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बाबरी विध्वंस मामले में आडवाणी, जोशी और उमा पर चलेगा क्रिमिनल केस



1992 बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट बड़ा फैसला देते हुए कहा कि बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती पर आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाया जाएगा. इस मामले में सिर्फ कल्याण सिंह को इम्युनिटी दी गई है क्योंकि वो फिलहाल गवर्नर हैं. हालांकि कोर्ट ने ये भी कहा कि वो इस्तीफ़ा देने पर विचार कर सकते हैं.
बाबरी विध्वंस मामले में 10 आरोपियों पर धारा 120 बी के तहत आपराधिक मामला चलाया जाएगा. साथ ही इस मामले की सुनवाई कर रहे जजों का ट्रांसफर तबक नहीं होगा जबतक सुनवाई पूरी नहीं हो जाती. कोर्ट ने नाम लेकर कहा कि आडवाणी और जोशी समेत 10 लोगों के खिलाफ मुकदमा लखनउ की अदालत में चलाया जाएगा. कोर्ट ने इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाने के लिए ये भी फैसला लिया है कि केस की रोजाना सुनवाई की जाएगी. सीबीआई को भी 4 हफ़्तों के भीतर केस रजिस्टर्ड कर कार्रवाई शुरू करनी होगी.
न्यायाधीश पीसी घोष और न्यायाधीश रोहिंटन नरीमन की संयुक्त पीठ ने मामले में सीबीआई की अपील पर यह फैसला सुनाया है. पीठ ने कहा कि 2 साल में मामले की सुनवाई पूरी की जाए. इसके साथ ही रायबरेली से लखनऊ केस ट्रांसफर कर दिया गया है साथ ही मामले से जुड़े जजों के तबादले पर रोक लगा दी गई है. सीबीआई को आदेश दिया है कि इस मामले में रोज उनका वकील कोर्ट में मौजूद रहेगा.

बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के कन्वेनर ज़फरयाब जिलानी ने कोर्ट के फैसले पर कहा कि इसका संबंध मस्जिद बनाने से नहीं है, ये उन लोगों के ऊपर आरोप से है. अगर ये लोग साजिश में शामिल थे तो सजा होगी.
क्या कहा था कोर्ट ने
बता दें कि न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष और न्यायमूर्ति रोहिटन फली नरीमन की पीठ ने छह अप्रैल को इस मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम इस मामले में इंसाफ करना चाहते हैं. एक ऐसा मामला जो 17 सालों से सिर्फ तकनीकी गड़बड़ी की वजह से रुका है.
शीर्ष अदालत ने अप्रैल के पहले हफ्ते में आदेश सुरक्षित रखने से पहले संकेत दिया था कि जहां तक साजिश के आरोपों का सवाल है तो संविधान के अनुच्छेद 142 से असाधारण शक्तियां ली जा सकती हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, 'इसके लिए हम संविधान के आर्टिकल 142 के तहत अपने अधिकार का इस्तेमाल कर आडवाणी, जोशी समेत सभी पर आपराधिक साजिश की धारा के तहत फिर ट्रायल चलाने का आदेश दे सकते हैं. साथ ही मामले को रायबरेली से लखनऊ ट्रांसफर कर सकते हैं. 25 साल से मामला लटका पड़ा है, हम डे-टू-डे सुनवाई करके दो साल में सुनवाई पूरी कर सकते हैं.'

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