अपने यहां जब भी किसी मामले के बाद ‘अंदरूनी जांच’, ‘कमिटी’, ‘सक्षम प्राधिकारी’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल होता है तो लोग समझ जाते हैं कि कमिटी बैठे, न बैठे, मामला ज़रूर बैठ जाएगा. लेकिन केरल में उल्टा हुआ है. यहां भाजपा की अंदरूनी जांच में एक भाजपा नेता आर. एस. विनोद को 5.60 करोड़ रुपए की घूस लेने का दोषी करार दिया गया है.
मामला क्या है?
केरल में वरकला का एस. आर. एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट एक नया मेडिकल कॉलेज खोलना चाहता था. इसके लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) की अनुमति की ज़रूरत होती है. मई 2017 में ट्रस्ट के चेयरमैन आर. शजी एक शिकायत लेकर केरल भाजपा के पास पहुंचे. इसके मुताबिक भाजपा के आर. एस. विनोद ने MCI की अनुमति दिलाने के बहाने शजी से 5.60 करोड़ लिए थे. विनोद केरल भाजपा में सहकारिता (कॉपरेटिव) के राज्य संयोजक हैं.
मीडिया में मामला उछलने के बाद केरल भाजपा के अध्यक्ष कुम्मणम राजशेखरन ने भाजपा के दो सीनियर नेताओं – के. पी. श्रीसन मास्टर और ए. के. नज़ीर – की कमिटी बैठा कर अंदरूनी जांच शुरू करवा दी. इसी कमिटी का कहना है कि आर. एस. विनोद ने घूस लेने की बात मान ली है. विनोद ने ये पैसे लेकर दिल्ली के एक दलाल को कोच्ची के एक हवाला डीलर के ज़रिए पहुंचाए थे. पूरी डील 17 करोड़ रुपए की थी.
कमिटी को दिए शजी के बयान के मुताबिक विनोद का दावा था कि वो कई मेडिकल कॉलेजों को इस तरह अनुमति दिला चुके हैं. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक विनोद ने घूस लेने की बात तो मान ली है, लेकिन साथ में जोड़ा कि ये उनका निजी बिज़नस है, जिसका पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है. रिपोर्ट में केरल भाजपा के महासचिव एम. टी. रमेश का नाम भी लिया गया है. लेकिन रमेश खुद को निर्दोष बता रहे हैं.
पार्टी अपनी ओर से विनोद पर क्या कार्रवाई करेगी, ये अगली मीटिंग में तय होगा.
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