जनता परिवार प्रसिद्ध समाजवादी नेता मधु लिमये की जयंती एक मई को परिचर्चा के बहाने विपक्षी एकता की ओर बढ़ते इस कदम का पहला संदेश देगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । कांग्रेस ही नहीं कभी तीसरे मोर्चे की धुरी रहा जनता परिवार भी विपक्षी गोलबंदी की शुरू हुई कसरत में अब देरी के पक्ष में नहीं है। इसलिए कांग्रेस जहां राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार उतारने की कसरत में जुटी है तो जनता परिवार उससे पहले समाजवादी नेता चिंतक मधु लिमये को याद करने के बहाने एक मंच से विपक्षी दलों की साझी ताकत का संदेश देने की कोशिश करेंगे। जनता परिवार प्रसिद्ध समाजवादी नेता मधु लिमये की जयंती एक मई को परिचर्चा के बहाने विपक्षी एकता की ओर बढ़ते इस कदम का पहला संदेश देगा।
जनता परिवार के नेताओं की ओर से मधु लिमये की जयंती के बहाने हो रहे इस आयोजन में साफ तौर पर देश की मौजूदा आर्थिक नीति और राजनीतिक चिंतन धारा को लेकर एनडीए सरकार पर प्रहार किया जाएगा। इसलिए आयोजकों की ओर से भाजपा विरोधी विपक्षी खेमे के अधिकांश दलों के नेताओं को न्यौता दिया गया है और कांग्रेस समेत इन दलों के नेता इस मौके पर जुटेंेगे। कांग्रेस की ओर से दिग्विजय सिंह, जदयू के शरद यादव, माकपा के सीताराम येचुरी, भाकपा के डी राजा, एनसीपी के तारिक अनवर आदि की ओर से इसमें शिरकत करने की हामी भर दी गई है। समाजवादी पार्टी, राजद, द्रमुक, नेशनल कांफ्रेंस आदि के नेताओं को भी इसका न्यौता भेजा गया है।
आयोजकों को उम्मीद है कि इन दलों के नेता भी इसमें शामिल होंगे। वैसे तो आयोजन लिमये की जयंती पर उनके राजनीतिक दृष्टिकोण के स्मरण के लिए है मगर इसका मकसद स्पष्ट रुप से भाजपा के खिलाफ संभावित विपक्षी गोलबंदी की शुरूआती ताकत को तौलना है। जनता परिवार की पार्टियों के साथ वाममोर्चा के घटक भी अब इस हकीकत को मान चुके हैं कि मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में गैर कांग्रेसवाद की सोच अप्रासंगिक हो गई है। राजनीति अब भाजपा बनाम गैर भाजपावाद बन चुकी है और इसलिए तीसरे मोर्चे के सभी दलों को कांग्रेस से हाथ मिलाना ही होगा। कांग्रेस ने भी बीते बुधवार को क्षेत्रीय दलों से अंध कांग्रेस विरोध की राजनीतिक सोच छोड़ने की अपील जारी कर दी थी।
राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी गोलबंदी की वजह एनडीए के पास अपना उम्मीदवार जिताने के लिए 25 हजार वोटों की कमी है। हालांकि सरकार और भाजपा अपनी पसंद के उम्मीदवार को राष्ट्रपति भवन पहुंचाने को लेकर आश्वस्त है मगर विपक्ष का मानना है कि अगर चुनाव निकट का भी रहा तो यह उसके लिए फायदेमंद है। इतना ही नहीं राष्ट्रपति चुनाव के बहाने 2019 के आम चुनाव के लिए विपक्ष की गोलबंदी की बुनियाद पड़ जाएगी।
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