसके रखरखाव के लिए नियोजित किया गया है.