नरेंद्र मोदी और चीन के प्रेसिडेंट शी जिनपिंग की शुक्रवार को कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में मुलाकात हुई। दोनों लीडर्स के बीच चीन-पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) और न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) में भारत की मेंबरशिप को लेकर चर्चा हुई।
बता दें कि 14-15 मई को बीजिंग में वन बेल्ट-वन रोड समिट (OBOR) हुआ था जिसमें 29 देश शामिल हुए थे। भारत इसमें शामिल नहीं हुआ था।
मोदी और नवाज अस्ताना में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) की मीटिंग की हिस्सा लेने गए हैं। फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन गोपाल बागले ने बताया कि मोदी ने जिनपिंग से मुलाकात की।
हाल ही में भारत ने बीजिंग में OBOR समिट का बायकॉट किया था। भारत ने इसे अपनी सॉवेरीनटी (प्रभुसत्ता) का मामला बताया था। भारत, पहले भी पाक की ग्वादर से चीन के शिनजियांग तक जाने वाले चीन-पाक कॉरिडोर का विरोध करता रहा है। भारत का आरोप है कि कॉरिडोर पाक के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) के गिलगित-बाल्तिस्तान से होकर गुजरेगा। CPEC, वन बेल्ट-वन रोड का ही हिस्सा है।चीन ने भारत से OBOR समिट में शामिल होने की अपील की भी थी।
NSG पर क्या है चीन का रवैया?
चीन, भारत की NSG मेंबरशिप का भी विरोध करता रहा है। उसका कहना है कि अगर किसी देश ने नॉन-प्रोलिफिरेशन ट्रीटी (परमाणु अप्रसार संधि-NPT) पर साइन नहीं किए हैं तो उसे मेंबरशिप नहीं दी जानी चाहिए। लेकिन अब चीन NSG में भारत का समर्थन करने को तैयार हो गया है।
वहीं, भारत कह चुका है कि फ्रांस को भी बिना NPT पर साइन किए हुए मेंबरशिप दी गई थी। चीन, यूएन में मसूद अजहर को आतंकी घोषित किए जाने का भी विरोध करता रहा है।
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