Ram Nath Kovind – राम नाथ कोविंद भारतीय राजनेता और भारत के राष्ट्रपति बनने की होड़ में NDA के उम्मेदवार है। रामनाथ कोविंद एक दलित नेता और साथ ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सदस्य भी है। सन 2015 से 2017 तक रामनाथ कोविंद बिहार के गवर्नर भी रहे चुके है।
Ram Nath Kovind Biography – राम नाथ कोविंद की जीवनी
19 जून 2017 को बीजेपी के पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने कोविंद जी जो राष्ट्रपति पद के लिए NDA का उम्मेदवार घोषित किया।
राम नाथ कोविंद का प्रारंभिक जीवन, निजी जिंदगी और परिवार
रामनाथ कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर 1945 को भारत के उत्तरप्रदेश राज्य के कानपूर जिले के डेरापुर के परौन्ख गाँव में हुआ था। उनके पिता मैकूलाल एक किसान थे और माता कलावती गृहणी थी। रामनाथ दलित जाती से संबंध रखते है। 1998 से 2002 के बीच हुए बीजेपी दलित मोर्चा के वे अध्यक्ष थे।
कोविंद जी ने कानपूर यूनिवर्सिटी से बैचलर ऑफ़ कॉमर्स और LLB की डिग्री हासिल कर रखी है। राजनीती में आने से पहले कोविंद पेशे से अधिवक्ता थे। 20 मई 1974 को कोविंद ने सविता कोविंद से शादी की थी। उनके एक बेटा, प्रशांत कुमार और एक बेटी स्वाति भी है।
राम नाथ कोविंद राजनीतिक करियर | Ram Nath Kovind political career
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कानपूर कॉलेज से लॉ में ग्रेजुएट होने के बाद कोविंद सिविल सर्विस एग्जामिनेशन की तयारी करने के लिए दिल्ली चले गये। तीन बार कोशिश करने बाद आखिर उन्हें परीक्षा में सफलता मिल ही गयी लेकिन वे ड्यूटी में शामिल नही हुए क्योकि उनका चयन आईएस की जगह संबंद्ध सेवा में हुआ था और इसके बाद कोविंद लॉ का अभ्यास करने लगे।
1977 से 1979 तक वे नयी दिल्ली में केंद्र सरकार के अधिवक्ता रह चुके है और 1980 से 1993 तक उन्होंने सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार का स्थायी वकील रहते हुए सेवा भी की।
1978 में वे सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया के अधिकारिक वकील बने थे। उन्होंने नयी दिल्ली के हाई कोर्ट में लॉ की ट्रेनिंग ली थी, तक़रीबन 16 साल 1913 तक उन्होंने लॉ का अभ्यास किया। बार कौंसिल ऑफ़ दिल्ली ने 1971 में उनका नाम अधिवक्ता के रूप में दर्ज किया था। अधिवक्ता के रूप में वे समाज के गरीब लोगो को मुफ्त में सलाह देते थे, साथ ही नयी दिल्ली की फ्री लीगल ऐड सोसाइटी में भी कार्यरत थे।
1977 से 1978 तक उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई का पर्सनल असिस्टेंस बने रहते हुए भी सेवा की है।
रामनाथ कोविंद बीजेपी सदस्य –
1991 में वे बीजेपी में शामिल हुए। 1998 और 2002 में वे बीजेपी दलित मोर्चा के अध्यक्ष थे और ऑल इंडिया कोली समाज के अध्यक्ष भी थे। उन्होंने पार्टी का राष्ट्रिय प्रवक्ता बने रहते हुए भी कई बार देश की सेवा की है। उन्होंने डेरापुर के अपने पूर्वजो के घर को आरएसएस को दान में दे दिया था। घाटमपुर और भोगनीपुर (दोनों ही उत्तर प्रदेश राज्य से संबंध रखते है) दोनों निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी की टिकट लेकर वे चुनाव में खड़े हुए थे लेकिन दोनों ही चुनावो में उन्हें हार का ही सामना करना पड़ा।
रामनाथ कोविंद राज्य सभा –
अप्रैल 1994 को वे नियुक्त हुए और इसके बाद उन्हें उत्तर प्रदेश राज्य का राज्य सभा एमपी भी बनाया गया। मार्च 2006 तक लगातार दो बार उन्होंने 12 सालो तक इस पद पर रहते हुए सेवा की। संसद के सदस्य के रूप में उन्होंने समाज कल्याण, गृह मंत्रालय, पेट्रोलियम और प्राकुतिक गैस, सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण, न्याय और कानून इत्यादि संसदिय समिति में रहते हुए उन्होंने सेवा की है।
राज्य सभा की हाउस कमिटी का चेयरमैन रहते हुए भी उन्होंने कई सालो तक काम किया है। अपने संसदीय काल में एम.पी. रहते हुए उन्होंने ग्रामीण भागो की शिक्षा व्यवस्था और उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड में स्कूलो के निर्माण पर ज्यादा ध्यान दिया। संसद का सदस्य रहते हुए, उन्होंने नेपाल, थाईलैंड, सिंगापूर, पाकिस्तान, स्विट्ज़रलैंड, जर्मनी, यूनाइटेड स्टेट, यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस की यात्रा भी की है।
रामनाथ कोविंद गवर्नर –
8 अगस्त 2015 को भारत के प्रधानमंत्री ने उन्हें बिहार के गवर्नर के रूप में नियुक्त किया था। 16 अगस्त 2015 को उन्हें पटना हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस घोषित किया गया था। शपथ लेने के साथ ही कोविंद, बिहार के 36 वे गवर्नर बन चुके थे। शपथ विधि का आयोजन पटना के राज भवन में रखा गया था।
गवर्नर के रूप में उन्होंने कई सराहनीय और प्रभावशाली बदलाव किए। सबसे पहले उन्होंने राज्य की शिक्षा व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए उसमे कई सुधर किये और यूनिवर्सिटी एवं स्कूलो में नए शिक्षको की भर्तियाँ करवाई। साथ ही सरकार द्वारा शिक्षा के लिए भेजे जा रहे फण्ड का दुरूपयोग ना हो इसकी भी उन्होंने छानबीन की।
इसके बाद भारत के राष्ट्रपति पद के लिए दावेदारी पेश करने के बाद उन्होंने बिहार के गवर्नर के पद से इस्तीफा दे दिया और 20 जून 2017 को भारत के वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उनके इस्तीफे को मंजूरी दे दी।
रामनाथ कोविंद की अन्य नियुक्तियां –
लखनऊ की डॉ. बी.आर. आंबेडकर यूनिवर्सिटी में बोर्ड ऑफ़ मैनेजमेंट में रहते हुए भी उन्होंने काम किया है और साथ ही आईआईएम कोलकाता के वे बोर्ड ऑफ़ गवर्नर में से एक थे। यूनाइटेड नेशन में भी उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया है और अक्टूबर 2002 को संयुक्त राष्ट्र की आम सभा को संबोधित भी किया है।
रामनाथ कोविंद का करियर और फैक्ट्स – Ram Nath Kovind facts
किसान के परिवार में पलकर बढे हुए कोविंद ने अपना ग्रेजुएशन लॉ में कानपूर कॉलेज से पूरा किया। डिग्री हासिल करने के बाद रामनाथ दिल्ली गये और वहा उन्होंने सिविल सर्विस परीक्षा की तयारी की। पहले दो प्रयासों में वे परीक्षा में असफल हुए। लेकिन तीसरे प्रयास में वे सफल हुए लेकिन आईएस की जगह उनकी नियुकी अलाइड सर्विसेज में की गयी।
19 जून 2017 को बीजेपी के पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने भारत के राष्ट्रपति पद के लिए उन्हें NDA का उम्मेदवार घोषित किया है।
1977 से 1979 तक रामनाथ कोविंद नयी दिल्ली में केंद्र सरकार के अधिवक्ता थे।
1980 से 1993 तक नयी दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार का स्थायी वकील रहते हुए भी उन्होंने काम किया है। 1978 में सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया ने उनकी नियुक्ती अधिवक्ता के रूप में की थी।
1998 से 2002 तक रामनाथ कोविंद बीजेपी दलित मोर्चा के अध्यक्ष रह चुके है और साथ ही ऑल इंडिया कोली समाज के भी अध्यक्ष रह चुके है।
वे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रिय प्रवक्ता के पद पर रहते हुए भी काम कर चुके है। इसके बाद भारत के राष्ट्रपति ने अगस्त 2015 को उन्हें बिहार के गवर्नर के रूप में नियुक्त किया था।
1994 से 2000 और 2000 से 2006 तक दो बार राज्य सभा में उनकी नियुक्ती की जा चुकी है।
16 सालो तक 1993 तक उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अभ्यास किया। सुप्रीम कोर्ट में उन्हें हमेशा से ही एक महत्वपूर्ण व्यक्ति माना जाता है।
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