नई दिल्ली: 2019 में शिवसेना प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ेगी. उद्धव ठाकरे के इस ऐलान पर बीजेपी से तो जवाब नहीं आया, मगर सहयोगी पार्टी एलजीपी खड़ी हो गई. रामविलास पासवान का कहना है, उद्धव राजनीति न करें, 2024 तक कोई वैकेंसी नहीं है, मोदी ही प्रधानमंत्री बने रहेंगे. इससे पहले मुंबई में उद्धव ठाकरे ने बुधवार को ये बयान देकर सबको चौंका दिया जब उन्होंने कहा, 'रामविलास पासवान ने जबरन लिखवाया कि 2019 में मोदी के नेतृत्व में लड़ेंगे. इतनी जल्दबाजी क्यों? आज जो मिला है वो देश के काम में आना चाहिए. अभी 2 साल बाकी हैं. अपने नेतृत्व को थोपने की इतनी जल्दबाज़ी क्यों? शिवसेना को यह कदापि मंजूर नहीं.'
उद्धव के इस बयान से हैरान रामविलास पासवान ने गुरुवार को आरोप लगाया कि उद्धव गलतबयानी कर रहे हैं. पासवान ने गुरुवार को सफाई देते हुए कहा कि ठाकरे राजनीति कर रहे हैं. दरअसल मामला बीते महीने हुए एनडीए की बैठक का है. इसमें 33 दलों के नेताओं ने मिलकर ये प्रस्ताव पास किया.
पासवान ने कहा कि बैठक में ये प्रस्ताव पारित हुआ था कि 2019 के आम चुनाव नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. इस बैठक में खुद उद्धव ठाकरे भी मौजूद थे और बैठक में तीसरे वक्ता थे. पासवान का आरोप है कि उद्धव बैठक के अंदर कुछ कहते रहे, बाहर कुछ और कह रहे हैं.
जाहिर है, ये तकरार अभी और बढ़ेगी. जो मामला बीजेपी और शिवसेना के बीच का था, उसमें एलजेपी भी आ गई है. उद्धव ठाकरे और रामविलास पासवान के बीच ये तकरार ऐसे वक्त पर शुरू हुई है जब आगामी राष्ट्रपति चुनावों से पहले विपक्षी दल एक साझा उम्मीदवार खड़ा करने की जद्दोजहद में जुटे हैं. ऐसे में शिवसेना अध्यक्ष और लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष के बीच ये तकरार एनडीए के रणनीतिकारों के बीच मुश्किलें बढ़ा सकती है.
यहां ये सवाल भी उठ रहा है कि क्या शिवसेना इन चुनावों से पहले अपने आपको एनडीए से अलग करने की कोशिश कर रहे हैं? इस संदर्भ में ये भी महत्वपूर्ण है कि पिछले राष्ट्रपति चुनावों में भी शिव सेना ने एनडीए का साथ नहीं दिया था.
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