मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसानों का प्रदर्शन मंगलवार को बेकाबू हो गया. किसानों के उग्र प्रदर्शन को संभालने के लिए CRPF ने दो बार फायरिंग की, जिसमें अभी तक छ: किसानों के मारे जाने और आठ से ज्यादा किसानों के घायल होने की खबर है. घटना के बाद मंदसौर और इसके आस-पास के इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया. बुधवार को भी हालात सामान्य नहीं हुए. इस दिन भी किसानों और एसपी-कलेक्टर के बीच हिंसक झड़प की खबरें आई, जिसमें कलेक्टर के कपड़े फाड़ दिए गए. किसानों के प्रति सहानुभूति जताकर सत्ता में आई केंद्र और मध्य प्रदेश की सरकार इस समय सोशल मीडिया से लेकर देशभर की विपक्षी पार्टियों के निशाने पर है.
क्या हुआ मंगलवार को मध्य प्रदेश में
कर्ज और जमीन खरीदी में कम मुआवजे से जूझ रहे मध्य प्रदेश के किसानों को महाराष्ट्र के किसानों से प्रेरणा मिली, जो पिछले दिनों कर्जमाफी के मसले पर प्रदर्शन कर रहे थे. महाराष्ट्र में किसान क्रांति मोर्चा के बैनर तले प्रदर्शन करने वाले किसानों ने राज्य के कई शहरों में सब्जियां सड़क पर फेंक दी थीं और दूध सड़क पर बहा दिया था. वहां भी कर्फ्यू लगाना पड़ा था. महाराष्ट्र का वही आंदोलन जब मध्य प्रदेश पहुंचा, तो किसान अपनी आवाज उठाने के लिए मंदसौर में इकट्ठा हुए.
ज्यादा तादाद में किसानों के इकट्ठा होने पर मध्य प्रदेश सरकार ने मंगलवार सुबह पुलिस को आदेश दिया था कि प्रदर्शन करने वालों से सख्ती से निपटा जाए. इसके बाद जब किसान हिंसा पर उतर आए और उन्होंने मंदसौर-पिपलिया मंडी के बीच ट्रकों और एक पुलिस चौकी में आग लगा दी, तो CRPF ने फायरिंग शुरू कर दी. इसमें 6 किसानों की मौत हो गई, जिससे नाराज प्रदेश के किसान संगठनों ने मध्य प्रदेश बंद का एलान किया है.
क्या मांगें हैं किसानों की
किसान सेना के संयोजक केदार पटेल और जगदीश रावलिया बताते हैं कि किसानों ने सरकार को अपनी 32 मांगों के बारे में बताया था. उनके मुताबिक सीएम शिवराज सिंह ने कुछ मांगें मान ली थीं, जबकि कुछ पर बाद में बात करने के लिए कहा था. किसान चाहते हैं कि एमपी सरकार एक कानून बनाकर किसानों की जमीन लेने के बदले मुआवजे की धारा 34 को हटा दे. इस धारा के तहत किसानों के पास कोर्ट जाने का अधिकार नहीं है.
किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू कराने पर जोर दे रहे हैं, जिसमें कहा गया है कि किसी भी फसल पर जितना खर्च आता है, सरकार उसका डेढ़ गुना दाम दिलाए. सरकारी डेयरी दूध-खरीदी के दाम बढ़ाए, किसानों का कर्ज माफ किया जाए और एक जून से शुरू हुए आंदोलन में अभी तक जितने किसानों पर केस दर्ज किए गए हैं, वो सभी केस वापस लिए जाएं.
कितना नुकसान किया किसानों ने
अब तक की रिपोर्ट्स के मुताबिक मंदसौर-नीमच रोड पर करीब हजार किसानों ने चक्का जाम कर दिया था. असल में यहीं से हिंसा भड़की. किसानों ने करीब 8 ट्रकों और 2 मोटरसाइकिलों में आग लगा दी. जब पुलिस और CRPF ने हालात संभालने की कोशिश की, तो भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया और फिर फायरिंग होने लगी.
मंदसौर में फायरिंग में घायल हुए आरिफ नाम के शख्स की इंदौर ले जाते हुए मौत हो गई, जिसके बाद मंदसौर में गरोठ रोड पर सीतामऊ टोल बूथ में आग लगा दी गई और 28 गाड़ियां जला दी गईं.
सरकार क्यों है निशाने पर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा गरीबों और किसानों की बात करते नजर आते हैं. शिवराज का भी किसान-प्रेम कम नहीं है. वो अटल बिहारी से लेकर दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर किसान सभाएं आयोजित कराते हैं. शिवराज से बतौर मुख्यमंत्री जब उनकी उपलब्धियों का सवाल पूछा जाता है, तो उनके जवाब में सबसे ज्यादा किसानों से जुड़ी योजनाओं का जिक्र होता है, जिसमें वह समर्थन मूल्य और फसल बीमा जैसी योजनाओं का हवाला देते हैं.
लेकिन आज जहां एक तरफ किसान गोली खा रहे हैं, वहीं सरकार दो-दो पन्नों के विज्ञापन देकर ये दिखाने की कोशिश कर रही है, जैसे सब कुछ ठीक है और किसान खुश हैं. सवाल उठ रहे हैं कि जब नरेंद्र मोदी राजस्थान के एक किसान की आत्महत्या पर संवेदना जता सकते हैं, तो इस पर खामोश क्यों हैं.
गोलीबारी के बाद क्या कहना है दोनों पक्षों का
एमपी के किसान आंदोलन की सबसे ज्यादा छीछालेदर गोली चलने के बाद हुई. सरकार को पता ही नहीं कि गोली किसने चलाई थी और किसके आदेश पर चलाई गई थी. एमपी के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह के एक बयान का ऑडियो मंगलवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें वो कह रहे हैं कि किसानों पर फायरिंग पुलिस ने की. जबकि इससे पहले मीडिया के सामने भूपेंद्र ने कहा था कि गोली पुलिस ने नहीं चलाई. जब भूपेंद्र से ऑडियो के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने पुलिस के जांच करने की बात कही.
हमने गोली चलाने के आदेश नहीं दिए थे: स्वतंत्र कुमार सिंह, मंदसौर कलेक्टर
गोली असामाजिक तत्वों ने चलाई थी: नंदकुमार सिंह चौहान, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष
आंदोलनकारी असामाजिक नहीं, बल्कि सरकार असामाजिक तत्वों के हाथ में है: शिवकुमार शर्मा, अध्यक्ष: किसान मजदूर संघ
गोली CRPF की तरफ से चलाई गई थी: स्थानीय मीडिया
गोली पुलिस ने चलाई थी: मौके पर मौजूद स्थानीय लोग
शिवराज मामा क्या कह रहे हैं
इस समय देश में बीजेपी के जितने मुख्यमंत्री हैं, शिवराज की छवि उनमें सबसे नरम है. उनके बयान और हावभाव देखकर लगता ही नहीं कि मध्य प्रदेश में किसी तरह की कोई समस्या है. लेकिन पहले व्यापमं घोटाला और अब किसानों पर गोलीबारी जैसे बेहद गंभीर मामले उन्हीं के राज्य से निकलते हैं. किसानों पर गोली चलने के दौरान शिवराज कैबिनेट मीटिंग में थे. उन्होंने कहा,
‘मैं किसानों से बात करने और उनकी समस्या को हल करने के लिए हर समय तैयार हूं. हम हिंसा फैलाने वालों के मंसूबे कामयाब नहीं होने देंगे. हमारी सरकार हमेशा किसानों के साथ खड़ी रही है. कुछ राजनीतिक दलों और असामाजिक तत्वों ने षडयंत्र के तहत आंदोलन को हिंसक रूप देने की कोशिश की है.’
कांग्रेस पहले से कहीं आक्रामक हो गई है
मध्य प्रदेश में अस्तित्व के संकट से जूझ रही कांग्रेस अचानक आक्रामक हो गई है. राहुल गांधी से लेकर एमपी के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने शिवराज को दोषी ठहराते हुए सरकार की मंशा को कठघरे में खड़ा किया है. बुधवार को मध्य प्रदेश बंद का ऐलान किया गया है, लेकिन राहुल गांधी के मंदसौर पहुंचने के कयास लगाए जा रहे हैं.
मुआवजा
सीएम शिवराज ने मरने वाले किसानों के घरवालों को एक-एक करोड़ रुपए और परिवार के किसी एक सदस्य को नौकरी देने का वादा किया है. साथ ही जो किसान घायल हुए हैं, उन्हें पांच लाख रुपए का मुआवजा और मुफ्त इलाज का आश्वासन दिया गया है. मृतक किसानों के परिजनों को मुआवजा मिलता है, तो ये मध्य प्रदेश में अब तक की सबसे बड़ी सरकारी मदद होगी. शिवराज ने अपने सभी सरकारी कार्यक्रम भी रद्द कर दिए.
हरदा में तो हालत और भी खराब है
हरदा में भी किसान संगठन 1 जून से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और उन्होंने सब्जी-अनाज वगैरह की मंडी बंद करवा रखी है. वहां हफ्तेभर से लोग परेशान हो रहे हैं. एक किसान संगठन से जुड़े दिनेश जाट ने बताया कि लोगों से कहा गया है कि अगर वो कुछ खरीदना चाहते हैं, तो गांव जाकर खरीद सकते हैं, लेकिन शहर की मंडियां बंद रहेंगी. दिनेश का कहना है कि देशभर के किसान संगठन इस आंदोलन में किसानों के साथ हैं, लेकिन बीजेपी से जुड़ा किसान संगठन उनके साथ नहीं खड़ा है.
प्रशासन क्या कर रहा है
राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ ने आधे दिन के बंद का ऐलान किया है, जिसे देखते हुए इंदौर पुलिस, जिला प्रशासन ने हाईवे, मुख्य रास्तों और शहरों के एंट्री पॉइंट्स पर 1100 से ज्यादा जवानों को तैनात किया है. इनका काम शहर में दूध और सब्जियां लाने वाले लोगों की सुरक्षा करना होगा. गर्मियों की छुट्टियों के बाद 6 जून को कुछ स्कूल खुल गए थे, लेकिन बच्चों की सुरक्षा के लिए एक बार फिर छुट्टी के आदेश जारी कर दिए गए हैं. हॉस्पिटल्स के आस-पास भी पुलिस तैनात की जाएगी. मंदसौर में सोमवार से ही इंटरनेट पर रोक लगी है और कर्फ्यू भी लग गया है.
इससे पहले रविवार को हुई थी बड़ी हिंसा
1 जून से प्रदर्शन कर रहे किसान इससे पहले रविवार को हिंसक हो गए थे, जब रतलाम में हुए पथराव में एक ASI की आंख फूट गई थी. साथ ही सीहोर में CSP, दो टीआई और 11 पुलिसवाले घायल हो गए थे. किसानों और शिवराज के बीच मीटिंग सोमवार की रात उज्जैन में हुई थी, जिसमें किसानों की कुछ मांगें मान ली गई थीं, जबकि कुछ पर बाद में बात करने का आश्वासन दिया गया था. उस मीटिंग के बाद किसान सेना आंदोलन खत्म करने का फैसला लिया था, लेकिन कुछ ही घंटे बाद देर रात में किसान यूनियन और किसान मजदूर संघ ने हड़ताल जारी रखने की बात कही, जिसके बाद से हिंसा जारी है.
No comments:
Post a Comment