लखनऊ
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रॉजेक्ट्स में से एक लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर भी अब सीएम योगी आदित्यनाथ की नजर टेढ़ी हो गई है। बताया जा रहा है कि एक 'जमीन घोटाले' के शक में इस प्रॉजेक्ट की जांच की जा रही है। कहा जा है कि इस प्रॉजेक्ट के तहत ज्यादा मुआवजा पाने के लालच में खेती की जमीन को रिहायशी जमीन के तौर पर दिखाया गया था। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार ने दस जिलों के कलेक्टरों को निर्देश दिया है कि वे पिछले 18 महीनों के दौरान 230 गांवों में हुई जमीन की खरीद की जांच करें। साथ ही एक्सप्रेस-वे के टेक्निकल सर्वे के लिए एक एजेंसी को भी लगाया गया है।
योगी सरकार ने यह कदम उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे इंडस्ट्रियल डिपलेवमेंट अथॉरिटी (UPEIDA) के एक स्पेशल फील्ड अफसर वाई.एन लाल की रिपोर्ट पर उठाया है। लाल ने ऐसे 22 जमीन मालिकों और पांच चकबंदी अफसरों के खिलाफ इस सिलसिले में फिरोजाबाद में FIR भी दर्ज कराई है जिन्होंने खेती की जमीन को रिहायशी बताया था। इस प्रॉजेक्ट के लिए 10 जिलों के 232 गांवों में 20, 456 किसानों से 3,500 हेक्टेयर जमीन खरीदी गई थी। UPEIDA के चीफ एग्जिक्युटिव ऑफिसर अवनीश अवस्थी ने कहा कि उन्होंने जिला कलेक्टरों को इस संबंध में 19 अप्रैल को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि इसके पीछे मकसद यह है कि ईमानदार किसानों को इससे कोई नुकसान न हो।
No comments:
Post a Comment