महिलाओं की सुरक्षा को योगी सरकार ने अपने एजेंडा में प्राथमिकता दी है. लेकिन उनकी आजादी को लेकर योगी आदित्यनाथ का एक पुराना लेख अब विवाद का सबब बन गया है. लेख में कहा गया है कि महिलाओं को स्वतंत्रता की नहीं बल्कि संरक्षण की जरूरत है.
'महिलाओं को आजादी की जरूरत नहीं'
इस लेख में योगी आदित्यनाथ लिखते हैं, 'हमारे शास्त्रों में जहां स्त्री की इतनी महिमा वर्णित की गई है वहां उसकी महत्ता और मर्यादा को देखते हुए उसे सदा संरक्षण देने की बात भी कही गई है. जैसे ऊर्जा को यदि खुला छोड़ दिया जाए तो वो व्यर्थ और विनाशक भी हो सकती है, वैसे ही शक्ति स्वरूपा स्त्री को भी स्वतंत्रता की नहीं, उपयोगी रूप में संरक्षण और चैनलाइजेशन की आवश्यक्ता है. स्त्री की रक्षा बचपन में पिता करता है, यौवन में पति करता है तथा बुढ़ापे में उसकी रक्षा पुत्र करता है. इस प्रकार स्त्री सर्वथा स्वतंत्र या मुक्त छोड़ने योग्य नहीं है.'
इस लेख में योगी आदित्यनाथ लिखते हैं, 'हमारे शास्त्रों में जहां स्त्री की इतनी महिमा वर्णित की गई है वहां उसकी महत्ता और मर्यादा को देखते हुए उसे सदा संरक्षण देने की बात भी कही गई है. जैसे ऊर्जा को यदि खुला छोड़ दिया जाए तो वो व्यर्थ और विनाशक भी हो सकती है, वैसे ही शक्ति स्वरूपा स्त्री को भी स्वतंत्रता की नहीं, उपयोगी रूप में संरक्षण और चैनलाइजेशन की आवश्यक्ता है. स्त्री की रक्षा बचपन में पिता करता है, यौवन में पति करता है तथा बुढ़ापे में उसकी रक्षा पुत्र करता है. इस प्रकार स्त्री सर्वथा स्वतंत्र या मुक्त छोड़ने योग्य नहीं है.'
आरक्षण का विरोध
योगी आदित्यनाथ ने शास्त्रों का हवाला देकर महिलाओं का महिमा मंडन किया है. लेकिन वो उन्हें संसद में 33 फीसदी आरक्षण का विरोध करते हुए लिखते हैं, ' संवैधानिक स्थिति एवं कानूनी दर्जा पाने के कारण आरक्षण का प्रत्यक्ष विरोध भले ही दब गया हो लेकिन आरक्षण के कारण योग्यता के बावजूद अवसरों से वंचित वर्गों और लोगों के मस्तिष्क में व्यापक असंतोष तो है ही. ऐसी स्थिति में पहले से पड़ी दरार और चौड़ी ना हो और ना ही कोई दूसरी दरार पैदा की जाए, यह हमारी कोशिश होनी चाहिए.'
योगी आदित्यनाथ ने शास्त्रों का हवाला देकर महिलाओं का महिमा मंडन किया है. लेकिन वो उन्हें संसद में 33 फीसदी आरक्षण का विरोध करते हुए लिखते हैं, ' संवैधानिक स्थिति एवं कानूनी दर्जा पाने के कारण आरक्षण का प्रत्यक्ष विरोध भले ही दब गया हो लेकिन आरक्षण के कारण योग्यता के बावजूद अवसरों से वंचित वर्गों और लोगों के मस्तिष्क में व्यापक असंतोष तो है ही. ऐसी स्थिति में पहले से पड़ी दरार और चौड़ी ना हो और ना ही कोई दूसरी दरार पैदा की जाए, यह हमारी कोशिश होनी चाहिए.'
कब छपा था लेख?
ये लेख साल 2010 में योगी आदित्यनाथ के संगठन हिंदू युवा वाहिनी के मुखपत्र 'हिंदवी' में छपा था. उस वक्त संसद में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा हो रही थी. बीजेपी ने विधेयक का समर्थन किया था. लेकिन योगी आदित्यनाथ इसके खिलाफ थे. कांग्रेस का आरोप है कि लेख को योगी आदित्यनाथ के वेबपेज पर 12 अप्रैल को दोबारा पोस्ट किया गया है.
ये लेख साल 2010 में योगी आदित्यनाथ के संगठन हिंदू युवा वाहिनी के मुखपत्र 'हिंदवी' में छपा था. उस वक्त संसद में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा हो रही थी. बीजेपी ने विधेयक का समर्थन किया था. लेकिन योगी आदित्यनाथ इसके खिलाफ थे. कांग्रेस का आरोप है कि लेख को योगी आदित्यनाथ के वेबपेज पर 12 अप्रैल को दोबारा पोस्ट किया गया है.
कांग्रेस का हमला
सोमवार को कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इस लेख पर योगी आदित्यनाथ से माफी की मांग की. सुरजेवाला का कहना था कि जहां एक ओर पीएम मोदी महिलाओं को समानता का हक देने की बात करते हैं, वहीं ये लेख महिलाओं को लेकर बीजेपी की मानसिकता दर्शाता है. उन्होंने कहा कि मोदी और अमित शाह को इस लेख की निंदा करनी चाहिए और अपने नेताओं को ऐसे बयानों से बाज आने के लिए कहना चाहिए.
सोमवार को कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इस लेख पर योगी आदित्यनाथ से माफी की मांग की. सुरजेवाला का कहना था कि जहां एक ओर पीएम मोदी महिलाओं को समानता का हक देने की बात करते हैं, वहीं ये लेख महिलाओं को लेकर बीजेपी की मानसिकता दर्शाता है. उन्होंने कहा कि मोदी और अमित शाह को इस लेख की निंदा करनी चाहिए और अपने नेताओं को ऐसे बयानों से बाज आने के लिए कहना चाहिए.
रुख पर कायम हिंदू युवा वाहिनी
मसले के तूल पकड़ने के बाद 'हिंदवी' के पूर्व संपादक प्रदीप राव ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया कि जिस वक्त ये लेख छपा उस वक्त योगी आदित्यनाथ इस मैगजीन के चीफ एडिटर थे. उनके मुताबिक योगी की वेबसाइट पर ये लेख कुछ साल पहले अपलोड किया गया था. और उनके साथ योगी भी इसमें लिखी गई बातों पर कायम हैं.
मसले के तूल पकड़ने के बाद 'हिंदवी' के पूर्व संपादक प्रदीप राव ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया कि जिस वक्त ये लेख छपा उस वक्त योगी आदित्यनाथ इस मैगजीन के चीफ एडिटर थे. उनके मुताबिक योगी की वेबसाइट पर ये लेख कुछ साल पहले अपलोड किया गया था. और उनके साथ योगी भी इसमें लिखी गई बातों पर कायम हैं.
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