ब्रह्मपुत्र नदी पर देश का सबसे लंबा ब्रिज बनकर तैयार हो गया है जिसका उद्घाटन 24 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।
नई दिल्ली, (जेएनएन)। असम में अरुणाचल सीमा के पास ब्रह्मपुत्र नदी पर देश का सबसे लंबा ब्रिज बनकर तैयार है। मूल रूप से ब्रह्मपुत्र की सहायक लोहित नदी पर बने ढोला-सदिया ब्रिज की कुल लंबाई 9.15 किमी है। यह पुल शुरू हो जाने से असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच सड़क संपर्क स्थापित हो जाएगा। खास बात यह है कि यह ब्रिज सामरिक रूप से भी अहम होगा।
इसके जरिए चीन से लगी एलएसी पर सैन्य साजो सामान आसानी से पहुंचाया जा सकेगा। ब्रिज को इस तरह बनाया गया है कि इस पर से टी-72 टैंक भी गुजर सकेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 मई को देश के सबसे लंबे पुल का उद्घाटन करेंगे। 938 करो़ड़ रुपए, सात साल लगे 938 करो़ड़ रुपए की लागत वाला यह प्रोजेक्ट 2010 में शुरू हुआ था। इस तरह इसे बनने में सात साल लगे।
अभी तक बांद्रा-वर्ली सीलिंक था देश का सबसे बड़ा ब्रिज
अब तक मुंबई में बने बांद्रा-वर्ली सीलिंक देश का सबसे बडा ब्रिज था। असम में बन रहा ब्रिज बांद्रा-वर्ली सीलिंक से 3.55 किमी (30 प्रतिशत) बडा होगा। इससे पहले बिहार के पटना में गंगा नदी पर बने 5.57 किमी लंबे महात्मा गांधी सेतु को देश के सबसे लंबे ब्रिज का दर्जा हासिल था। ब्रिज का काम दिसंबर 2015 में पूरा हो जाना था, लेकिन समय ब़़ढने से इसकी लागत भी बढ गई। पहले इसे 876 करो़ड़ में बन जाना था, लेकिन देरी के कारण इसकी लागत ब़़ढकर करीब 938 करो़ड़ रुपए हो गई।
यह फायदा होगा
ढोला- सदिया ब्रिज बनने से असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच की दूरी 4 घंटे कम हो जाएगी। यह ब्रिज गुवाहाटी से 540 किमी दूर सदिया में स्थित है। इसका दूसरा सिरा धोला में है, जहां से ईटानगर से 300 किमी दूर है। वर्तमान में दोनों राज्यों के बीच स़़डक संपर्क सीमित है। अधिकांश लोग बोट के जरिए आना-जाना करते हैं, लेकिन ब्रह्मपुत्र के पल-पल बदलते स्तर के चलते यह सफर खतरे से खाली नहीं होता है।
चीन की सीमा तक पहुंच होगी आसान
ब्रिज बन जाने से सेना अरुणाचल प्रदेश तक जाने में सक्षम होगी, जिसकी सीमा चीन से लगती है। ब्रिज को इस तरह बनाया गया है कि इस पर से टैंक भी गुजर सकेंगे। आम तौर पर अरुणाचल प्रदेश में सेना तिनसुखिया से प्रवेश करती है, जो असम में गुवाहाटी से 186 किमी दूर है। अब तक यहां कोई ब्रिज नहीं था, जिससे टैंक भी गुजर सकें। ऐसे में सेना को तेजपुर से सीमा पर पहुंचने में दो दिन लगते थे। लेकिन अब यह राह आसान होगी।चीन से लगती 3488 किमी लंबी सीमा है, लेकिन अरुणाचल प्रदेश में एक भी एयरपोर्ट नहीं है। इटानगर में महज एक हैलीपैड है। जबकि चीन ने एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के दूसरी तरफ एयर स्टि्रप और स़़डकें तक बना ली हैं।)
ब्रह्मपुत्र ने दी चुनौती लगातार बदलते जलस्तर के चलते ब्रह्मपुत्र में ब्रिज के लिए पाए खडे करना इंजीनियरों के लिए चुनौती था। ठंड के दिनों में जहां इसका फैलाव 0.5 किमी होता है, वहीं बारिश के दिनों में यह ब़़ढकर 12 किमी तक हो जाता है। निर्माण के दौरान पानी में डूबी दो क्रैन अब भी निकालनी बाकी है। वर्ष 2012 में आई बाढ़ में तो पूरी कंस्ट्रक्शन साइट की साफ हो गई थी। तब छह से आठ महीने तक काम ठप रहा। ब्रह्मपुत्र के बदलते जलस्तर के चलते ही ब्रिज को 9.15 किमी लंबा बनाना प़़डा, ताकि बाढ़ के समय इस पर यातायात बाधित न हो।
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