यह दुनिया रहस्यों से भरी पड़ी है। ऐसा ही एक राज है जो पिछले 100 सालों से उलझा पड़ा था। अंटार्कटिका में एक टेलर ग्लेशियर है जहां से लाल रंग का पानी बहता है। सदियों से रहस्य बने इस खूनी लाल पानी को लेकर अलग-अलग शोधकर्ताओं ने अपनी बात कही। लेकिन फाइनली इसका सच सामने आ ही गया। आप भी जानें...
यह है चौंकाने वाली वजह
बर्फ से लदा अंटार्कटिका द्वीप काफी रहस्यमयी है। यहां का तापमान हमेशा माइनस में रहता है। ऐसे में किसी के आने की हिम्मत नहीं होती। पहली बार साल 1911 में ऑस्ट्रेलिया के जियोलॉजिस्ट ग्रिफिथ टेलर ने यहां आने की हिम्मत की और उन्होंने वो चीज देखी जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। आमतौर पर ग्लेशियर से पानी या झरने बहते हैं लेकिन यहां तो खूनी वॉटर फॉल बह रहा था। जिसे Blood Falls कहा जाता है। उन्हें पहले लगा कि ये लाल रंग दरअसल माइक्रोस्कॉपिक लाल शैवल की वजह से है।
बर्फ से लदा अंटार्कटिका द्वीप काफी रहस्यमयी है। यहां का तापमान हमेशा माइनस में रहता है। ऐसे में किसी के आने की हिम्मत नहीं होती। पहली बार साल 1911 में ऑस्ट्रेलिया के जियोलॉजिस्ट ग्रिफिथ टेलर ने यहां आने की हिम्मत की और उन्होंने वो चीज देखी जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। आमतौर पर ग्लेशियर से पानी या झरने बहते हैं लेकिन यहां तो खूनी वॉटर फॉल बह रहा था। जिसे Blood Falls कहा जाता है। उन्हें पहले लगा कि ये लाल रंग दरअसल माइक्रोस्कॉपिक लाल शैवल की वजह से है।
2003 में खुला था ये राज
साल 2003 में टेलर की शैवाल वाली थ्योरी को गलत साबित कर दिया गया। नई रिसर्च में सामने आया था कि इस पानी में ऑयरन ऑक्साइड की भरपूर मात्रा है। ऑक्सीडाइस्ड आयरन की वजह से यहां पानी का रंग लाल आता है। कुछ लोगों ने इसे सच भी मान लिया। लेकिन कुछ शोधकर्ताओं के दिमाग की खुजली शांत नहीं हुई। उन्होंने दो कदम आगे जाकर नया शोध कर लिया।
फिर हुआ यह नया खुलासा
कोलोरॉडो कॉलेज और अलास्का यूनिवर्सिटी ने अपनी हाल ही में की गई स्टडी में पाया कि ये पानी दरअसल एक बेहद विशालकाय तालाब से गिर रहा है। खास बात ये है कि ये ताल पिछले कई लाख सालों से बर्फ के नीचे दबा हुआ था। पानी जैसे-जैसे फ्रीज़ होता है, वो गर्मी छोड़ता जाता है। यही गर्मी चारों तरफ़ जमी बर्फ़ को गर्म करती है। इस प्रक्रिया की वजह से इस Blood Falls से लगातार पानी बह रहा है।
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