नई दिल्ली. अरबपति कारोबारी अपनी लाइफ और कारोबार के अहम फैसलों में अपने स्प्रिचुअल गुरुओं की सलाह जरूर लेते हैं। मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी, फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग या फोर्टिस के एग्जीक्यूटिव वाइस चेयरमैन शिविंदर मोहन सिंह, ये कुछ ऐसे नाम हैं, जो अपने आध्यात्मिक गुरु को काफी मानते हैं। कई करोबारी गुरुज्ञान लेकर अपनी कंपनी को नए मुकाम पर ले गए। आज आपको कुछ ऐसे ही बिजनेसमैन के बारे में बता रहा है, जिनकी चर्चा बिजनेस के गलियारों में होती है..
रमेशभाई ओझा (गुरु- मुकेश अंबानी एवं फैमिली)
देश के सबसे अमीर इंडस्ट्रियलिस्ट मुकेश अंबानी के पारिवारिक गुरु रमेशभाई ओझा हैं। रमेशभाई ओझा पोरबंदर (गुजरात) स्थित आश्रम संदीपनी विद्यानिकेतन चलाते हैं। धीरूभाई अंबानी के वक्त से ही रमेशभाई अंबानी परिवार के आध्यात्मिक गुरु हैं। कई मीडिया रिपोर्ट्स में यहां तक कहा गया कि धीरूभाई अंबानी के निधन के बाद दोनों भाइयों के बीच आपसी सुलह कराने में भी उनका योगदान रहा है। अंबानी परिवार के अलावा रमेशभाई ओझा के आश्रम में कई गुजराती राजनेता भी दिखाई देते हैं। उनके आश्रम में जाने वालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी शामिल है।
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बाबा नीम करौली आश्रम (गुरु- मार्क जुकरबर्ग और स्टीव जॉब्स)
27 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फेसबुक के हेडक्वार्टर्स में थे। यहां टाउनहॉल के दौरान मार्क जुकरबर्ग ने कहा था कि उनकी कंपनी के इतिहास में भारत की खास जगह है। उन्होंने बताया था कि जब वे इस कन्फ्यूजन में थे कि फेसबुक को बेचा जाए या नहीं, तब एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने उन्हें भारत के एक मंदिर में जाने को कहा था। वहीं से उन्हें कंपनी के लिए नया मिशन मिला था।
जुकरबर्ग भी आए थे इंडिया
जुकरबर्ग ने बताया था कि वे एक महीना भारत में रहे। इस दौरान उस मंदिर में भी गए। जुकरबर्ग ने इस मंदिर का नाम नहीं बताया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मंदिर नैनीताल के पास पंतनगर में बाबा नीम करौली का आश्रम ही है। इसी आश्रम में 1974 में जॉब्स भी आए थे।
कई इंडस्ट्रियलिस्ट के एक ‘गुरु’ श्री श्री रविशंकर
श्री श्री रविशंकर के बेंगलुरु आश्रम में देश के टॉप इंडस्ट्रिलिस्ट आते हैं। इनमें स्नैपडील के फाउंडर कुनाल बहल, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्या, अमेजन इंडिया के हेड अमित अग्रवाल, एचडीएफसी के चेयरमैन केकी मिस्त्री आदि शामिल हैं। गुरु के तौर पर श्री श्री रविशंकर कॉरपोरेट जगत से लेकर राजनीति की दुनिया तक सबसे ज्यादा प्रचलित हैं। उनको मानने वाले काफी इंडस्ट्रियलिस्ट हैं। सरकार ने अपनी ओर से उन्हें पद्म विभूषण देने की कोशिश की थी, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया।
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