केंद्र में मोदी सरकार के बने अगले महीने 3 साल पूरे होने वाले हैं. इस मौके पर बीजेपी अपनी सरकार की उपलब्धियां बताने के लिए तैयारियों में जुट गई है, ताकि जनता में सरकार की लोकप्रियता और बढ़े. इस बीच पार्टी अध्यक्ष अमित शाह शनिवार से 95 दिनों के लिए पूरे भारत के दौरे पर निकलेंगे, जिस दौरान वह 2019 के लोकसभा चुनाव जीतने की रणनीति बनाएंगे और पार्टी 2014 में जिन स्थानों पर हारी थी वहां 120 सीट लाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे.
जम्मू के अपने दौरे से एक दिन पहले बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि वह चुनावी महत्व के हिसाब से एक से तीन दिनों तक राज्यों में समय बिताएंगे. राज्यों को चुनावी महत्व के हिसाब से तीन श्रेणियों में बांटा गया है. उन्होंने कहा, '2014 में हम जिन स्थानों पर हारे थे, वहां के लिए हमने 120 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. मेरे दौरे में हमारे संगठन की शक्ति का जायजा लेने पर ध्यान केंद्रित होगा और पूरे देश में विचारधारा और चुनावी अपील के विस्तार पर ध्यान दिया जाएगा. शाह मुख्य तौर पर पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों पर ध्यान दे रहे हैं जहां तीन दिन बिताने के बाद वह कल रात लौटे हैं.'
भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनावों में ओडिशा, तेलंगाना, केरल और पश्चिम बंगाल में 102 में से महज चार सीटों पर जीत दर्ज की थी. उन्होंने संगठन में फेरबदल पर भी संकेत दिए क्योंकि कई पदाधिकारी उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री बन चुके हैं.
दरअसल बीजेपी के चाणक्य माने जाने वाले और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पंचायत से लेकर नगरपालिका चुनाव होते हुए संसद तक हर चुनाव का संचालन अपने हाथ में रखते हैं. अभी हाल में ही भुवनेश्वर में संपन्न हुए राष्ट्रीय कार्यकारणी में अपने संबोधन में उन्होंने अपनी मंशा और पार्टी के लिए अपनी महत्वाकांक्षा को साफ़ कर दिया था.
उन्होंने कहा था कि पार्टी का स्वर्णिम युग तभी आएगा जब देश के हर राज्य में बीजेपी की सरकार बन जाएगी. अमित शाह की निगाहें अब 2019 पर हैं जब वो फिर से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते हैं. उत्तर प्रदेश की जीत ने शाह को अपने सपने के सच होने के संकेत तो दिए हैं, लेकिन इसके लिए मेहनत अभी से करनी होगी वो जानते हैं.
इसी दिशा में बढ़ते हुए अमित शाह ने अपना धुआंधार कार्यक्रम तय कर लिया है. बीजेपी अध्यक्ष आने वाले तीन महीनों में देश के सभी राज्य का दौरा करेंगे. सूत्रों के मुताबिक इस दौरे के लिए राज्यों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है.
1. जहां बीजेपी की सरकार है .
2. जहां एनडीए की सरकार है.
3. जहां विपक्ष की सरकार है.
2. जहां एनडीए की सरकार है.
3. जहां विपक्ष की सरकार है.
इसके अलावा राज्यों के आकार को भी ध्यान में रखा गया है. बहुत बड़े राज्य, बड़े राज्य और छोटे राज्य. इसी आधार पर ये फैसला लिया जाएगा कि अमित शाह कहां कितना समय बिताएंगे. बहुत बड़े राज्यों में वे दो से तीन दिन रहेंगे जबकि छोटे राज्यों में वे एक दिन का समय बिता सकते हैं. महत्यपूर्ण ये है वो अगले तीन महीनों में हर राज्य का दौरा करेंगे.
इस दौरान वे राज्य के नेताओं और कार्यकर्ताओं से मिलकर उनका फीडबैक लेंगे और ये भावना पैदा करेंगे की पार्टी नेतृत्व संगठन में हर स्तर पर सबको साथ लेकर चलना चाहता है. शुरुआती कार्यक्रम के दौरान वो जम्मू में दो दिन बिताएंगे, जो कार्यक्रम तैयार किया गया है उसके मुताबिक वो राज्य के पदाधिकारियों के अलावा, बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से भी मिलकर ज़मीनी हकीकत का जायजा लेंगे. साथ ही वो इलाके के बुद्धिजीवियों के साथ भी चर्चा करेंगे और मीडिया से भी रूबरू होंगे.
इसके अलावा इन मुलाकातों में कुछ ऐसे लोग भी शामिल किया जाएंगे जो पदाधिकारी भले न हों लेकिन ज़मीनी हालात पर अच्छी पकड़ रखते हैं. खास बात ये भी है की इस पूरे तीन महीने के कार्यक्रम में वो कोई पब्लिक रैली नहीं करेंगे. एकमात्र अपवाद त्रिपुरा हो सकता है जहां चुनाव होने वाले हैं और बीजेपी वामपंथ के इस गढ़ में अपना पांव जमाना चाहती है.
साफ है कि चुनाव मशीन समझे जाने वाले अमित शाह जहां एक ओर अपनी तरफ से 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में कोई कसार नहीं छोड़ना चाहते हैं, वहीं बिखरे हुए विपक्ष को कोई मौका नहीं देना चाहते कि वो एकजुट हों और अगर चुनाव से पहले ऐसी परिस्थिति बनती भी है तो पार्टी चुनाव से पहले हर स्तर पर उनका मुकाबला करने के लिए तैयार हो.
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