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जब सीरियाई फोटोग्राफर ने बच्चों की जान बचाने के लिए छोड़ा कैमरा, फिर घुटने पर बैठकर रो पड़ा

सीरिया दुनिया का ऐसा देश जहां रात और दिन केवल बम धमाके होते हैं. वहां कोई नहीं जानता कौन सा दिन और कौन सा पल उसका आखिरी हो. पूरा देश एक तमाशबीन बनकर इस पूरे माहौल को देख रहा है. अक्सर सीरिया से ऐसी तस्वीरें आती है, जिन्हें देखकर लोग हैरान और परेशान हो जाते हैं, लेकिन इसका हल किसी के पास नहीं है. एक बार फिर से सीरिया से एक ऐसी ही तस्वीर आई है जिसने एक इंसान की इंसानियत को झकझोर दिया है.

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ट्विटर सोशल मीडिया की एक ऐसी जगह है जहां पर लोग हर तरह की तस्वीर डालते हैं. हाल ही में यहां पर एक ऐसी तस्वीर पोस्ट की गई है जो आपकी आंखों को भिगो देगी. इस पोस्ट में एक फोटोग्राफर जो अपने कैमरे की परवाह किए बिना कुछ बच्चों की जान बचा रहा है. एक सीरियाई फोटोग्राफर अब्द अल्कादर हबक ने उस वक्त अपना कैमरा नीचे रख दिया जब उसके समाने धमाके हुए और उस धमाके से कुछ बच्चों को बचाने के लिए वो उनकी तरफ गया. इस हमले में 126 लोगों की मौत हुई, जिनमें 80 से ज़्यादा छोटे-छोटे बच्चे थे.

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फोटोग्राफर और सामाजिक कार्यकर्ता अब्द अल्कादर हबक पास ही अपने काम में जुटे हुए थे और कुछ देर के लिए वह भी बेहोश हो गए थे. उन्होंने इसके बाद दिए इंटरव्यू में कहा, ‘दृश्य बेहद भयावह था, खासतौर से छोटे-छोटे बच्चों को अपनी आंखों के सामने तड़पते और मरते देखना. इसलिए मैंने अपने साथियों के साथ फैसला किया कि हम लोग अपने कैमरे एक तरफ रख दें और घायलों को बचाना शुरू कर दें’.

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बुरी तरह भयातुर दिख रहे हबक ने याद करते हुए बताया कि पहले बच्चे के पास वह पहुंचे, वह मर चुका था. फिर वह दूसरे बच्चे की ओर लपके, वह मुश्किल से सांस ले पा रहा था, इसलिए मैंने उसे उठाया और एम्बुलेंस की तरफ भागा,  हबक ने बताया ‘बच्चे ने मेरा हाथ पकड़ा हुआ था और मुझे देखे जा रहा था.
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दिल को ज़ार-ज़ार रुला देने वाली यह तस्वीर किसी अन्य फोटोग्राफर ने खींची, जिसमें हबक को घुटनों के बल बैठकर रोते हुए देखा जा सकता है, और उसके पास ही उस बच्चे की लाश पड़ी है. हबक की तस्वीरों को सोशल मीडिया पर हज़ारों बार शेयर और रीट्वीट किया गया है

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